कौशिक रंजन
पटना : एससी-एसटी छात्रवृत्ति घोटाले में कई चौकानेवाले तथ्य सामने आये हैं. नवादा जिले में हुए घोटाले की जांच में यह बात सामने आयी है कि छात्रवृत्ति के रुपये सरकारी खाते से पहले देहरादून का पता दिखा कर ज्ञान सरोवर स्कूल ऑफ टेक्नोलॉजी नामक फर्जी कॉलेज के खाते में ट्रांसफर किये गये.
एक निजी बैंक में खोले गये इस खाते में नवंबर, 2013 से मार्च, 2015 के बीच अलग-अलग तिथियों को 64 लाख रुपये ट्रांसफर किये गये. इसके बाद ये रुपये नवादा के जिला कल्याण पदाधिकारी (डीडब्ल्यूओ) के नाजिर के बैंक खाते में ट्रांसफर हो गये. इस खाते में भी अलग-अलग तिथियों को थोड़े-थोड़े करके रुपये ट्रांसफर किये गये हैं. 25 से 27 मार्च, 2015 के बीच साढ़े आठ लाख रुपये ट्रांसफर किये गये. इसके अलावा नवादा डीडब्ल्यूओ ने सरकारी खाते से छात्रवृत्ति के रुपये सीधे जमीन के एक दलाल के खाते में करीब 10 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिये. ये रुपये नवादा शहर में ही एक व्यावसायिक प्लॉट के लिए एडवांस के रूप में दिये गये. फिलहाल मामले की गहराई से जांच चल रही है.
पदाधिकारियों और कर्मियों के रिश्तेदार के खातों में गये रुपये
अब तक की जांच में यह बात सामने आयी है कि विशेषकर नवादा जिले में एससी-एसटी छात्रवृत्ति के रुपये का बंदरबांट किया गया है. इसमें बड़े स्तर पर धांधली हुई है. जिला कल्याण पदाधिकारी से लेकर पटना सचिवालय स्थित एससी-एसटी विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने बड़े स्तर पर छात्रवृत्ति के रुपये को फर्जी कॉलेजों के खातों में ट्रांसफर करवाया. इसके बाद अपने रिश्तेदारों के खातों में रूट करते हुए अपने खाते में मंगवाया. कुछ ने तो अपने रिश्तेदारों से कैश ही ले लिया. अब तक एक दर्जन से ज्यादा ऐसे अधिकारियों और कर्मियों के रिश्तेदारों के प्रमाण मिल चुके हैं. अधिकांश राशि आरटीजीएस के जरिये ट्रांसफर की गयी है. कुछ रुपये चेक के जरिये रजिस्ट्री डाक से संदिग्ध लोगों को भेजे गये. जांच पूरी होने के बाद ऐसे खाताधारक रिश्तेदारों की संख्या कई दर्जन तक पहुंच जायेगी.
घोटाले के तीन मुख्य प्वाइंट
घोटाले के रुपये तीन स्थानों पर बांटे गये. पहला, नवादा समेत अन्य संबंधित जिलों के डीडब्ल्यूओ कार्यालय के अधिकारियों और कर्मियों के बीच. दूसरा, दलालों, बिचौलियों और अन्य घोटालेबाजों के बीच. तीसरा, सचिवालय स्थित एससी-एसटी विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच बंटवारा किया गया. जिसकी जैसी भूमिका, उसे उतनी मिली हिस्सेदारी. सबसे ज्यादा रुपये का घोटाला ऐसे कॉलेजों के नाम पर हुआ, जो सिर्फ कागजों पर मौजूद हैं. सबसे ज्यादा धांधली देहरादून के पांच फर्जी कॉलेजों के नाम पर हुई है. इनमें ज्ञान सरोवर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, श्री कृष्णम कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी, ग्रेट वैल्यू इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग और डोर बिजनेस स्कूल शामिल हैं. इनका कहीं अस्तित्व ही नहीं है.
पांच करोड़ से ज्यादा का घोटाला हो चुका उजागर
आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) पूरे मामले की जांच कर रही है. इसकी पहली केस डायरी इओयू ने कोर्ट में प्रस्तुत कर दी है. हालांकि, अभी जांच चल रही है, जिसमें अन्य जिलों में भी बड़े स्तर पर धांधली सामने आने की आशंका है. अब तक की जांच में नवादा जिले में 60, गोपालगंज में 21 और मुजफ्फरपुर में 25 एससी-एसटी छात्रों के नाम पर फर्जी तरीके से छात्रवृत्ति निकालने की बात सामने आयी है. अब तक पांच करोड़ से ज्यादा का घोटाला उजागर हो चुका है. सिर्फ नवादा जिले आठ लोगों के बैंक खातों में छात्रवृत्ति के एक करोड़ 36 लाख रुपये ट्रांसफर किये गये हैं. इनमें करीब सभी लोगों की पहचान कर ली गयी है.
तत्कालीन सचिव की भूमिका संदिग्ध
एससी-एसटी कल्याण विभाग के तत्कालीन सचिव एसएम राजू की भूमिका पूरे घोटाले में सबसे ज्यादा संदिग्ध रही है. वर्ष 2012 के बाद यह नियम कर दिया गया है कि छात्रवृत्ति के लिए ऑनलाइन ही आवेदन करना होगा. लेकिन, जांच में यह बात सामने आयी है कि दो साल बाद 2014-15 में भी कई आवेदन ऑफलाइन या सीधे विभाग में जमा करवाये गये और उन्हें बैकडेट से छात्रवृत्ति दे दी गयी.
इस तरह के आवेदकों के लिए अलग से अावंटन नहीं लिया गया, बल्कि खाते में पड़े पिछले रुपये से ही भुगतान कर दिया गया. जिन छात्रों के नाम पर फर्जीवाड़ा हुआ है, उन सभी का आवेदन ऐसे ही किया गया था. यह पूरी गड़बड़ी बिना विभागीय सचिव की मिलीभगत के संभव नहीं है.
निगरानी के नोटिस के बाद से गायब हैं एसएम राजू :- इस मामले की अलग से जांच निगरानी ब्यूरो भी कर है और उसने एसएम राजू को दो बार नोटिस भी जारी किया है, लेकिन राजू पहली नोटिस के बाद से ही छुट्टी पर चल रहे हैं. इसके बाद न निगरानी ने तीसरा नोटिस जारी किया और न ही उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट लेने का प्रयास किया. उनकी तलाश भी नहीं की जा रही है, जबकि निगरानी के पास यह मामला छह महीने से ज्यादा समय से लंबित है.