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बिहार परचा लीक आयोग : 16 अप्रैल को मेडिकल एंट्रेंस, पर बिना परीक्षा नियंत्रक के चल रहा बीसीइसीइ

पटना : बिहार संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद बीसीइसीइ द्वारा अगले तीन महीने में कई प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित की जायेंगी. इनकी तिथि भी घोषित कर दी गयी है. आवेदन पत्र भी भरे जा रहे हैं. लेकिन परीक्षा नियंत्रक के नहीं होने के कारण सारा काम भगवान भरोसे चल रहा है. ज्ञात हो कि बीसीइसीइ के […]

पटना : बिहार संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद बीसीइसीइ द्वारा अगले तीन महीने में कई प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित की जायेंगी. इनकी तिथि भी घोषित कर दी गयी है. आवेदन पत्र भी भरे जा रहे हैं. लेकिन परीक्षा नियंत्रक के नहीं होने के कारण सारा काम भगवान भरोसे चल रहा है. ज्ञात हो कि बीसीइसीइ के मेडिकल एंट्रेंस का प्रथम चरण 16 अप्रैल, जबकि दूसरा चरण 14 मई को होगा. प्रथम चरण में चयनित परीक्षार्थी ही दूसरे चरण की परीक्षा में भाग ले सकेंगे. आवेदन में त्रुटि के सुधार के लिए ऑनलाइन 10 से 12 मार्च तक का मौका अभ्यर्थियों को दिया गया है.
ऑनलाइन आवेदन की कोई जानकारी नहीं : मेडिकल कॉलेजों में नामांकन को लेकर आवेदन 06 मार्च तक ऑनलाइन फॉर्म भरना था. ऑनलाइन आवेदन की तिथि समाप्त हो चुकी है, लेकिन आवेदन कितने आये, इसकी कोई जानकारी पर्षद के पास नहीं है. परीक्षा नियंत्रक इसकी पूरी मॉनीटरिंग करते हैं. पर्षद सूत्रों के अनुसार आॅनलाइन आवेदन की हर दिन की रिपोर्ट तैयार की जानी थी, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो पाया है.
आवेदन की हार्ड कॉपी 20 तक करनी है जमा : आॅनलाइन आवेदन के बाद आवेदन की हार्ड कॉपी पर्षद कार्यालय में जमा करनी है. हार्डकॉपी लेने की अंतिम तिथि 20 मार्च है. इस बीच आवेदन की पूरी जांच के बाद ही हार्ड कॉपी जमा ली जाती है. इसमें भी पर्षद के परीक्षा नियंत्रक की मुख्य भूमिका होती है.
पर्षद ने परीक्षा नियंत्रक के नाम से सूचनाएं बंद कीं : बीसीइसीइ के परीक्षा नियंत्रक सुधीर कुमार के बीएसएससी के परचा लीक मामले में पकड़े जाने के तुरंत बाद सारी सूचनाएं विशेष कार्य पदाधिकारी के नाम से दी जाने लगी हैं. बीसीइसीइ सूत्रों के अनुसार पहले हर सूचना अभ्यर्थी के पास परीक्षा नियंत्रक के नाम से जाती थी, लेकिन इसे बंद कर दिया गया है.
ये काम हैं परीक्षा नियंत्रक के :
परीक्षा की तिथि घोषित करना
आॅनलाइन आवेदन की मॉनीटरिंग करना
आवेदन में त्रुटि होने पर सुधार के मौके देना
एडमिट कार्ड जारी करना दिक्कतें तो हैं
परीक्षा नियंत्रक के संरक्षण में ही परीक्षा की तैयारी की जाती है. अभी जब परीक्षा का समय है, तो कई दिक्कतें आ रही हैं. ऑनलाइन आवेदन के बाद अब परीक्षा की दूसरी तैयारी करनी है.
अनिल कुमार, ओएसडी, बीसीइसीइ
पूर्व सचिव समेत तीन को जेल से निकाल गुप्त स्थान पर पूछताछ
एसआइटी ने लिया रिमांड पर, खुलेंगे बड़े रहस्य
पटना : एसआइटी ने बीएसएससी के पूर्व सचिव परमेश्वर राम, बीएसएससी के पूर्व अध्यक्ष सुधीर कुमार के भांजे अरुण कुमार और दलाल आनंद शर्मा को रिमांड पर ले लिया है. इन तीनों को एसआइटी ने देर शाम अंधेरा होने के बाद बेऊर जेल से बाहर निकाला और गोपनीय जगह पर लेकर चली गयी.
एसआइटी ने यह काम गुपचुप तरीके से किया, ताकि किसी को भनक न लगे. एसआइटी को गुरुवार को ही न्यायालय से इन तीनों के रिमांड पर लेने की अनुमति मिल गयी थी, लेकिन दिन भर कोई गतिविधि नहीं हुई और जैसे ही अंधेरा हुआ, वैसे ही एसआइटी की एक टीम बेऊर जेल पहुंची और आवश्यक प्रक्रिया के बाद तीनों को लेकर निकल गयी. सूत्रों का कहना है कि इन तीनों को दो दिनों के रिमांड पर लिया गया है और पूछताछ की जा रही है.
एसआइटी ने प्रश्न पत्र लीक मामले में सबसे पहले पूर्व सचिव परमेश्वर राम व डाटा इंट्री ऑपरेटर अविनाश को ही जेल भेजा था. तब खुलासा हुआ था कि प्रश्न पत्र लीक और परीक्षा में सेटिंग के तार बीएसएससी कार्यालय से जुड़े हैं. परमेश्वर के मोबाइल पर आये मैसेज के आधार पर दलाल और जमीन कारोबारी आनंद शर्मा को एसआइटी ने उसके फुलवारीशरीफ स्थित आवास से गिरफ्तार किया था. आनंद शर्मा कमीशन पर परमेश्वर के लिए उम्मीदवार लाने का काम करता था.
उसके फोन से कई परीक्षाओं में उम्मीदवारों को पास कराने के लिए पैरवी किये जाने के साक्ष्य मिले हैं. खास बात यह है कि रिमांड पर लिया गया आनंद शर्मा भी दिल्ली के आेएमआर शीट इवैल्यूएटर आनंद बरार से बात करता था. इसका मतलब एसआइटी यह निकाल रही है कि आनंद बरार, परमेश्वर राम, नीति प्रताप सिंह और अविनाश कुमार का ग्रुप अोएमआर शीट में गड़बड़ी करने का काम करता था. इनकी पूरी जानकारी के लिए पहले एसआइटी ने नीति प्रताप को रिमांड पर लेकर पूछताछ की और जैसे ही उसे जेल पहुंचाया, वैसे ही तुरंत परमेश्वर राम, अरुण और आनंद शर्मा को भी रिमांड पर ले लिया गया.
पटना : दिल्ली के इवैल्यूएटर आनंद बरार बीएसएससी की किसी भी परीक्षा में ओएमआर शीट में गड़बड़ी करने का गोरखधंधा करता था. पेपर लीक कांड में पकड़े गये लोगों से पूछताछ के बाद यह खुलासा एसआइटी के सामने हुआ है. इसी के तहत नीति रंजन सिंह को एसआइटी ने रिमांड पर लिया था. उससे आनंद बरार से संपर्क के संबंध में पूछताछ की गयी और फिर दो दिनों की रिमांड की अवधि खत्म होने पर वापस बेऊर जेल भेज दिया गया.
नीति रंजन बीएसएससी का आइटी मैनेजर है और वह बीएसएससी में लगे तमाम कंप्यूटर सिस्टम व इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की देख रेख करता था. इसके कारण उसे बीएसएससी कार्यालय में कंप्यूटर पर होने वाली तमाम गतिविधियों की जानकारी थी. यहां तक की अगर कोई गोपनीय लेटर भी जारी होता था, तो उसे जानकारी हो जाती थी. इसके साथ ही परीक्षार्थियों के संबंध में कोई भी जानकारी उसे आसानी से उपलब्ध हो जाती थी.
नीति प्रताप की अविनाश से थी घनिष्ठता
पटना : एसआइटी ने उसे इसलिए रिमांड पर लिया, ताकि इस बात की जानकारी मिल सके कि वह आनंद बरार व बीएसससी के कंप्यूटर ऑपरेटर के साथ क्या गोरखधंधा करता था. जब नीति को छात्रों की जानकारी व उनके ओएमआर शीट के नंबर की जानकारी हो सकती थी तो फिर वह आसानी से आनंद बरार की मदद से आेएमआर शीट में गड़बड़ी करवा सकता था या फिर उसे बदलवा भी सकता था. इसके साथ ही नीति प्रताप की कंप्यूटर अविनाश से बात होती थी और धनिष्ठ संबंध थे. जिसके कारण अविनाश भी इस रैकेट से जुड़ा था.
अभी तक जांच के दौरान एसआइटी को यह जानकारी मिली है कि अविनाश उम्मीदवार जुटाने का काम करता था और प्रश्न पत्र निकालने की सेटिंग करता था. मसलन हर तरीके से बीएसएससी की परीक्षाओं में सेटिंग की जाती थी. जिसे प्रश्न पत्र देना है, उसे प्रश्न पत्र दिया जाता था, जिसकी डायरेक्ट सेटिंग करनी है.
पटना : बिहार एसएससी (कर्मचारी चयन आयोग) के पेपर लीक मामले में अहमदाबाद के प्रिंटिंग प्रेस मालिक विनीत अग्रवाल को एसआइटी की टीम ने गिरफ्तार कर लिया है. इस
पेपर लीक मामले की जांच के लिए गठित एसआइटी के खिलाफ गुजरात हाईकोर्ट में इस प्रकाशक की पत्नी जया अग्रवाल ने याचिका दायर की है. इसमें कहा गया है कि उनके पति को एसआइटी बेवजह प्रताड़ित कर रही है और उन्हें इस मामले में जबरन मुख्य अभियुक्त के रूप में फंसाना चाहती है. इसकी सुनवाई करते हुए गुजरात हाईकोर्ट ने प्रकाशक के घर की तलाशी लेने और उनके परिवार के अन्य लोगों को इसमें फंसाने पर पूरी तरह से रोक लगा दी है. इस आदेश को वहां से विशेष संदेशवाहक लेकर पटना एसआइटी के पास पहुंचा चुका है.
हाईकोर्ट में दायर इस याचिका के बाद एसआइटी की मुसीबत थोड़ी बढ़ गयी है. एसआइटी के गुजरात हाईकोर्ट का चक्कर लगाना पड़ेगा. इसके लिए गुजरात हाईकोर्ट में बिहार सरकार को अपना वकील रखना पड़ेगा, जो सरकार की तरफ से वहां के हाईकोर्ट में पक्ष रखेगा.
प्राप्त सूचना के अनुसार, याचिका में प्रकाशक की पत्नी ने एसआइटी के जांच की शैली और कार्यकलापों पर सवाल खड़े किये हैं. जिस तरह से एसएससी के पूर्व अध्यक्ष सुधीर कुमार और उनके पूरे परिवार को बिना किसी ठोस नतीजे और सबूतों के इस मामले में घसीट लिया गया है, उसे देखते हुए या इसी डर से प्रकाशक की पत्नी ने यह याचिका दायर की है. इसमें उनके व्यावसायिक संबंधों को परिवार वालों से अलग बताया गया है और पूरे प्रकरण में जबरदस्ती उनके पति को फंसाने की बात कही गयी है. फिलहाल इस मामले में आगे की सुनवाई का इंतजार है.
सीके अनिल कहां हैं, चालक को भी नहीं है जानकारी
पटना : एसआइटी के सवालों का जवाब देने के बजाये बीएसएससी के ओएसडी सीके अनिल गायब हैं. एसआइटी ने शुक्रवार को उनको खोजने का भरसक प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली.
सूत्रों के अनुसार सीके अनिल के चालक से एसआइटी ने पूछताछ की, लेकिन उसे भी उनके बारे में कोई जानकारी नहीं है. इसके साथ ही एसआइटी टीम शुक्रवार को भी जांच करने के लिए बीएसएससी कार्यालय गयी थी. ये वहीं सी के अनिल है, जिसने पूर्व सांसद शहाबुद्दीन के आतंक राज को खत्म किया था और लगाम लगायी थी. एसआइटी उनसे प्रश्न पत्र लीक से जुड़े मामले में खोज रही है. क्योंकि वे बीएसएससी के ओएसडी भी है. विदित हो कि ओएसडी अनिल कई दिनों से अपने कार्यालय नहीं आये है और किसी को भी इस बात की जानकारी नहीं है कि वे कहां है.
एसआइटी को उनके दिल्ली में होने की जानकारी मिली है अौर पुलिस की एक टीम पहले से ही इवैल्यूएटर आनंद बरार की खोज में दिल्ली में है. अब उक्त टीम को सी के अनिल को भी खोजने के टास्क दिये गये हैं.
पूर्व अध्यक्ष सुधीर की जमानत याचिका पर सुनवाई 25 को
पटना : बीएसएससी के पूर्व अध्यक्ष सुधीर कुमार की जमानत याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई नहीं हो पायी. अब उनकी जमानत याचिका पर 25 मार्च को सुनवाई की तिथि तय की गयी है. इसके साथ ही न्यायालय में केस डायरी की मांग भी की गयी है.
32 आराेपितों पर आरोप गठन की सुनवाई 22 को
पटना : बिहार टॉपर घोटाले के आरोपित बच्चा राय, लालकेश्वर समेत 32 आरोपितों पर आरोप गठन पर अगली सुनवाई अब 22 मार्च को होगी. निगरानी की अदालत ने सभी को शुक्रवार को सशरीर न्यायालय में उपस्थित होने का निर्देश दिया था. इसके बाद सभी को न्यायालय में लाया गया. लेकिन, आरोप गठन नहीं हो पाया. इसके साथ ही नौ अभियुक्तों ने पुलिस पेपर की मांग की है और न्यायालय में आवेदन भी दिया है.

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