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शिक्षाकर्मियों का 2011-12 से लंबित है अनुदान

परेशानी : राज्य के वित्तरहित संस्थानों में काम करनेवाले शिक्षकों व कर्मचारियों का मामला पटना : राज्य के वित्तरहित संस्थानों में काम करने वाले शिक्षकों व कर्मचारियों को वित्तीय वर्ष 2010-11 का ही अनुदान मिल पा रहा है, लेकिन अब तक सभी स्कूलों के शिक्षकों व कर्मियों को भुगतान नहीं हो सका है. स्कूलों के […]

परेशानी : राज्य के वित्तरहित संस्थानों में काम करनेवाले शिक्षकों व कर्मचारियों का मामला
पटना : राज्य के वित्तरहित संस्थानों में काम करने वाले शिक्षकों व कर्मचारियों को वित्तीय वर्ष 2010-11 का ही अनुदान मिल पा रहा है, लेकिन अब तक सभी स्कूलों के शिक्षकों व कर्मियों को भुगतान नहीं हो सका है. स्कूलों के रिजल्ट के आधार पर दिये जाने वाले इस अनुदान के लिए राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2011-12 और 2012-13 की राशि भी तीन साल पहले मंजूर कर दी है, लेकिन उसका भी भुगतान अब तक शुरू नहीं किया गया है. विभागीय अधिकारी बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को काम का जिम्मा दिये जाने की बात कर अपना पल्ला भी झाड़ ले रहे हैं. राज्य में 715 वित्तरहित माध्यमिक स्कूल, 507 प्रस्वीकृत इंटर कॉलेज अौर 240 डिग्री कॉलेज हैं. 2009-10 के अनुदान की राशि 210 वित्तरहित माध्यमिक स्कूलों को मिल सकी, 505 स्कूलों का बकाया रह गया.
वहीं, 2010-11 के अनुदान की राशि 598 स्कूलों को मिली है. अभी भी 117 स्कूलों को अनुदान का भुगतान नहीं हो सका है. बिहार प्रदेश माध्यमिक शिक्षक शिक्षकेतर कर्मचारी महासंघ की पहल के बाद शिक्षा विभाग ने बिहार बोर्ड से पूछा है कि अगर अतिरिक्त राशि की जरूरत है तो अविलंब मांग करें और लंबित राशि के भुगतान को सुनिश्चित करें. वहीं, राज्य के 240 डिग्री कॉलेज व 507 इंटर प्रस्वीकृत कॉलेजों में से करीब 100 कॉलेजों काभुगतान भी लंबित है. विभागीय अधिकारियों की मानें तो इसी महीने से 2011-12 और 2012-13 की जो राशि पहले से मंजूर है, उसके भुगतान की प्रक्रिया भी शुरू होगी. राज्य सरकार ने अब तक 2013-14, 2014-15 और 2015-16 की राशि मंजूरी नहीं की है. ऐसे में वित्त रहित संस्थानों के शिक्षक-शिक्षकेतर कर्मचारियों को पर्व त्योहार में भी अनुदान नहीं मिल पा रहा है.
राज्य के वित्त रहित संस्थानों को मैट्रिक, इंटर व डिग्री कॉलेजों में पढ़ाये जाने वाले स्नातक के पाठ्यक्रम के रिजल्ट के आधार पर अनुदान दिया जाता है. प्रथम श्रेणी के लिए ज्यादा अनुदान, द्वितीय स्थान वाले को उससे कम और तृतीय श्रेणी के लिए उससे कम अनुदान निर्धारित है.
संबंधित स्कूल और कॉलेजों को रिजल्ट के आधार पर राशि की बिहार विद्यालय परीक्षा समिति से मांग करनी होती है. इसके बाद बिहार बोर्ड रिजल्ट से उसका मिलान कर राशि की सरकार से काम करता है. सरकार से राशि आने के बाद उसे स्कूलों को बांट दिया जाता है.

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