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मधुमेह पीड़ितों को अप्रैल से मुफ्त में मिलेगी दवा

पहल. बिहार में 14.7% लोग मधुमेह से पीड़ित पटना : राज्य के मधुमेह मरीजों को अप्रैल से सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दवा मिलेगी. बिहार चिकत्सा सेवाएं एवं आधारभूत संरचना निगम लिमिटेड (बीएमएसआइसीएल) ने मधुमेह की दवा खरीदने के लिए टेंडर जारी किया है. निगम द्वारा मधुमेह की दवाओं की दर निर्धारित कर दी जायेगी. इसके […]

पहल. बिहार में 14.7% लोग मधुमेह से पीड़ित
पटना : राज्य के मधुमेह मरीजों को अप्रैल से सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दवा मिलेगी. बिहार चिकत्सा सेवाएं एवं आधारभूत संरचना निगम लिमिटेड (बीएमएसआइसीएल) ने मधुमेह की दवा खरीदने के लिए टेंडर जारी किया है. निगम द्वारा मधुमेह की दवाओं की दर निर्धारित कर दी जायेगी. इसके बाद राज्य के सरकारी अस्पतालों में दवाओं की खरीद की जायेगी.
बीएमएसआइसीएल के प्रबंधक निदेशक प्रदीप कुमार झा ने बताया कि मधुमेह की दवाओं की खरीद के लिए दोबारा टेंडर जारी किया जा चुका है. राज्य स्वास्थ्य समिति के अनु्रोध पर निगम द्वारा विभिन्न कंपनियों से टेंडर लेकर न्यूनतम दर पर दवाओं की दर निर्धारित की जाती है.
इसके पहले किये गये टेंडर में दवा निर्माता कंपनियों द्वारा शामिल नहीं होने के कारण दोबारा टेंडर की प्रक्रिया अपनायी गयी है. उन्होंने बताया कि 20 मार्च को टेंडर खोला जायेगा. इसके पहले दो मार्च को प्री बिड मीटिंग की जायेगी. कंपनियों के टेंडर भरने के लिए अंतिम तिथि 18 मार्च निर्धारित की गयी है. टेंडर के लिए ऑनलाइन आवेदन करना है.
राज्य में मधुमेह रोगियो की स्थिति चिंताजनक बनती जा रही है. नन कम्युनिकेबल डिजीज प्रोग्राम (एनसीपी) के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी महेश कुमार सिन्हा ने बताया कि राज्य की 30-65 वर्ग आयु के 14.7 फीसदी आबादी में यह बीमारी पायी जा रही है. ग्रामीण और शहरी क्षेत्र दोनों में इसका समान दर से प्रसार है. अब तक डेढ़ लाख लोगों की जांच की जा चुकी है. स्थिति को देखते हुए सरकार द्वारा राज्य के 22 जिला अस्पतालों में मधुमेह क्लिनिक चलाया जा रहा है.
मार्च में इसे बढ़ाकर सभी जिला अस्पतालों में किया जायेगा. राज्य के 36 जिला अस्पतालों के अलावा पटना और दरभंगा के अनुमंडलीय अस्पतालों में मधुमेह क्लिनिक आरंभ किया जा रहा है. यह जीवनशैली की बीमारी है. मरीज को पूरी जिंदगी दवा खानी पड़ती है. ऐसे में गरीब मरीजों को मुफ्त दवा देने के लिए व्यवस्था की जा रही है. हृदय रोग विशेषज्ञ डाॅ बसंत सिंह बताते हैं कि मधुमेह के कारण हृदय, लकवा, किडनी की बीमारी और अंधापन के मरीजों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है.
यह बीमारी बच्चों में भी पायी जाती है. बच्चों में होनेवाले मधुमेह को टाइप-वन की श्रेणी में रखा जाता है. इन बच्चों को इंसुलिन पर रखा जाता है. युवाओं में खानेवाली दवाओं से भी इस पर नियंत्रण रखा जाता है. जीवनशैली में बदलाव किया जाये, तो 57 प्रतिशत को इसका लाभ मिलेगा.

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