Advertisement
हिंसा को पहचानें, फिर करें रोकथाम
पटना : कार्यस्थलों पर महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा को समाप्त करने के लिए कानून तो बनाये गये हैं. लेकिन इसका लाभ महिलाएं नहीं ले पा रही हैं. न तो महिलाएं हिंसा की पहचान कर पाती हैं और न ही उन्हें कानून की जानकारी है. कुछ इसी तरह की बातें बुधवार को होटल पाटलिपुत्र […]
पटना : कार्यस्थलों पर महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा को समाप्त करने के लिए कानून तो बनाये गये हैं. लेकिन इसका लाभ महिलाएं नहीं ले पा रही हैं. न तो महिलाएं हिंसा की पहचान कर पाती हैं और न ही उन्हें कानून की जानकारी है.
कुछ इसी तरह की बातें बुधवार को होटल पाटलिपुत्र अशोक में महिला विकास निगम की ओर से कार्यस्थल पर यौन हिंसा विषय पर आयोजित दो दिवसीय सेमिनार में कही गयी. पाटनर्स ऑफ लॉ इन डेवलपर्स की कार्यकारी निदेशक मधु मेहरा ने बताया कि महिलाओं को जागरूक हाेकर कानून का लाभ उठाना होगा. इसके लिए पहले उन्हें हिंसा की पहचान करनी होगी.
महिला विकास निगम के परियोजना निदेशक रूपेश कुमार सिन्हा ने बताया कि कानून के तहत प्रत्येक गैरसरकारी और सरकारी दोनों कार्यालयों में आइसीसी इंटरनल कंप्लेन कमेटी गठित किया जाना है.
ताकि कार्यस्थल में महिलाओं के साथ होने वाली छेड़छाड़ को निवारण सेल के माध्यम से किया जा सके. उन्होंने बताया कि सामान्य प्रशासन की ओर से इसका नोडल पदाधिकारी जिलाधिकारी को नियुक्त किया गया है. साथ ही निगम द्वारा मॉनीटरिंग की जा रही है. ताकि सभी कार्यालय में जल्द से जल्द सेल गठित किया जा सके. कार्यक्रम में स्वास्थ्य विभाग, उद्योग, कृषि, सामान्य प्रशासन समेत विभिन्न विभागों से आये प्रतिनिधयों को इसकी जानकारी दी गयी.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर वर्ष 1997 में विशाखा गाइड लाइन बनाया गया. इसके तहत महिलाओं के साथ होने वाले यौन हिंसा के मामलों पर कानूनी कार्रवाई करके पीड़िता को न्याय दिलाने की व्यवस्था की गयी है. वर्ष 2013 में संसद द्वारा यौन हिंसा बिल को पारित किया गया है. इसके तहत सभी कार्यालयों में ‘कंप्लेन अगेंस्ट सेक्सउल ह्रासमेंट’ कमेटी गठन करने का निर्देश दिया गया जहां कामकाजी पीड़ित महिला अपनी शिकायत दर्ज करा सकें.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement