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जिन बैंकों का प्रदर्शन लगातार जीरो, क्यों चला रहे बिहार में अपनी शाखा, बंद करें

पटना: वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा कि कृषि, लघु एवं मध्यम उद्योग समेत अन्य विभागों की जन कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में बैंक काफी उदासीन हैं. बैंकों को फटकार लगाते हुए कहा कि जिन बैंकों का प्रदर्शन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में ऋण देने में लगातार जीरो है, वे बिहार में अपनी शाखाएं क्यों चला […]

पटना: वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा कि कृषि, लघु एवं मध्यम उद्योग समेत अन्य विभागों की जन कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में बैंक काफी उदासीन हैं. बैंकों को फटकार लगाते हुए कहा कि जिन बैंकों का प्रदर्शन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में ऋण देने में लगातार जीरो है, वे बिहार में अपनी शाखाएं क्यों चला रहे हैं. अगर राज्य सरकार की योजनाएं उनके लिए उपयुक्त साबित नहीं हो रही हैं, तो उन्हें राज्य में अपना बैंक यहां चलाने की जरूरत नहीं है. ऐसे बैंकों को इस बैठक में आने की क्या जरूरत है. वित्त मंत्री शुक्रवार को राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी (एसएलबीसी) की 59वीं बैठक में अध्यक्षीय संबोधन दे रहे थे.

वित्त मंत्री ने कहा कि चालू वित्तीय वर्ष 2016-17 के दौरान रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने सभी बैंकों को राज्य में 1640 शाखाएं खोलने का लक्ष्य रखा था, जिसमें महज 114 शाखाएं ही खुली हैं. यूको, बैंक ऑफ इंडिया, आंध्रा बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, देना बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, आइडीबीआइ, स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एवं जयपुर, फेडरल बैंक, साउथ इंडिया बैंक, एचडीएफसी और उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक ने अपनी एक भी शाखा नहीं खोली हैं. उन्होंने कहा कि आगामी वित्तीय वर्ष में बचे हुए टारगेट को जोड़कर नयी शाखाएं खोलने का लक्ष्य सभी बैंकों को दिया जाये. इसके अलावा मध्यम एवं लघु उद्योगों की स्थापना के लिए लोन देने, खादी उद्योग, बुनकर क्रेडिट कार्ड समेत अन्य योजनाओं में भी ऋण देने में बैंकों की स्थिति काफी खराब है. वित्त मंत्री बैंकवार योजनाओं में प्रदर्शन को गिनाते हुए जमकर बैंकों को फटकारा. उन्होंने कहा कि अगर बैंकों को राज्य सरकार से किसी तरह की मदद चाहिए, तो सरकार करने के लिए तैयार है.

सहकारिता मंत्री आलोक मेहता ने कहा कि सहकारिता बैंकों में डिपोजिट की स्थिति अच्छी नहीं है. इन बैंकों को मुख्य फोकस सीमांत और छोटे किसानों पर करना चाहिए. बिना इन्हें शामिल किये वित्तीय समावेश और टिकाऊ विकास नहीं हो सकता है. राज्य में सवा करोड़ किसान परिवार में महज 14 लाख 83 हजार किसान का ही बीमा हुआ है. आरबीआइ के क्षेत्रीय निदेशक एनपी टोपनो ने कहा कि कई ग्रामीण क्षेत्र की बैंक शाखाओं के बारे में 10 रुपये का सिक्का नहीं लेने की शिकायत मिली है. आरबीआइ की टीम ऐसे बैंकों का औचक निरीक्षण करेगी. अगर किसी बैंक की शाखा में इस बात की सच्चाई पायी गयी, तो उस पर सख्त कार्रवाई की जायेगी.

एससीसी निबटारे की रफ्तार धीमी
राज्य सरकार की फ्लैगशिप योजना स्टूटेंड क्रेडिट कार्ड (एससीसी) में आवेदनों के निपटारे की रफ्तार बेहद धीमी है. सभी बैंकों में 668 आवेदन आ चुके हैं, लेकिन महज 60 आवेदकों की ऋण स्वीकृत की गयी और 10 को ही दिया गया है. इस पर वित्त प्रधान सचिव रवि मित्तल ने कहा कि बैंक आवेदनों के निबटारे की रफ्तार को बढ़ायें. इसमें किसी तरह की लापरवाही नहीं बरतें. एससीसी के अनुपालन में आ रही समस्या का समाधान करते हुए उन्होंने कहाकि अब बैंक वालों को छात्र या अभिभावक दोनों में किसी एक का भी पैन कार्ड लेकर लोन देने की पूरी छूट रहेगी.
जन-धन खातों को आधार से जोड़ने पर खासतौर से ध्यान देने की जरूरत है. मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि राज्य सरकार की सबसे सफल योजना स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) योजना है. इसमें 90 फीसदी से ज्यादा रिटर्न भी है. फिर भी बैंक इन्हें ऋण देने में आनाकानी करते हैं. 93 हजार ही अब तक बैंकों से जुड़ पाये हैं.

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