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कोर्ट के मामले निबटानेवाले मीडिएटर को भी पारिश्रमिक
पटना : पटना उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से कहा है कि वह निचली अदालत से लेकर उच्च न्यायालय में मामले के निबटाने में मध्यस्थ की भूमिका अदा करनेवाले लोगों को पारिश्रमिक उपलब्ध कराये. जस्टिस ज्योति शरण की कोर्ट ने शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई की और बिना पैसे के काम कर रहे ऐसे […]
पटना : पटना उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से कहा है कि वह निचली अदालत से लेकर उच्च न्यायालय में मामले के निबटाने में मध्यस्थ की भूमिका अदा करनेवाले लोगों को पारिश्रमिक उपलब्ध कराये. जस्टिस ज्योति शरण की कोर्ट ने शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई की और बिना पैसे के काम कर रहे ऐसे लोगों के लिए बजट उपलब्ध कराने का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि हाइकोर्ट में काम कर रहे ऐसे लोगों को तीन हजार रुपये प्रति मुकदमा और जिला स्तर पर काम कर रहे लोगों को पंद्रह सौ तथा निचली अदालताें में कम से कम सात सौ रुपये दिये जायें. मध्यस्थों की भूमिका बाल श्रम कानून, सिविल मामले, चेक बांस कर जाने के मामलों में होती है.
एफआइआर आॅनलाइन स्थिति पर मांगी रिपोर्ट
पटना. हाइकोर्ट ने राज्य सरकार से पुलिस जांच में तेजी लाने के मामले में दो सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है. जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधीर सिंह की कोर्ट ने सरकार से कार्य प्रगति की रिपोर्ट मांगी है. सरकार ने कोर्ट को बताया कि पुलिस थाने में दर्ज अब सभी प्राथमिकी को आॅनलाइन किया जा रहा है. अब तक 51,000 एफआइआर को कंप्यूटरीकृत किया गया है. इसमें अपराध और अपराधियों के संबंध में पूरी जानकारी उपलब्ध है. वरीय अधिवक्ता बसंत कुमार चौधरी ने जनहित याचिका के माध्यम से कोर्ट को बताया था कि पुलिस अनुसंधान में बहुत लापरवाही बरती जा रही है.
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