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कम पढ़े-लिखे छोटे कारोबारियों को होगी परेशानी
द इंस्टीट्यूट आॅफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स आॅफ इंडिया, बिहार ब्रांच की जीएसटी पर दो दिवसीय कार्यशाला संपन्न पटना : जीएसटी से कम पढ़े-लिखे छोटे कारोबारियों को परेशानी होगी. सरकार को छोटे कारोबारियों को कंप्यूटर के अलावा मैनुअल में भी एक सीमा तय करनी होगी. ताकि, छोटा कारोबारी भी अपना कारोबार सुचारु रूप से चला सकें. ये […]
द इंस्टीट्यूट आॅफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स आॅफ इंडिया, बिहार ब्रांच की जीएसटी पर दो दिवसीय कार्यशाला संपन्न
पटना : जीएसटी से कम पढ़े-लिखे छोटे कारोबारियों को परेशानी होगी. सरकार को छोटे कारोबारियों को कंप्यूटर के अलावा मैनुअल में भी एक सीमा तय करनी होगी. ताकि, छोटा कारोबारी भी अपना कारोबार सुचारु रूप से चला सकें. ये बातें आगरा के चार्टर्ड एकाउंटेंट आलोक फरसइया ने मंगलवार को द इंस्टीट्यूट आॅफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स आॅफ इंडिया, बिहार ब्रांच की ओर से आयोजित जीएसटी पर दो दिवसीय (19-20 दिसंबर) कार्यशाला के दूसरे दिन कहीं.
उन्होंने कहा कि भारत में अभी भी शिक्षा और आधारभूत संरचना की कमी है. इसके कारण जीएसटी प्रणाली पूरी तरह प्रभावी होने में समय लगेगा. उन्होंने कहा कि नयी कर प्रणाली में कई तरह का टैक्स चार्ज करना है, जो केंद्र सरकार के खाते में जायेगी. उसके वितरण अलग-अलग राज्यों में करने का निर्णय लिया जायेगा. यह केवल व्यापारियों या उपभोक्ताओं को ही नहीं, बल्कि पूरे देश की कर व्यवस्था को बदलने जा रहा है.
अब जिस राज्य में वास्तु या सेवा का उपयोग हुआ है उस राज्य को कर का हिस्सा मिलेगा. पहले की यह व्यवस्था मैन्युफैक्चरिंग करनेवाले राज्यों को कर का लाभ देती थी. बिहार जैसे राज्यों को इसमें सीधा लाभ मिलेगा, जहां कर की हिस्सेदारी अधिक होगी. क्योंकि, यहां उपभोक्ता अधिक संख्या में है. लेकिन, इसके लिए प्लेस आफ सप्लाई के हर बिंदुओं को समझना जरूरी है. क्योंकि, वैसी जहां उपभोग एक से अधिक राज्यों में हुआ है. वहां कर किस राज्य को दिया जाये यह एक जटिल समस्या रहेगी. इसलिए प्लेस आॅफ सप्लाई के बारे में पूरी जानकारी लेनी आवश्यक है उसके बिना जीएसटी में कर का अधिरोपण संभव नहीं हो पायेगा.
उन्होंने उदहारण देते हुए बताया कि यदि दिल्ली का कोई आदमी पटना में आता है और होटल में रुकता है, तो उस पर जीएसटी का क्या ट्रीटमेंट होगा और रुकनेवाले को इनपुट टैक्स का क्रेडिट किस प्रकार मिलेगा. उन्होंने कहा कि नये प्रावधान के तहत आठ तरह के रिटर्न है. एक साल में एक कारोबारी को 37 रिटर्न फाइल करना होंगे.
दिल्ली के जीएसटी विशेषज्ञ सीए गौरव गुप्ता ने ट्रांसिशनल प्रोविजन के साथ ही वर्क्स कांट्रैक्ट और रियल एस्टेट पर जीएसटी में जटिलताओं को बड़े ही सरल तरीके से लोगों को बताया. उन्होंने ट्रांजिशन पीरियड में सामने आनेवाली कई काल्पनिक हालातों पर जीएसटी के तहत बरती जानेवाली सावधानियों को विस्तार से समझाया. ट्रांजिक्शन के दौर में चार्टर्ड एकाउंटेंट्स पर बहुत बड़ा दारोमदार है. मौके पर पटना ब्रांच के शाखाध्यक्ष ने फैकल्टी को सम्मानित किया.
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