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क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया जांचेगी गुणवत्ता

पटना : क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया बिहार समेत देश के प्राथमिक शिक्षा शिक्षण महाविद्यालयों की गुणवत्ता की जांच करेगी. इसके लिए नेशनल काउंसिल ऑफ टीचर एजुकेशन (एनसीटीइ) ने क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया के यह जिम्मेदारी सौंपी है. दोनों के बीच एमओयू भी साइन हुआ है. डीएलएड कोर्स चलाने वाले इन संस्थानों की गुणवत्ता की जांच […]

पटना : क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया बिहार समेत देश के प्राथमिक शिक्षा शिक्षण महाविद्यालयों की गुणवत्ता की जांच करेगी. इसके लिए नेशनल काउंसिल ऑफ टीचर एजुकेशन (एनसीटीइ) ने क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया के यह जिम्मेदारी सौंपी है. दोनों के बीच एमओयू भी साइन हुआ है.
डीएलएड कोर्स चलाने वाले इन संस्थानों की गुणवत्ता की जांच की जायेगी. डिप्लोमा औ सर्टिफिकेट कोर्स चलाने वाले देश के सभी सरकारी और प्राइवेट संस्थानों का मूल्यांकन किया जायेगा. इससे इन संस्थानों में गुणवत्तापूर्ण ट्रेनिंग की व्यवस्था की जा सके और प्रारंभिक स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में भी व्यापक सुधार हो सके.
एनसीटीइ और सीसीआइ के बीच हुए समझौता में डिप्लोमा इन प्री स्कूल एजुकेशन, डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन, डिप्लोमा इन फिजिक्स एजुकेशन, डिप्लोमा इन आर्ट एजुकेशन और डिप्लोमा इन आर्ट एजुकेशन (परफॉर्मिंग आर्ट्स) के कोर्स चलाने वाले संस्थानों की जांच क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया को करना है. इस आधार पर राज्य के 23 सरकारी प्राथमिक शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय समेत कुल 153 प्राथमिक शिक्षक शिक्षा महाविद्यालयों को क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया से मूल्यांकन कराना अनिवार्य है.
नैक से होता है मूल्यांकन
बीएड पाठ्यक्रम चलाने वाले अध्यापक शिक्षा संस्थानों की गुणवत्ता का आकलन करने के लिए एनसीटीइ ने नेशनल एससमेंट एंड एक्रिडिएशन काउंसिल (नैक) को जिम्मेदारी दी है. इसके लिए एनसीटीइ व नैक के बीच समझौता भी हो चुका है. पिछले दो सालों में बिहार में छह सरकारी बीएड कॉलेज समेत 251 बीएड ट्रेनिंग कॉलेजों में से नौ ट्रेनिंग कॉलेजों ने अपना मूल्यांकन नैक से करवा लिया है. उन्हीं बीएड कॉलेजों को एमएड की पढ़ाई करवाने के लिए अनुमति मिल सकेगी, जिन्हें नैक से मान्यता दी गयी है.
शिक्षकों की कमी
शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की कमी है. कई जगहों पर एडहॉक पर और स्कूलों के नियोजित शिक्षकों को प्रतिनियुक्त कर पढ़ाई की जा रही है. ऐसे में संस्थानों के सही मूल्यांकन पर समस्या होगी. शिक्षाविद् डॉ कुमार संजीव ने कहा कि सरकारी प्रशिक्षण संस्थाओं में स्थायी व्याख्याताओं की भारी कमी है. सरकार संस्थानों में खाली पदों को भर दे तो यहां की गुणवत्ता का मूल्यांकन आसानी से हो सकेगा.

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