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एक मां बन गयी मिसाल, अपनी किडनी देकर बचायी जिगर के टुकड़े की जान

पटना : मां आखिर मां है. उसकी जगह कोई नहीं ले सकता. वह न केवल अपने बच्चे को जन्म भी देती है, बल्कि अपनेजिगर के टुकड़े की जान बचाने के लिए हरसंभव जतन भी करती है. मंगलवार को बिहार की राजधानी पटना स्थित इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में कुछ ऐसाही देखने को मिला. मधेपुरा के […]

पटना : मां आखिर मां है. उसकी जगह कोई नहीं ले सकता. वह न केवल अपने बच्चे को जन्म भी देती है, बल्कि अपनेजिगर के टुकड़े की जान बचाने के लिए हरसंभव जतन भी करती है. मंगलवार को बिहार की राजधानी पटना स्थित इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में कुछ ऐसाही देखने को मिला. मधेपुरा के मुरलीगंज से आयी तिलिया देवी (45 वर्ष) ने अपने 24 वर्षीय बेटे पप्पू कुमार को अपनी किडनी देकर उसकी जान बचायी. पप्पू मधेपुरा में ही टीपी कॉलेज में एमए हिस्ट्री का छात्र है. दोनों की किडनी का सफल ट्रांसप्लांट किया गया. फिलहाल, मां और बेटा दोनों स्वस्थ हैं.

पटना से दिल्ली तक कर दिया था एक
तिलिया देवी के पति का नाम उमेश यादव है. दो भाई व एक बहन में पप्पू सबसे बड़ा है. वह मधेपुरा में ही टीपी कॉलेज में एमए हिस्ट्री का छात्र है. पप्पू को पूर्णिया में ही किडनी खराब होने का पता चल गया था. तिलिया देवी ने मधेपुरा के स्थानीय अस्पताल से लेकर दिल्ली एम्स में पप्पू की जांच करवायी. यहां भी उसका एक साल तक इलाज चला. डायलिसिस पर भी रहना पड़ा. अंत में जब किडनी पूरी तरह से खराब हो गयी, तो डॉक्टरों ने किडनी ट्रांसप्लांट कराने की सलाह दी. इसके बाद उसकी मां ने अपनी किडनी उसे दे दी.
बड़े बेटे की किडनी खराब होने की खबर से निकल गयी थी जान
पप्पू के पिता उमेश यादव ने बताया कि बेटे की जब किडनी खराब होने की जानकारी मिली, तो हम सब परेशान हो गये, लेकिन मेरी पत्नी ने हिम्मत नहीं हारी. वह दिल्ली एम्स व आइजीआइएमएस में किडनी ट्रांसप्लांट के बारे में जानकारी ली. उसने बेटे की भी हिम्मत बढ़ायी. यही वजह है कि ट्रांसप्लांट सफल रहा.
दिल्ली के डॉक्टरों ने किया किडनी ट्रांसप्लांट
इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के अपर चिकित्सा पदाधिकारी मनीष मंडल बताते हैं कि पप्पू के किडनी ट्रांसप्लांट को दिल्ली एम्स के विशेषज्ञ डॉ वी शीनू और उनकी टीम ने अंजाम दिया है. डोनर को 72 घंटे के बाद अस्पताल से छुट्टी मिल जायेगी. वहीं, मरीज को 14 दिन के बाद छुट्टी मिलेगी. हर तीन माह पर जांच करानी होगी. डॉ शीनू सात और ट्रांसप्लांट करेंगे.

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