आरके नीरद
बिहार में पिछले 24 घंटे में 16 लोगों की मौत हो गयी. इनमें ज्यादातर मौतें उन लोगों की हुई है, जिनके घर हैं.ठंड में बेघरों और असहायों को बचाना और भी बड़ी चुनौती है.अभी दिसंबर के 20 दिन और जनवरी का पूरा महीना बाकी है. सरकार औरराज्य के आपदा प्रबंधन विभागकी बड़ी चिंता जनवरी के अंतिम और जनवरी के पहले दो सप्ताह में ठंड से मौत को रोकने की है.
इस सदी के शुरुआती 14 सालों के आंकड़ों को देखें, तोठंड से अकेले बिहार में 1647 लोगों की मौत हुई. यानी हर साल औसतन करीब 118 लोग ठंड से मरे. ठंड से मौत के मामले में यह संख्या बिहार को देश में तीसरे नंबर पर खड़ा करती है. इस मामले में उत्तर प्रदेश पहले और पंजाब दूसरे नंबर पर हैं, जहां 2001 से 2014 के बीच क्रमश: 2623 और 1768 लोगों की मौत हुई. इस अवधि में शीत लहर से देश में हर साल 718 लोग मरे. 14 सालों में देश में कम-से-कम 10,933 लोगों की मौत ठंड से हुई. यह आंकड़ा ओपन सरकारी डाटा प्लेटफार्म (ओजीडी) का है. वैसे राज्य सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग के पास ठंड से मौत का आधिकारिक आंकड़ा नहीं है.
प्राकृतिक आपदा है शीत लहर
केंद्र सरकार ने 2012 में शीत लहर को प्राकृतिक आपदा की सूची में शामिल किया और आपदा प्रबंधन विभाग को इस पर सक्रिय किया गया. उस साल ठंड से देश भर में सबसे ज्यादा (करीब एक हजार) मौतें हुई थीं. दिसंबर के अंतिम सप्ताह में तापमान पांच डिग्री से नीचे चला गया था. राज्य सरकार शीत लहर से बचाव के लिए हर साल अलाव की व्यवस्था करती है और बेसहारा लोगों के बीच कंबल बांटती है. 2014 में 7381 क्विंटल लकड़ी जलायी गयी और 1600 कंबल बांटे गये.
मौत की बड़ी वजह बेघर
ठंड से मरने वालों की संख्या के मामले में बिहार भले तीसरे नंबर पर हो, बेघरों की संख्या और राज्य की जनसंख्या के अनुपात के आधार पर यह आंकड़ा उत्तर प्रदेश और पंजाब से ज्यादा गंभीर है. ठंड से मरने वालों में ज्यादातर बेघर लोग हैं. 2011 की जनगणना के मुताबिक देश में 449787 परिवार (17.73 लाख आबादी) और बिहार में 9818 परिवार (45.58 हजार आबादी) बेघर हैं. उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 18.56 प्रतिशत, पंजाब में 2.63 प्रतिशत और बिहार में 2.57 प्रतिशत बेघर हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 2001 एवं 2011 में बेघर लोगों को बेहतर आश्रय देने का आदेश दूसरे राज्यों के साथ-साथ बिहार को भी दिया .
फैक्ट्स : देश एक नजर
24.39 करोड़ परिवार देश में. 17.01 करोड़ (73.44 प्रतिशत) ग्रामीण और 6.97 करोड़ (26.56 प्रतिशत) शहरी.
90 लाख (5.03 प्रतिशत) ग्रामीण परिवारों में बेघर.
2.29 करोड़ (12.83 प्रतिशत) ग्रामीण परिवार की मुखिया महिला.
2.16 करोड़ (12.03 प्रतिशत) महिला मुखिया वाले ग्रामीण परिवार बेघर.
राज्य में एक दशक में चार हजार बढ़े बेघर
बिहार में बेघरों की तादाद बढ़कर 46 हजार हो गयी है. एक दशक पहले यह संख्या 42 हजार थी. बिहार में 9818 परिवारों के पास अपना घर नहीं है. इन परिवारों की कुल आबादी 45 584 है. इनमें 24 231 पुरूष हैं. इन बेघरों में 6775 परिवारों के 32993 सदस्य ग्रामीण इलाके में रहते हैं, जबकि शहरी क्षेत्र के 3043 परिवारों के 12591 लोगों के पास घर नहीं है. 28 फरवरी 2011 को देश भर में हुए सव्रेक्षण के इन ताजा आंकड़ों को जगनणना निदेशालय ने जारी कर दिया.
कौन होते हैं बेघर
ऐसे परिवार या परिवारों के सदस्य जो सड़क के किनारे, प्लेटफार्म, फ्लाई ओवर या सार्वजनिक स्थानों की सीढ़ियों के नीचे या ह्यूम पाइप में रहते हैं.
28 शहरों के बेघरों के लिए बनने हैं 50 हजार घर
राज्य समेकित शहरी विकास योजना के तहत सरकार शहरी इलाके में रहने वाले बेघरों के लिए 50 हजार आवासों का निर्माण सरकार को कराना है. पटना से सटे फुलवारीशरीफ में बने ऐसे 192 आवास बेघरों को दिये गये हैं.