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बिहार की धरती से गूंजेगी जनांदोलन की नयी आवाज, हिल जायेगी दिल्ली : मेधा
मंथन. जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय का राष्ट्रीय अधिवेशन शुरू पटना : बिहार प्रतिरोध की वह धरती है, जो स्थापित सत्ता के साथ संघर्ष करती रही है. इसी धरती पर हम सब एक साथ जुटे हैं और जन-आंदोलनों की नयी आवाज यहां से गूंजेगी. देश के 20 राज्यों के जन आंदोलनों के सिपाही इस धरती […]
मंथन. जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय का राष्ट्रीय अधिवेशन शुरू
पटना : बिहार प्रतिरोध की वह धरती है, जो स्थापित सत्ता के साथ संघर्ष करती रही है. इसी धरती पर हम सब एक साथ जुटे हैं और जन-आंदोलनों की नयी आवाज यहां से गूंजेगी. देश के 20 राज्यों के जन आंदोलनों के सिपाही इस धरती को नमन करें और यहां से ऊर्जा ग्रहण करें.
यहां से जो दिशा मिलेगी, उसकी ताप से दिल्ली तक हिल जायेगी.
हम दलीय राजनीति से आगे बढ़कर देश को नया विकल्प इसी धरती से देंगे. यह उद्घोषणा जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय के तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन के पहले दिन नर्मदा बचाओ आंदोलन की अगुवा मेधा पाटकर ने कीं. मेधा ने अपने संबोधन कहा कि आज दिल्ली में जो सरकार बैठी है उसकी नीतियों के कारण झारखंड से लेकर गुजरात और कश्मीर से लेकर हैदराबाद तक के हालात बुरे हैं. झारखंड के हजारीबाग में वहां की पुलिस ने चार आदिवासियों को अपनी जमीन का हक मांगने पर हत्या कर दी. ओड़िशा, झारखंड, छत्तीसगढ़ में नक्सल आंदोलन को समाप्त करने के नाम पर दमन का दौर चल रहा है. अधिवेशन चार दिसंबर तक चलेगा.
उन्होंने कहा कि कश्मीर की बात मत करिये. वहां बुरहान वानी शहीद हो गया, उसके पिता ने कहा कि उससे बड़ी उम्मीदें थीं. वहां जो आंदोलन हुए उसके बाद से पांच महीने से लगातार बंदी है. जेएनयू में स्टूडेंट ने संघर्ष छेड़ा, तो कन्हैया, उमर खालिद जैसे युवाओं को राक्षसी चेहरों के तौर पर पेश किया गया. हैदराबाद विवि में रोहित को प्रताड़ित किया गया. और आज वहां जो विवि चला रहे हैं, वे चेहरे कौन हैं?
सीतलवाड़ पहुंची पटना : चर्चित सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ शुक्रवार को पटना पहुंची. राष्ट्रीय अधिवेशन में शामिल होने के बाद उन्होंने शहर के कुछ बुद्धिजीवियों से बातचीत की.
केंद्र की योजनाओं पर भी उठाये सवाल
मेधा ने केंद्र की योजनाओं पर सवाल उठाते हुए कहा कि हर योजना औंधे मुंह गिरी है. वे राष्ट्रवाद का हौवा खड़ा कर दूसरों को देशद्रोही साबित कर रहे हैं. धर्म वापसी, घर वापसी के नाम पर पहले खेल चला. कलबुर्गी को मार डाला गया. हमलोग संविधान के तहत मांग करते हैं, तो हमें राष्ट्रदोही कहा जाता है. आज स्मार्ट सिटी के नाम पर इंदौर में कितने घर गिरा दिये गये. मध्य वर्ग अब टारगेट पर है. देखिए कि अंबानी, अडानी और टाटा के सपोर्ट से मोदी जीते और आज उनको क्या-क्या सुविधा नहीं दे रहे हैं. इसी कारण यह जन आंदोलन जरूरी है. जनतांत्रिक समाजवाद के लिए, मानवतावाद और समतावाद के लिए.
भारत में सौ साल पुराना जर्मनी है. कोई हिटलर के रोल में है, तो कोई गोएबल्स के रूप में. कश्मीर का बंद दुनिया का सबसे लंबा बंद होने जा रहा है. एक करोड़ की आबादी से खिलवाड़ किया जा रहा है. दुकान, स्कूल, कॉलेज बंद हैं. आर्मी वहां हर व्यक्ति के पीछे खड़ा है. इजराइल ने जो पैलेटगन फिलिस्तीन के लिए इस्तेमाल की, वही गन हमारे बच्चों पर यूज किया गया.
सुरेश खैरनाल, कश्मीर
20 राज्यों से हमारे एक हजार साथी यहां जुटे हैं. उन्हें मैं बताना चाहता हूं कि हम सांप्रदायिकता के खिलाफ हमेशा लड़ते आये हैं और लड़ते रहेंगे. 2015 में हमने उन ताकतों को हरा दिया. लेकिन दुख की बात यह है कि सुशासन के नाम पर आयी नीतीश सरकार भी हमें प्रताड़ित कर रही है.
आशीष रंजन, बिहार
गरीब आदिवासियों के साथ बस्तर में सरकार बुरा सुलूक कर रही है. आम आदिवासी को नक्सली बताकर मारा जा रहा है. कई की तो लाशें भी नहीं मिलीं और कई की मिली तो उस पर नक्सलियों की वर्दी थी. महिलाओं के साथ रेप किया जा रहा है. हजार से ज्यादा पुलिस वाले गांवों में लोगों को परेशान कर रहे हैं.
सुनीता, छत्तीसगढ़
मैं पहली ट्रासजेंडर इंजीनियर होने जा रही हूं, लेकिन हमें अभी भी लगता है कि हम दूसरे ग्रह की प्रजाति हैं. हमला और हिंसा झेलनी पड़ती है. संविधान के दिये अधिकार भी हमारे अपने नहीं हैं.
ग्रेस बून, तमिलनाडु
हम कॉलेजों में कैसा वातावरण तैयार कर रहे हैं. यदि हम सरकार के खिलाफ या ब्राह्मणवाद के खिलाफ बोलते हैं, तो टारगेट पर आ जाते हैं. यह खाओ, वह मत खाओ, यह करो वह मत करो, यह क्या है? हम याकूब मेमन और अफजल गुरु के समर्थन में वहां पर प्रदर्शन किये थे, लेकिन यह तो हमारा हक है. रोहित की अगुआई में हमने बिहार में नीतीश जी की सरकार बनने पर नवंबर में जश्न मनाया था क्योंकि मोदी की हवा को यहां पर उन्होंने रोक दिया था.
डाेंथा प्रशांत, हैदराबाद यूनिवर्सिटी, (रोहित वेमुला के दोस्त)
ओड़िशा में हमने प्रतिरोध को मानक बनाया है. ओड़िशा के मलकानगिरि जिला में आदिवासियों का कत्लेआम हुआ. सैकड़ों बच्चों की मौत जापानी इन्सेफलाइटिस से हो गयी, लेकिन हमने सरकार को आइना दिखाया. नियमगिरि पहाड़ को वेदांता को दे दिया गया था, जब आदिवासियों ने विरोध किया, तो सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि ग्रामसभा ही तय करेगी कि संसाधन पर किसका हक होगा?
लिंगराज आजाद, ओड़िशा
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