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रजिस्ट्रेशन नहीं कराने से व्यापार में हानि
जीएसटी. दो दिनों में 300 हुए रजिस्ट्रेशन, 15 दिसंबर है अखिरी तारीख अभी बिहार के दो लाख नौ हजार व्यापारियों के पास है वैट नंबर पटना : जीएसटीएन (गुड्स एंड सर्विस टैक्स नेटवर्क) के चेयरमैन नवीन कुमार ने कहा है कि देशभर में 1 अप्रैल, 2017 से समेकित कर प्रणाली जीएसटी लागू होने जा रही […]
जीएसटी. दो दिनों में 300 हुए रजिस्ट्रेशन, 15 दिसंबर है अखिरी तारीख
अभी बिहार के दो लाख नौ हजार व्यापारियों के पास है वैट नंबर
पटना : जीएसटीएन (गुड्स एंड सर्विस टैक्स नेटवर्क) के चेयरमैन नवीन कुमार ने कहा है कि देशभर में 1 अप्रैल, 2017 से समेकित कर प्रणाली जीएसटी लागू होने जा रही है. इसके तहत सभी व्यापारियों को जीएसटी पोर्टल या वेबसाइट पर अपना रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा. बिहार के व्यापारियों को इसमें निबंधन कराने के लिए 30 नवंबर से 15 दिसंबर तक की समयसीमा दी गयी है. जो व्यापारी इसमें अपना निबंधन नहीं करायेंगे, उन्हें जीएसटी लागू होने के बाद काफी नुकसान होगा.
नवीन कुमार बीआइए में ‘जीएसटी और आइटी’ विषय पर आयोजित सेमिनार को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि जीएसटी कर प्रणाली में जो व्यापारी अपना निबंधन नहीं करायेंगे, वे नये वित्तीय वर्ष से अपना रिटर्न फाइल नहीं कर पायेंगे और न ही किसी तरह का क्लेम ही कर पायेंगे. बिना जीएसएटी नंबर के वे व्यापार भी नहीं कर पायेंगे. निबंधन की प्रक्रिया बेहद ही सरल है. सिर्फ सात जानकारी ही देने की जरूरत है. बिहार में मौजूदा समय में वैट के तहत रजिस्टर्ड व्यापारियों की संख्या दो लाख नौ हजार है. पिछले दो दिनों से शुरू हुए जीएसटी निबंधन में 300 व्यापारियों ने अपना निबंधन कराया है. उम्मीद है 15 दिसंबर तक सभी व्यापारी अपना रजिस्ट्रेशन करवा लेंगे.
भरपाई नहीं हुई, तो आयेगा आर्थिक भूचाल: शैवाल
सेमिनार में स्वागत संबोधन आद्री के सदस्य सचिव शैवाल गुप्ता ने किया. उन्होंने कहा कि जीएसटीएन में बैकअप सपोर्ट की पूरी व्यवस्था की गयी है. ताकि इसकी हालत विमुद्रीकरण की तरह नहीं हो. वर्तमान में बिना किसी बैकअप के ही विमुद्रीकरण की घोषणा कर दी गयी, जिससे आर्थिक उथल-पुथल की स्थिति हो गयी है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को यह भी ध्यान देने की जरूरत है कि जीएसटी लागू होने के बाद बिहार को जो नुकसान होगा, उसकी भरपाई कैसे होगी. विमुद्रीकरण के बाद यह नुकसान बढ़कर करीब दो लाख करोड़ हो गया है. साथ ही विकास दर में दो प्रतिशत की गिरावट आने की संभावना है. ऐसे में नुकसान की भरपाई करने पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. अगर यह भरपाई नहीं हो पायी, तो आर्थिक भूचाल आ जायेगा.
जीएसटी में निबंधन कराने के बाद व्यापारियों को महज एक चालान और चार फॉर्म ही भरना पड़ेगा, जो वर्तमान वैट व्यवस्था के तहत 17 चालान भरना पड़ता है.
देश में पहली बार यह व्यवस्था होगी कि व्यापारी क्रेडिट या डेबिट कार्ड के अलावा एनइएफटी से भी अपना टैक्स जमा करवा सकते हैं. उन्हें जीएसटी पोर्टल से पहले चालान जेनरेट करना होगा.
चार तरीके ऑनलाइन, ऑफलाइन, बैंक और फंड ट्रांसफर प्रणाली से जीएसटी कर सकते हैं जमा. सभी 25 बैंकों में जमा किया जा सकता है इसे.
व्यापारियों को मिलेगी हर तरह की पारदर्शिता, अपना कैश लेजर, बकाया टैक्स की देनदारी, रिटर्न समेत अन्य सभी चीजें जीएसटी पोर्टल पर बने अपने एकाउंट में आइडी और पासवर्ड डालकर देख सकते हैं.
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