पटना : बिहार में नोटबंदी का सबसे ज्यादा असर लगन पर पड़ा है. नवंबर महीने में लगन ज्यादा है और वर पक्ष से लेकर कन्या पक्ष परेशान हैं कि शादी में सामग्री और लेन-देन का प्रबंध कैसे होगा. दूल्हा भी बैंक के चक्कर लगा रहा है. मैरेज हाउस बुक करने से लेकर खरीदारी तक के लिये पैसे की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है. एक मामला पश्चिम चंपारण के बेतिया का है जहां दूल्हा संदीप रोजाना एक सप्ताह से शादी का कार्ड लेकर बैंक के सामने कतार में खड़ा हो जाता है. संदीप ने बताया है कि उसकी शादी होने वाली है, बरात लौरिया जानी है. लौरिया की रहने वाली आशा से उसकी शादी तय हुई है. लेकिन पैसे की किल्लत की वजह से दूल्हा-दुल्हन परेशान हैं. एटीम के पास कतार में खड़े और बैंकों में लाइन में लगे कई लोगों का कहना है कि उनके यहां शादी है. कई लोगों ने यह भी बताया कि उनकी अपनी शादी है लेकिन वह पैसे के लिये बैंक की कतार में खड़े हैं.
मैरेज हॉल बुक करने में हो रही परेशानी
लगन के मौसम में शादी को लेकर लोग मैरेज हॉल बुक कर रहे हैं. एडवांस के तौर पर नकदी नहीं होने की वजह से कई लोग चेक से मैरेज हॉल बुक करा रहे हैं. बक्सर के रहने वाले गंगा सागर कहते हैं कि नोटबंदी की वजह से अब मैरेज हॉल की जगह शादियां स्कूल-कॉलेज के कैंपस और पार्कों के साथ मुहल्लों में हो रही है. बरात को स्कूलों में ठहराया जा रहा है. गंगा सागर करहते हैं कि नोटबंदी ने शादी वाले घरों पर जोर का झटका दिया है. बैंकों में भीड़ ने और जख्म को गहरा कर दिया है. दूल्हा सारी रश्मों को छोड़कर लाइन में लगे हुए हैं तो दुल्हन पक्ष वाले शादी का कार्ड लेकर बैंक दर बैंक भटक रहे हैं. सफलताकिसी-किसी को ही मिल रही है.
पहले नोट बाद में रस्म
शादी वाले घरों में लोग रस्म अदायगी को बाद में पहले नोट को बैंक से लाने में लगे हुए हैं. रिश्तेदार को भी कतार में खड़ा रहना पड़ रहा है. बेतिया के संदीप की शादी में आये रमेश कहते हैं कि वह अपने खाते से पैसे निकालने की कोशिश में बैंक ऑफ बड़ौदा की कतार में दिन भर खड़े रहे. लोगों का कहना है कि पैसे रहेंगे तब ही रस्म अदायगी हो पायेगी. रिवाज को निभाने में भी पैसे देने पड़ते हैं.
घर में संगीत और हल्दी दूल्हा बैंक में
संदीप के घर संगीत और हल्की की रस्में चल रही है, लेकिन संदीन अपनी शादी का कार्ड लेकर बैंक का चक्कर काट रहे हैं. बिहार के कई ऐसे शादी वाले घरों में दूल्हा बनने वाले इसी तरह बैंकों की लाइन में लगे हुए हैं. ग्रामीण इलाकों में कैश की कमी है. इसलिए लोगों को और ज्यादा परेशानी हो रही है. शादी के खर्चे में कटौती की जा रही है. बैंड बाजा की जगह घर के रिकार्डिंग डांस और गाने भी चल रहे हैं. शामियाना और टेंट की जगह सार्वजनिक स्थानों पर बरात को ठहराया जा रहा है.