दुल्हिनबाजार. पुत्र धन ही एक ऐसा धन है जो प्रत्येक मनुष्यों को बुढ़ापे का सहारा बनता है, जिसे प्राप्त करने के लिए मनुष्य सदियों से विभिन्न प्रकार के प्रयास करते आये हैं. उदाहरण स्वरूप त्रेता युग में राजा दशरथ ने भी पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ करवाया था, जिसके फलस्वरूप उन्हें पुत्र धन के रूप में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की प्राप्ति हुई थी. यह बातें देर शाम गुरुवार को ओलार्क सूर्य मंदिर परिसर में आयोजित पांच दिवसीय उलार्क महोत्सव के तीसरे दिन अयोध्या से आये संगीतमय रामकथा वाचक श्री रामसुंदर दास उर्फ सुमन जी महाराज ने कही.
उन्होंने राम जन्म की कथा सुनाने के समय श्री राम के जन्म लेने के प्रसंग के दौरान जन्म के मौके पर गायी जानेवाली संगीत सुनाया तो श्रोता खुशी से झूम उठे.