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जब डॉक्टरों के नाम-पता हैं तो कार्रवाई क्यों नहीं की

पैसे लेकर दवा िलखने का मामला, हाइकोर्ट ने पूछा पटना : पटना हाइकोर्ट ने एक दवा कंपनी से पैसे लेकर उसकी दवाएं लिखने के मामले में डॉक्टरों पर कार्रवाई नहीं करने पर सरकार व मेडिकल काउंसिल आॅफ इंडिया (एमसीआइ) को फटकार लगायी है. कोर्ट ने पूछा है कि दवा कंपनी ने जब 18 डॉक्टरों के […]

पैसे लेकर दवा िलखने का मामला, हाइकोर्ट ने पूछा
पटना : पटना हाइकोर्ट ने एक दवा कंपनी से पैसे लेकर उसकी दवाएं लिखने के मामले में डॉक्टरों पर कार्रवाई नहीं करने पर सरकार व मेडिकल काउंसिल आॅफ इंडिया (एमसीआइ) को फटकार लगायी है. कोर्ट ने पूछा है कि दवा कंपनी ने जब 18 डॉक्टरों के नाम बता दिये हैं, तो एमसीआइ अब तक क्यों सोया हुआ है. इन डाॅक्टरों पर क्यों नहीं कार्रवाई की गयी?
एमसीआइ ने अपने जवाबी हलफनामे में राज्य के उन 18 डाॅक्टरों के नाम उजागर किये हैं, जिन्होंने एक दवा कंपनी से पैसा लेकर उसकी दवाएं मरीजों को लिखी हैं. कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस विकास जैन के कोर्ट ने बुधवार को इस मामले में सुमंत सामंत राय की जनहित याचिका की सुनवाई की, जिसके दौरान एमसीआइ ने यह खुलासा किया. इन डॉक्टरों में पटना के दर्जन भर से अधिक नामी-गिरामी डॉक्टर हैं.
इसके अलावा मुंगेर, बेगूसराय, पूर्णिया, हाजीपुर के भी डाॅक्टरों के भी नाम हैं. एमसीआइ के हलफनामे में कहा गया है कि दवा कंपनी ने दवाएं लिखने के एवज में इन डाॅक्टरों को 70 हजार से 27 लाख रुपये नकद और विदेश यात्रा भी करायी है. पटना के एएन काॅलेज के निकट प्रैक्टिस करनेवाले डाॅक्टर को सबसे अधिक 27 लाख रुपये नकद और एक फ्लैट उपलब्ध कराया गया है. दूसरे नंबर पर पटना के दो बड़े गैस्ट्रोइंट्रोलॉजिस्ट हैं, जिन्हें दो लाख नकद के अलावा विदेश यात्रा की सुविधा मुहैया करायी गयी है.
इन डॉक्टरों पर अब तक कार्रवाई नहीं होने को लेकर कोर्ट ने कहा कि क्यों नहीं एमसीआइ के राष्ट्रीय अध्यक्ष को कोर्ट में बुलाया जाये. इस पर एमसीआइ की ओर से वकील ने कहा कि यह मामला बिहार शाखा से संबद्ध है. वकील ने कहा कि एक दवा कंपनी ने स्वीकार किया है कि उसने पूरे देश के तीन सौ डाॅक्टरों को दवा लिखने के एवज में नकद, फ्लैट और विदेश भ्रमण कराया है. वकील ने यह भी बताया कि एमसीआइ ने सभी डाॅक्टरों को नोटिस जारी किया है, जिनमें कुछ डाॅक्टरों ने अपनी सफाई भी दी है.
सुनवाई के दौरान जस्टिस विकास जैन ने इस मामले की सुनवाई से अपने को अलग रखने की घोषणा की, इसके बाद सुनवाई को टाल दिया गया. अब दूसरी बेंच में यह मामला सुनवाई के लिए आयेगा.

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