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शहीदों का दर्द सुन नम हुई आंखें

पटना सिटी : सोमवार को गुलजारबाग इमाम बारगाह इमाम बंदी बेगम वफ्फ स्टेट में निकाले गये बहत्तर ताबूत जुलूस का. हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 अंसारों की शहादत का जिक्र जब एक के बाद एक आरंभ हुआ,तब उपस्थित जायरीन की आंखें नम हो गयी. अबुल हसन सुलैमानी ने सबसे पहले तलावते- कलाम-पाक से शुरूआत […]

पटना सिटी : सोमवार को गुलजारबाग इमाम बारगाह इमाम बंदी बेगम वफ्फ स्टेट में निकाले गये बहत्तर ताबूत जुलूस का. हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 अंसारों की शहादत का जिक्र जब एक के बाद एक आरंभ हुआ,तब उपस्थित जायरीन की आंखें नम हो गयी. अबुल हसन सुलैमानी ने सबसे पहले तलावते- कलाम-पाक से शुरूआत की. सैयद जररार हुसैन ने सोजखानी व सैयद फररूख हुसैन नकवी ने मर्सिया पढ़ा. मजलिस मेंे अली जनाब मौलाना सैयद मोहम्मद असकरी तकरीर की.
फिर शुरु हुआ एक-एक कर शहीदों के शहादत की गाथा. बहत्तर ताबूत के मंजर को जीवंत करते मौलाना सैयद कैसर जौनपुरी ने जब एक-एक शहीदों का जिक्र करते और उनका ताबुत निकाल उपस्थित जायरीनों के बीच लाया जाता, तब जायरीन की आंसू और तेज हो जाती.
यह सिलसिला अली अकबर के ताबूत से लेकर छह माह के अली असगर के झूला लेकर लोग बाहर आये, तब उपस्थित महिलाएं व बच्चों के आंसू और तेज हो गया.
करबला के आखिरी शहीद हजरत इमाम हुसैन तक का ताबूत निकाला गया. कार्यक्रम के अंत में मुसा अली हाशमी ने सलाम पेश किया.
20 वर्षों का है सफर
72 ताबूत आयोजन समिति से जुड़े सैयद हादी हसन, मिर्जा, इम्तेयाज हैदर, सैयद अमानत अब्बास और सैयद असगर इमाम ने बताया कि 20 वर्षों से यह आयोजन हो रहा है. इन लोगों के अनुसार वर्ष 1998 से इसकी शुरुआत की गयी है. इस तरह का आयोजन बिहार में अकेले होता है.
इसमें शामिल होने के लिए देश के उतर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड व सूबे के विभिन्न जिलों से जायरीन और मौलाना आते है. बहतर ताबूत का सिलसिला देर शाम तक चलता रहा. आयोजकों के अनुसार देशभर में लखनऊ, कानपुर, मुरादाबाद व फैजाबाद में यह आयोजित होता है.

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