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आरबीआइ की सभी शाखाओं से एक दिन में एक्सचेंज हुए 10 करोड़ के पुराने नोट

पटना: नोटबंदी के बाद देशभर में मौजूद आरबीआइ की शाखाओं में पुराने नोटों को एक्सचेंज करने के लिए लोगों की होड़ मची हुई है. आइबीआइ के अनुसार, सिर्फ 10 नवंबर को उसकी सभी शाखाओं में 10 करोड़ रुपये के पुराने नोट एक्सचेंज या बदले गये थे. 11 और 12 नवंबर को भी यह सिलसिला जारी […]

पटना: नोटबंदी के बाद देशभर में मौजूद आरबीआइ की शाखाओं में पुराने नोटों को एक्सचेंज करने के लिए लोगों की होड़ मची हुई है. आइबीआइ के अनुसार, सिर्फ 10 नवंबर को उसकी सभी शाखाओं में 10 करोड़ रुपये के पुराने नोट एक्सचेंज या बदले गये थे. 11 और 12 नवंबर को भी यह सिलसिला जारी रहा, लेकिन इसका सटीक आंकड़ा तैयार किया जा रहा है.

आरबीआइ की पटना शाखा में शनिवार (12 नवंबर) को करीब 1400 लोगों ने अपने पुराने नोट बदले. चार हजार प्रति व्यक्ति की निर्धारित सीमा के हिसाब से यह 56 लाख होता है. इससे पहले 10 नवंबर को 1300 और 11 नवंबर को करीब 1500 लोगों ने 500 और हजार के पुराने नोटों को बदला था. आरबीआइ का कहना है कि वह देशभर में मौजूद उसके चार हजार के ज्यादा ‘करेंसी चेस्ट’ में नये करेंसी को लगातार मुहैया कराया जा रहा है. ताकि किसी भी हालत में इसकी कमी नहीं हो.

बिहार में भी विभिन्न स्थानों पर मौजूद दो दर्जन करेंसी चेस्ट में करेंसी सप्लाई लगातार की जा रही है. इन स्थानों से ये रुपये सभी बैंकों में आसानी से मुहैया हो सके. परंतु बैंकों में लोगों के हुजूम के कारण इनकी डिमांड इतनी ज्यादा है कि रुपये लगातार कम पड़ जा रहे हैं. विशेषकर ग्रामीण इलाकों में मौजूद बैंक की शाखाओं तक रुपये नहीं पहुंच पा रहे हैं. इस कारण से इन शाखाओं में ज्यादातर डिपोजिट लेने का ही काम किया जा रहा है. एक्सचेंज का काम काफी कम संख्या में हो पा रहा है. नोटों की कमी लगातार बनी हुई है. इस कारण एक्सचेंज करने में काफी समस्या आ रही है. आरबीआइ ने लोगों को लेन-देन और अन्य तरह के ट्रांजेक्शन में क्रेडिट या डेबिट कार्ड का उपयोग ज्यादा करने का सुझाव दिया है.
450 करोड़ खातों में जमा
बिहार में मौजूद ग्रामीण और शहरी 6692 (छह हजार 992) बैंक शाखाओं में तीसरे दिन करीब 450 करोड़ रुपये खातों में जमा हुए. इसमें अधिकांश 500 और हजार के पुराने नोट ही शामिल थे. पहले दिन बैंकों में करीब 300 करोड़ और दूसरे दिन करीब 400 करोड़ रुपये जमा किये गये थे. तीसरे दिन बैंकों में एक्सचेंज की संख्या भी करोड़ों में रही, लेकिन इसका सटीक आकलन अभी नहीं किया जा सका है. हालांकि इसके करीब 300 करोड़ के आसपास होने का अनुमान है. एटीएम मशीनें अभी भी पूरी तरह से काम नहीं कर पा रही हैं. इसका मुख्य कारण इनका 500 और दो हजार के नये नोटों के मुताबिक रिकैलीब्रेट नहीं होना है. एटीएम के सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर इसके हिसाब से तैयार करने में समय लग रहा है. इस वजह से एटीएम काम नहीं कर पा रहे हैं.

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