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अक्षय नवमी आज, सोमवार तक हर दिन व्रत
पटना : दशहरा से लेकर छठ तक चला आ रहा व्रत त्योहारों का क्रम अभी थमने वाला नहीं है. आज से अगले छह दिनों तक रोज व्रत-त्योहार मनाये जायेंगे. बुधवार को अक्षय नवमी का व्रत मनाया जायेगा. वहीं, गुरुवार को देवोत्थान एकादशी जिसे जेठान भी कहते हैं, मनायी जायेगी. शुक्रवार को तुलसी विवाह का आयोजन […]
पटना : दशहरा से लेकर छठ तक चला आ रहा व्रत त्योहारों का क्रम अभी थमने वाला नहीं है. आज से अगले छह दिनों तक रोज व्रत-त्योहार मनाये जायेंगे. बुधवार को अक्षय नवमी का व्रत मनाया जायेगा. वहीं, गुरुवार को देवोत्थान एकादशी जिसे जेठान भी कहते हैं, मनायी जायेगी. शुक्रवार को तुलसी विवाह का आयोजन होगा, तो शनिवार को शनि त्रयोदशी का व्रत किया जायेगा. रविवार को वैकुंठ चतुर्दशी का व्रत होगा और सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा का स्नान-ध्यान और पूजन.
अक्षय नवमी पर श्रद्धालु करेंगे भुआ में गुप्तदान : कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी को अक्षय नवमी मनायी जाती है. इस दिन स्नान, पूजन, तर्पण व अन्न दान करने से मनोकामना पूरी होती है. अक्षय नवमी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने का नियम है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आंवले का वृक्ष भगवान विष्णु को अतिप्रिय है, क्योंकि इसमें लक्ष्मी का वास होता है.
इसलिए इसकी पूजा विष्णु-लक्ष्मी की पूजा करने के समान है. इस दिन व्रत करने से सभी मनोकामना पूरी होती है. इस दिन गुप्त दान करना शुभ माना जाता है. नवमी के दिन आंवला वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर खाने का विशेष महत्व है. आंवले का रस मिलाकर नहाने से आपके ईर्द-गिर्द जितनी भी नेगेटिव ऊर्जा होगी वह समाप्त हो जायेगी. आज दान का विशेष महत्व है इस कारण लोग भुआ जिसे कुष्मांड या कोहरा भी कहते हैं उसमें रुपये आदि रख कर ब्राह्मणों को गुप्त दान देते हैं.
देवोत्थान एकादशी पर जागेंगे नारायण : देवोत्थान एकादशी पर भगवान विष्णु जागेंगे. 10 नवंबर को एकादशी पर नारायण में आस्था रखने वाले लोग उपवास करते हैं. बिहार में इसे जेठान के रूपमें भी जाना जाता है, मगध के इलाके में ईख खाने का प्रचलन है. शुक्रवार को लोग तुलसी विवाह का आयोजन करेंगे.
विष्णु प्रिय तुलसी की पूजा पूरे विधान से की जायेगी. शनिवार को शनि त्रयोदशी के दिन शनिदेव की विशेष पूजा-अर्चना होगी, इसमें ढैया और साढ़ेसाती से पीड़ित आराधना करेंगे. इसके बाद कार्तिक पूर्णिमा जिसे शरद पूर्णिमा भी कहा जाता है, इस दिन जलाशयों में स्नान के लिए लोग उमड़ेंगे. स्नान दान के लिए इस पर्व को बिहार में बड़े पैमाने पर मनाया जाता है.
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