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इस साल 500 से अधिक बच्चे हुए लापता
दस साल में 1463 बच्चे मिसिंग, 195 ही हुए बरामद, बाकी ट्रेसलेस अनुपम कुमारी पटना : एक तरफ सरकार बच्चों के कल्याण के लिए योजनाएं चला रही हैं. वहीं, दूसरी ओर राज्य से बढ़ी संख्या में बच्चे लापता हो रहे हैं. चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम के आंकड़े बताते हैं कि इस साल बिहार से 500 से […]
दस साल में 1463 बच्चे मिसिंग, 195 ही हुए बरामद, बाकी ट्रेसलेस
अनुपम कुमारी
पटना : एक तरफ सरकार बच्चों के कल्याण के लिए योजनाएं चला रही हैं. वहीं, दूसरी ओर राज्य से बढ़ी संख्या में बच्चे लापता हो रहे हैं. चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम के आंकड़े बताते हैं कि इस साल बिहार से 500 से अधिक बच्चे लापता हुए. पिछले दस सालों में लगभग 1463 बच्चों के लापता होने की जानकारी दर्ज की गयी है. इन लापता बच्चों में से अब तक मात्र 195 की ही ट्रैकिंग हो सकी है, यानी उनकी पहचान हुई. शेष 1268 बच्चे अब भी गायब हैं. ये बच्चे कहां हैं, इनकी पहचान की जा रही है.
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से नेशनल इनफाॅरमेंशन सिस्टम के तहत देश भर के मिसिंग बच्चों की वेबसाइट बनायी गयी है. बिहार को भी इस वर्ष वेबसाइट से जोड़ा गया है. इसके तहत अब तक बिहार में पुलिस थानों द्वारा दर्ज एफआइआर के आधार पर 1463 बच्चों के गायब होने की सूचना दर्ज की गयी है. इनमें 97 बच्चों को ढूंढ निकाला गया है.
वहीं, पुलिस द्वारा खोजे गये बच्चों की संख्या 177 हैं. इनमें 98 बच्चों का पता लगाया गया है और शेष 79 बच्चे प्रोसेस में हैं, जिन्हें खोजा जा रहा है. ये सभी बच्चे पांच से 18 वर्ष के हैं. इन बच्चों को खोजने का प्रयास किया जा तो रहा है, लेकिन इसकी रफ्तार अब धीमी है. क्योंकि, बिहार के 1268 बच्चे कहां है. इसकी जानकारी अब तक नहीं है.
सबसे अधिक इस्ट चंपारण से बच्चे गायब हैं. इसके बाद दूसरे स्थान पर मुजफ्फरपुर, पटना और नालंदा है. जहां से अधिक संख्या में बच्चे गायब हैं. इस्ट चंपारण से 254 बच्चे, मुजफ्फरपुर से 130, पटना से 106 और नालंदा से 88 बच्चे गायब हैं. पिछले एक वर्ष में 531 बच्चे लापता हुए, इनमें 116 बच्चों को ढूंढ़ा गया है. वहीं, पिछले एक महीने में 36 बच्चे गायब हुए हैं. जिनमें से अब तक केवल छह ही बच्चे
मिले हैं.
पोर्टल ऐसे कर रहा काम समाज कल्याण विभाग व अनुसंधान कमजोर वर्ग के संयुक्त पहल से नेशनल इनफाॅरमेशन सिस्टम के तहत इसका संचालन किया जा रहा है. www.trackthemissingchild.gov.in वेबसाइट पर जाकर कोई भी व्यक्ति खोये बच्चे के बारे में जानकारी लेना चाहें, तो वह आसानी से ले सकते हैं. यदि कोई व्यक्ति किसी गुमशुदा बच्चे की मदद करना चाहें, तो वे भी इस वेबसाइट पर जाकर सूचना फाॅर्म पर बच्चे का डिटेल और फोटो डाल सकते हैं. इनफाॅरमेशन मिलते ही, उस बच्चे को ट्रैक किया जायेगा.
कल्याण समिति की गयी गठित : इसके लिए पूरे बिहार के जिला पुलिस की गोपनीय शाखा में काम किया जा रहा है. बाल कल्याण समिति गठित की गयी है. प्रत्येक समिति को एसपी गाेपनीय शाखा से जोड़ी गयी है. थाने में दर्ज मिसिंग बच्चों की एफआइआर को पोर्टल पर डाला जा रहा है.
पोर्टल पर दर्ज बच्चों के डिटले के अनुसार समिति खोये बच्चों की सूचना जिला स्तर पर एकत्रित कर उन्हें पुनर्वासित कर रही है, लेकिन इसकी रफतार धीमी है. इसकी मॉनीटरिंग समाज कल्याण विभाग द्वारा और तकनीकी सहयोग यूनिसेफ द्वारा की जा रही है.बिहार में लगभग 50 होम चलाये जा रहे हैं.
सभी थानों द्वारा मिसिंग बच्चों की एफआइआर अनिवार्य रूप से दर्ज की जानी है. साथ ही पुलिस को मिले बच्चों की सूचना पोटर्ल पर दर्ज की जा रही है. ताकि उन बच्चों को पुनर्वासित किया जा सके. कोई भी व्यक्ती अपने खोये बच्चे की सूचना देने से लेकर उसे देख सकते हैं.
अनिल कुमार सिन्हा, नोडल अफसर, चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम सह आइजी कमजोर वर्ग
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