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उठाओ फायदा कन्या सुरक्षा योजना का

जन्म से बेटियों की देखभाल बिहार में बेटियों की सुरक्षा को लेकर वर्ष 2007-08 में मुख्यमंत्री कन्या सुरक्षा योजना की शुरुआत की गयी. इसके तहत जन्म के साथ उनकी देखभाल की व्यवस्था है. अब तक लगभग 15 लाख बेटियां लाभान्वित हो चुकी हैं. यो जना के तहत 2007 से 12 तक 14 लाख 87 हजार […]

जन्म से बेटियों की देखभाल
बिहार में बेटियों की सुरक्षा को लेकर वर्ष 2007-08 में मुख्यमंत्री कन्या सुरक्षा योजना की शुरुआत की गयी. इसके तहत जन्म के साथ उनकी देखभाल की व्यवस्था है. अब तक लगभग 15 लाख बेटियां लाभान्वित हो चुकी हैं.
यो जना के तहत 2007 से 12 तक 14 लाख 87 हजार 828 बेटियों को लाभ मिल चुका है. वित्तीय वर्ष 2015-16 के तहत पूरे बिहार भर से 2 लाख 28 हजार बेटियों के आवेदन अाये. इसके तहत अब तक एक लाख नौ हजार बेटियों को जोड़ा गया है. अब तक कुल 300 करोड़ रुपये खर्च किये गये हैं. योजना का संचालन 38 जिले के 544 ब्लॉक 80211 आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिये की जा रही है. वित्तीय वर्ष 2016-17 में योजना के संचालन के लिए कुल 12 करोड़ राशि निर्गत की गयी है. इसमें करीब 240,633 बेटियों काे जोड़ने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
ऐसी है योजना
मुख्यमंत्री कन्या सुरक्षा योजना के तहत बीपीएल परिवार में 22 नवंबर 2007 के बाद जन्म लेने वाली बेटियों को सरकार की ओर से 2000 रुपये का निवेश प्रमाण पत्र दिया जाता है. यह निवेश आइडीबीआई और यूको बैंक के चिल्ड्रेन कैरियर वैलेंस प्लान फंड में निवेश किया जाता है. 18 वर्ष पूरे होने पर उसकी पूरी राशि कन्या के नाम उपलब्ध करा दी जाती है.
ये हैं उद्देश्य
समाज में बेटियों के जन्म को बढ़ावा देने, लिंग-भेद की समस्या को दूर करने , कन्या भ्रूण हत्या को रोकने, लिंगानुपात को बढ़ाने और जन्म-निबंधन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इसकी शुरुआत की गयी है. ताकि गरीब परिवार में जन्मी बेटियों की उचित देखभाल की जा सके. इसके लिए जन्म के साथ उनकी देखभाल की व्यवस्था की गयी है.
ऐसे करें आवेदन : सभी जिलों के आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिये कोई भी बीपीएलपरिवार तीन वर्ष की दाे बेटियों के लिए आवेदन कर सकते हैं. इसके लिए बच्चियों का एक वर्ष के भीतर जन्म निबंधन कराना होगा. आवेदन आंगनबाड़ी केंद्रों में जमा किया जाना है.
ऐसे होती है जांच : केंद्रों से आवेदन सीडीपीओ के पास भेजा जाता है. उसकी सत्यता की जांच कर आवेदन जिला कार्यक्रम पदाधिकारी के पास से बैंक में भेज दिये जाते हैं. बैंक द्वारा एफडी कर वापस उसी क्रम में आंगनबाड़ी केंद्रों पर बचत पत्र भेज दिया जाता है.

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