पटना: ट्रेनों में बिना साफ किये बेडरॉल की सप्लाइ के खुलासे के बाद अब कोच की धुलाई में भी गोलमाल प्रकाश में आया है. कोच धुलाई के लिए रेलवे व ठेकेदार के बीच जिन शर्तो पर करार हुआ है, वैसा हो नहीं हो रहा है.
ब्रांडेड केमिकल व प्रेशर मशीन का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. 24 की जगह महज पांच लोग धुलाई कर रहे हैं. जबकि, हर माह 25 लाख रुपये का भुगतान किया जा रहा है.
राजेंद्रनगर डिपो में कोच धुलाई की हकीकत जानने के लिए प्रभात खबर ने शुक्रवार को जब पड़ताल की, तो गोलमाल का खेल बेनकाब हो गया. दिन के 2.30 बजे यार्ड में राजधानी एक्सप्रेस की धुलाई हो रही थी. सिर्फ पांच लोग कोच को बाहर से धो रहे थे. जबकि, राजधानी के 21 कोचों की धुलाई के लिए 42 लोगों और पानी भरने के लिए दो अन्य लोगों को लगाये जाने की शर्त है. ब्रांडेड केमिकल की जगह मामूली वाशिंग पाउडर के घोल का प्रयोग किया जा रहा था.
नहीं दिखीं मशीनें
डिपो में कोच धुलाई के लिए हाइ प्रेशर मशीन का इस्तेमाल होना है. इस मशीन से पानी की खपत कम होती है और फोर्स से पानी निकलने के कारण ठीक ढंग से सफाई हो पाती है. कोच के अंदर फर्श को धुलने के लिए स्क्रबर मशीन और पानी सुखाने के लिए वैक्यूम मशीन के प्रयोग का प्रावधान है. लेकिन, राजधानी एक्सप्रेस की धुलाई के दौरान कोई मशीन नहीं दिखी. लोग हाथ से सफाई कर रहे थे.
मैनपावर की भी कमी
ठेके के करारनामे में यह तय है कि राजधानी एक्सप्रेस के कोच की धुलाई में प्रति कोच दो आदमी और पानी भरने के लिए दो अन्य लोग लगाये जायेंगे. अन्य ट्रेन की धुलाई में प्रति कोच एक आदमी व पानी भरने के लिए दो लोग अलग से लगेंगे. इस प्रकार राजधानी की धुलाई में कु ल 44 लोग व अन्य ट्रेनों में करीब 26 लोगों की आवश्यकता होती है. पर, शुक्रवार को जब इसकी पड़ताल हुई, तो राजधानी एक्सप्रेस की धुलाई में सिर्फ पांच लोग मिले.
इन केमिकलों का होना चाहिए इस्तेमाल
आरटू स्पाइरल प्रति कोच 130
एमएल
बाहर से रेल क्लीन टाइप टू/
स्पाइरल 100 एमएल प्रति कोच
शौचालय के लिए टासकी आर्बन
90 एमएल प्रति कोच
अच्छी खुशबू के लिए लाइजोल 20
एमएल प्रति कोच
ग्लास सफाई के लिए कोलिन,
मॉकलेन 40 एमएल प्रति कोच
स्टील पार्ट के लिए सूमा इनाक्स
10 एमएल प्रति कोच
स्टिकर हटाने के लिए स्टोल स्टेंजा
5 एमएल प्रति कोच
पान गुटखा का दाग हटाने के लिए
स्टोल सुप्रीम 3 एमएल प्रति कोच
सात करोड़ का ठेका
पूर्व मध्य रेलवे ने वर्ष 2013 के फरवरी में राजेंद्र नगर कोच डिपो की सफाई के लिए 6 करोड़ 99 लाख में ठेका किया था. विशाखा मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने तीन साल के लिए कोच धुलाई का ठेका लिया है. एकरारनामे में गाड़ी के यार्ड में पहुंचने के बाद कोच के बाथ रूम, कोच फ्लोर, बाहरी हिस्से और नीचेवाले पार्ट को धोना है.
बिलिंग में धांधली
कोच की धुलाई में भुगतान प्रक्रिया के जरिये धांधली की जाती है. ठेकेदार की तरफ से निर्धारित मैन पावर की जगह 25 फीसदी से ही काम लिया जाता है और गिनती 24 लोगों की होती है. ब्रांडेड कैमिकल की जगह सस्ते वॉशिंग पाउडर का इस्तेमाल किया जाता है. मशीन का प्रयोग होता ही नहीं है. इन सारी खामियों को छुपाने के लिए जुर्माने की जगह पर कमीशन तय होता है.
होगी जांच
कोच में गंदगी की शिकायत मिली, तो उसकी जांच कर कर कार्रवाई की जायेगी.
आरके सिंह, पीआरओ दानापुर, पूर्व मध्य रेलवे
यह है जुर्माने का प्रावधान
यात्री के शिकायत करने पर
1000 रुपये
जांच में गंदगी मिलने पर 500 रुपये
यार्ड का ट्रैक गंदा रहने पर 500
रुपये का जुर्माना
कोच में सफाई नहीं रहने पर 1000
रुपये