28.8 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बिना रजिस्ट्रेशनवाले डॉक्टरों पर होगा केस, बिहार राज्य होमियोपैथी बोर्ड ने दी चेतावनी

पटना : बिहार राज्य होमियोपैथी चिकित्सा बोर्ड ने पिता और दादा के रजिस्ट्रेशन के आधार पर प्रैक्टिस करनेवाले डॉक्टरों पर मुकदमा करने की तैयारी कर ली है. बोर्ड ऐसे सभी डॉक्टरों को आगाह किया है कि मृत डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन के आधार पर होमियोपैथ की प्रैक्टिस नहीं करें और अपने नैतिक दायित्व को समझते हुए […]

पटना : बिहार राज्य होमियोपैथी चिकित्सा बोर्ड ने पिता और दादा के रजिस्ट्रेशन के आधार पर प्रैक्टिस करनेवाले डॉक्टरों पर मुकदमा करने की तैयारी कर ली है. बोर्ड ऐसे सभी डॉक्टरों को आगाह किया है कि मृत डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन के आधार पर होमियोपैथ की प्रैक्टिस नहीं करें और अपने नैतिक दायित्व को समझते हुए मृत डॉक्टरों के बारे में साक्ष्य बोर्ड को उपलब्ध करा दें.
इससे मृत डॉक्टरों का नाम बोर्ड की रजिस्ट्रेशन सूची से हटाया जा सके. अनुमान है कि राज्य में 14 हजार ऐसे होमियोपैथी प्रैक्टिशनर हैं, जो अपने पिता या दादा के नाम पर या तो प्रैक्टिस कर रहे हैं या उनका नाम बोर्ड की रजिस्ट्रेशन सूची से रद्द नहीं कराया गया है. ऐसे गैर अधिकृत लोगों के खिलाफ बोर्ड मुकदमा करने की तैयारी कर चुका है.
राज्य होमियोपैथी चिकित्सा बोर्ड की रजिस्ट्रेशन सूची में करीब 32 हजार डॉक्टर के नाम हैं. इस वर्ष होनेवाले रिन्युअल में करीब 31 हजार से अधिक डॉक्टरों का आवेदन व शुल्क बोर्ड में जमा कराया जा चुका है. बोर्ड को यह पुख्ता जानकारी मिल रही है वैसे डॉक्टरों के नामों का भी रिन्युअल कराया जा रहा है, जिनके मरे हुए करीब 15-20 वर्ष हो चुका है. ऐसे डॉक्टर मशहूर रहे हैं और उनकी ख्याति रही है. पर, उन डॉक्टरों के परिजनों द्वारा हर साल रिन्युअल कराया जाता रहा है. इसके उदाहरण रहे हैं पटना के डॉ देवांशु बनर्जी और डॉ बी साहनी. इनके जैसे अन्य डॉक्टरों के नाम का भी रिन्युअल होता रहता है. इससे यह जानकारी ही नहीं मिलती कि राज्य में वास्तविक रूप से कितने होमियोपैथ के क्षेत्र में लोग प्रैक्टिस कर रहे हैं. बोर्ड ने ऐसे लोगों को आगाह करने के लिए विज्ञापन के माध्यम से सार्वजनिक सूचना दी है.
बोर्ड के अध्यक्ष डॉ एस चंद्रा ने बताया कि सभी डॉक्टरों को रजिस्ट्रेशन के बाद हर साल इसका नवीकरण कराना आवश्यक है. अगर डॉक्टर अपना नवीकरण नहीं कराते हैं तो उनका नाम रजिस्ट्रेशन सूची से हटा दिया जायेगा. उन्होंने बताया कि बिहार डेवलपमेंट ऑफ होमियोपैथी सिस्टम ऑफ मेडिसिन एक्ट 1953 के अनुसार राज्य रजिस्ट्रेशन पंजी से नाम हटाने की प्रक्रिया आरंभ की जानी है. इसके लिए मृत डॉक्टरों के परिजनों को सूचना दी जी रही है कि वे जो डॉक्टर मृत हो गये हैं उनका साक्ष्य से बोर्ड को अवगत कराएं. मृत व्यक्ति के नाम पर प्रैक्टिस करनेवालों के संबंध में भी सूचना दें, जिससे कि उन पर कानूनी कार्रवाई की जाये. बिना रजिस्ट्रेशन का प्रैक्टिस करना कानूनी रूप से अपराध हैं.
उन्होंने बताया कि जिन लोगों का नाम बोर्ड की पंजीकरण सूची में शामिल है, वे सभी बोर्ड के चुनाव में भाग लेते हैं. साथ ही केंद्रीय चिकित्सा परिषद के सदस्यों के चुनाव में भी भाग लेते हैं. जिन डॉक्टरों के नाम बोर्ड की सूची में शामिल हैं, उनका बैलेट पेपर उनके रजिस्टर्ड पते पर भेजा जाता है. मृत होने के बाद भी रजिस्टर्ड डॉक्टर के परिजन बोर्ड के चुनाव में गलत रूप से बैलेट पेपर का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में सही सदस्यों का चुनाव ही नहीं हो पाता. रजिस्टर्ड लोगों के नामों का गलत प्रयोग हो रहा हैं. यह पूछे जाने पर कि 32 हजार रजिस्टर्ड डॉक्टरों के होने पर अभी तक 31 हजार के रजिस्ट्रेशन का नवीकरण हो चुका है. बोर्ड के अध्यक्ष डॉ चंद्रा ने बताया कि यही तो आंख खोलनेवाली बात है कि मृत डॉक्टरों के बेटे और पोते यह कह कर नवीकरण करा लेते हैं कि रजिस्टर्ड डॉक्टर आने में अक्षम है. इसी के सुधार के लिए बोर्ड ने यह कदम उठाया गया है.
बोर्ड में निबंधन के आंकड़े
कुल रजिस्टर्ड डॉक्टर 32 हजार
नवीकरण 31 हजार
रजिस्ट्रेशन शुल्क 3000 रुपये
नवीकरण शुल्क 200 रुपये सालाना
औपबंधिक रजिस्ट्रेशन 400-450 डॉक्टर सालाना
अंतिम रूप से रजिस्ट्रेशन 300 डॉक्टर सालाना

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें