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पुलिस एकेडमी के निर्माण का जल्द निकालें रास्ता

निर्देश. सीएम ने कहा- केंद्रीय एजेंसी के निकम्मेपन की वजह से नहीं हो रहा काम पिछली बार जब इपीआइएल के अधिकारियों से बात कर आपत्ति दर्ज करायी गयी थी, तो उन्होंने इस वर्ष सितंबर-अक्तूबर तक इसके पूरे होने की बात कही थी. पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पुलिस हेल्प लाइन का उद्घाटन के दौरान […]

निर्देश. सीएम ने कहा- केंद्रीय एजेंसी के निकम्मेपन की वजह से नहीं हो रहा काम
पिछली बार जब इपीआइएल के अधिकारियों से बात कर आपत्ति दर्ज करायी गयी थी, तो उन्होंने इस वर्ष सितंबर-अक्तूबर तक इसके पूरे होने की बात कही थी.
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पुलिस हेल्प लाइन का उद्घाटन के दौरान कहा कि राजगीर में तैयार हो रही बिहार पुलिस एकेडमी के निर्माण की रफ्तार बेहद चिंताजनक है. पूरे बिहार में एकमात्र यही ऐसा प्रोजेक्ट है, जो अटका पड़ा है. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि जल्द ही इसका दूसरा कोई रास्ता निकाले और निर्माण कार्य जल्द पूरा करवाये. जब इसका निर्माण शुरू किया गया था, तो इसकी लागत 200 करोड़ थी. परंतु जिस केंद्रीय निर्माण एजेंसी इपीआइएल (इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट इंडिया लिमिटेड) को इसका काम दिया गया, उसके निकम्मेपन के कारण इसकी लागत कई गुना बढ़ गयी.
पिछली बार जब इपीआइएल के अधिकारियों से बात कर आपत्ति दर्ज करायी गयी थी, तो उन्होंने इस वर्ष सितंबर-अक्तूबर तक इसके पूरा होने की बात कही थी. बावजूद इसके स्थिति जस की तस बनी है. यह इपीआइएल केंद्र के भारी उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत आती है. इस पर कुछ कहने का मतलब यह निकाला जायेगा कि केंद्र के साथ विवाद खड़ा किया जा रहा है, लेकिन यह विवाद नहीं चिंता का विषय है. इसके निर्माण के लिए गृह विभाग के प्रधान सचिव आमिर सुबहानी को नोडल ऑफिसर बनाया गया है. एजेंसी की लापरवाही व खराब प्रदर्शन की शिकायत संबंधित केंद्रीय मंत्रालय से कर दी गयी है, अभी तक कोई पहल शुरू नहीं हुई है.
गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं करें : डीजीपी पीके ठाकुर ने कहा कि पुलिस भवन निर्माण में किसी भी हालत में गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं करें. थानों में पौधरोपण योजना को ज्यादा से ज्यादा चलायें. जिले की सभी थानों में महिला शौचालय बनाने में सबसे पहले बांका, फिर समस्तीपुर जिला ने बाजी मारी है. इसके बाद अन्य जिलों ने काम किया. हेल्पलाइन नंबर शुरू करने की घोषणा 17 फरवरी को सीएम ने की थी, जिसे इसी कैलेंडर वर्ष में पूरा कर लिया गया.
इसके शुरू होने से पुलिस पदाधिकारियों के संतुष्टि स्तर में काफी इजाफा होगा. कभी घाटे में चलने वाले और बंद होने की कगार तक पहुंच चुके बिहार पुलिस निर्माण निगम का वित्तीय वर्ष 2015-16 में टर्न ओवर बढ़कर 283 करोड़ हो गया है. इसने पिछले वर्ष 3.50 करोड़ सीएम राहत कोष में भी दिया है. गृह सचिव आमिर सुबहानी ने कहा कि इस कार्यक्रम में दो यादगार चीजें हुई हैं.एक थानों में महिला शौचालय और हेल्प लाइन नंबर.स्वागत संबोधन निगम के एमडी अभय कुमार उपाध्याय ने किया.
हम जरूरत से ज्यादा निर्माण करते : सीएस
मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि हम जरूरत से ज्यादा निर्माण करते हैं. अधिकारियों के जरूरत से ज्यादा बड़ा कमरा बनाने की जरूरी नहीं है. अधिकारियों के कमरे में अटैच टॉयलेट बनाने से बेहतर हो कि कॉमन टॉयलेट बनाया जाये. इससे कॉमन टॉयलेट साफ और मेंटेन रहेगा. इस तरह की बातों को अपना कर बिल्डिंग को ज्यादा फंक्शनल बनाया जा सकता है.
बेमतलब का कोई निर्माण नहीं करना चाहिए. पिछले 10 साल के अनुभव में बिहार पुलिस निर्माण निगम ने काफी कुछ सीख लिया है. इसे लागू करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि तीन के स्थान पर पांच महीने में ही थानों में महिला शौचालय का निर्माण हुआ, लेकिन अच्छा हुआ है. भवन निर्माण में आर्किटेक्ट की फीस पर भी अंकुश लगाने की जरूरत है. एकमुश्त राशि तय कर देनी चाहिए. इस तरह से कई बेवजह के खर्चों की कटौती की जा सकती है.

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