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1995 से पहले के दस्तावेजों का हो रहा कंप्यूटराइजेशन

450 वॉल्यूम की स्कैनिंग का काम पूरा पटना : अब जिला निबंधन कार्यालय में चल रहे दस्तावेजाें के कंप्यूटराइजेशन का काम तेजी से चल रहा है. पिछले दो महीनों में ही 1991 तक के दस्तावेजों की स्कैनिंग कर ली गयी है. लगभग 450 वॉल्यूम की स्कैनिंग कर डाटा अपलोड काकाम किया जा रहा है. दस्तावेजों […]

450 वॉल्यूम की स्कैनिंग का काम पूरा
पटना : अब जिला निबंधन कार्यालय में चल रहे दस्तावेजाें के कंप्यूटराइजेशन का काम तेजी से चल रहा है. पिछले दो महीनों में ही 1991 तक के दस्तावेजों की स्कैनिंग कर ली गयी है.
लगभग 450 वॉल्यूम की स्कैनिंग कर डाटा अपलोड काकाम किया जा रहा है. दस्तावेजों के कंप्यूटराइजेशन का काम पूरे प्रदेश में किया जा रहा है. इसमें सबसे अधिक दस्तावेज पटना जिले में है, जिनका कंप्यूटराइजेशन किया जाना है. इसमें सात से आठ आइटी सेक्टरों के लोग लगे हैं. हालांकि, अभी वर्तमान में ट्रायल के रूप में 37 दस्तावेजों को अपलोड किया गया है. बाद में वॉल्यमू में ए-बी-सी सेक्शन आने के कारण उसे अलग प्रकार से सॉफ्टवेयर में लोड किया जा रहा है. ताकि, वेबसाइट पर डाटा अपलोड करने के बाद उसे आसानी से देखा जा सकें. अगस्त 2017 तक इसको पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.
रेकाॅर्ड रूम के पुराने रखे दस्तावेजों की पहले की जा रही साफ-सफाई : इसके लिए रेकॉर्ड रूम में रखे पुराने दस्तावेजो की साफ-सफाई की जा रही है. इसके बाद दस्तावेजों की स्कैनिंग हो रही है.
एचपी नामक एजेंसी की ओर से दस्तावेजों की स्कैनिंग करने से लेकर सॉफ्टवेयर पर अपलोड किया जाना है. आइटी के कर्मचारियों के अनुसार एक वॉल्यूम में कम-से-कम 100 और अधिक-से-अधिक 400 दस्तावेज होते हैं. इन दस्तावेजों की पहले स्कैनिंग की जाती है. फिर इन्हें कंप्यूटर में अपलोड किया जाता है. इस कार्य में करीब एक से डेढ़ साल का समय लग सकता है. हालांकि, दस्तावेजों का काम तेजी से किया जा रहा है. जिला निबंधन कार्यालय में 1857 के पुराने दस्तावेज रखे गये हैं. दस्तावेजों को रखने की उचित व्यवस्था नहीं होने से खराब हो गये हैं.
गठ्ठर में पड़े लगभग 155 सालों के कीमती दस्तावेजों को या तो दीमक चाट रहे है. या यू हीं पड़े खराब हो रहे हैं. इनके रखने की कोई उचित व्यवस्था नहीं होने से बरसात में इनकी स्थिति और भी बुरी हो जाती है. ऐसे में अब स्कैनिंग कर इसे कंप्यूटर पर लोड किया जा रहा है.
1995 से 2005 तक के दस्तावेजों का किया गया है कंप्यूटराइजेशन : हालांकि, निबंधन विभाग के दस्तावेजों को ऑनलाइन करने के लिए 1995 से लेकर 2005 तक के दस्तावेजों की स्कैनिंग कर वेबसाइट पर डाला गया है. कुछ का काम अभी भी किया जा रहा है.
दिल्ली की सीबीएसएल एजेंसी (कैपिटल बिजनेस स्टाइल लिमिटेड ) की ओर से वर्ष 2010 से स्कैनिंग कर डाटा इंट्री का काम शुरू किया गया था, जो अब पूरा हो चुका है. इन दस्तावेजों को ऑनलाइन भी देखा जा सकता है. इन दस्तावेजों को टास्क-वन व टास्क-टू के तहत संरक्षित किया गया है. टास्क-वन में 1995 से लेकर 2005 तक के दस्तावेजों की सूची है. वहीं, टास्क-टू में 2005 से अब तक के दस्तावेजों की सूची बनायी गयी है, जो ऑनलाइन है.

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