हालांकि सुरक्षा की लिहाज से पुलिस ने संस्थान के पास ब्रज वाहन व फायर यूनिट को भी बुला लिया था. हंगामे की स्थिति संस्थान में दोपहर तक बनी थी. हालांकि, बाद में पुलिस ने संस्थान में निदेशक डॉ यूपी गुप्ता से पूछताछ की. डीएसपी हरि मोहन शुक्ला ने बताया कि निदेशक को कहा गया है कि आप मान्यता का दस्तावेज पुलिस को उपलब्ध कराएं, अगर कागजात नहीं दिखाते हैं, तो आपके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी.
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बवाल: परीक्षा नहीं होने पर फूटा गुस्सा तोड़फोड़, हंगामा
पटना सिटी: आलमगंज थाना क्षेत्र के नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल रोड के आइडीएच कॉलोनी में स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एजुकेशन एंड रिसर्च सेंटर में शनिवार को पढ़नेवाले छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा. आक्रोशित छात्रों ने संस्थान के क्लास रूम व ऑफिस में तोड़फोड़ कर हंगामा मचाया. आक्रोशित छात्रों का कहना था कि संस्थान में […]
पटना सिटी: आलमगंज थाना क्षेत्र के नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल रोड के आइडीएच कॉलोनी में स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एजुकेशन एंड रिसर्च सेंटर में शनिवार को पढ़नेवाले छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा. आक्रोशित छात्रों ने संस्थान के क्लास रूम व ऑफिस में तोड़फोड़ कर हंगामा मचाया. आक्रोशित छात्रों का कहना था कि संस्थान में नामांकन कराने के बाद 2014 से परीक्षा नहीं हुई है. सूचना पाकर मौके पर आलमगंज थाने की पुलिस पहुंची और आक्रोशित छात्रों को समझा कर शांत कराया.
हर वर्ष हो रहा था नामांकन : हंगामे पर उतरे पारा मेडिकल के छात्रों का कहना था कि मगध विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त संस्थान में बैचलर ऑफ मेडिकल रेडियो इमेजिंग टेक्नोलॉजी, बैचलर ऑफ लैब टेक्निशियन समेत अन्य कोर्स में नामांकन तो संस्थान हर वर्ष ले रहा था, लेकिन परीक्षा नहीं हो रही है. विद्यार्थियों के अनुसार वर्ष 2013 में एक परीक्षा हुई थी, जिसका परिणाम भी नहीं निकला, जबकि 2014 से 2016 तक किसी तरह की परीक्षा संस्थान में नहीं लिया गया.
मैनेजमेंट के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज
मौके पर पहुंचे प्रभारी थानाध्यक्ष सुजीत कुमार ने बताया कि विद्यार्थियों द्वारा की गयी लिखित शिकायत पर संस्थान के मैनेजमेंट पर प्राथमिकी दर्ज की गयी है. डीएसपी हरि मोहन शुक्ला ने बताया कि संस्थान के निदेशक से मान्यता के सवाल पर कागजात की मांग की गयी है, लेकिन वे उपलब्ध नहीं करा सके हैं. कागजात उपलब्ध कराने की स्थिति में मगध विश्वविद्यालय से भी सत्यापन कराया जायेगा. अगर कागजात नहीं उपलब्ध कराते हैं, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. विद्यार्थियों के अनुसार नियमानुकूल प्रति वर्ष दो समेस्टर की परीक्षा होनी चाहिए थी.
विद्यार्थियों के अनुसार कोर्स की अवधि भी तीन वर्ष है. विद्यार्थियों का यह भी आरोप है कि संस्थान में 35 सीट पर नामांकन होना चाहिए,लेकिन 55 सीटों पर नामांकन किया गया है. भविष्य को लेकर चिंतित छात्रों में आमिर, संदीप, प्रिंस समेत अन्य का कहना है कि वो नामांकन के बाद किस्त में फीस जमा करते थे, लेकिन अब भविष्य दांव पर लग गया है.
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