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शराबबंदी से नहीं पड़ा लोगों के स्वास्थ्य पर बड़ा दुष्प्रभाव
नो साइड इफेक्ट : डिएडिक्शन सेंटर के आंकड़ों से खुलासा डिएडिक्शन सेंटर में काफी कम संख्या में लोग पहुंच रहे हैं. इससे स्पष्ट हो गया है कि शराबबंदी का दुष्प्रभावन नहीं के बराबर हुआ है. पटना : राज्य में लागू हुई पूर्ण शराबबंदी का दुष्प्रभाव लोगों पर कम ही पड़ा. स्वास्थ्य विभाग की ओर से […]
नो साइड इफेक्ट : डिएडिक्शन सेंटर के आंकड़ों से खुलासा
डिएडिक्शन सेंटर में काफी कम संख्या में लोग पहुंच रहे हैं. इससे स्पष्ट हो गया है कि शराबबंदी का दुष्प्रभावन नहीं के बराबर हुआ है.
पटना : राज्य में लागू हुई पूर्ण शराबबंदी का दुष्प्रभाव लोगों पर कम ही पड़ा. स्वास्थ्य विभाग की ओर से किसी बड़े सामूहिक घटना को लेकर तैयारी की गयी थी. हर जिले में एक-एक डिएडिक्शन सेंटर की स्थापना की गयी थी. गंभीर किस्म के शराब सेवन करने वाले लोगों को विशिष्ट इलाज के लिए पटना में पटना मेडिकल काॅलेज अस्पताल और नालंदा मेडिकल अस्पताल में दो डिएडिक्शन सेंटर खोले गये थे. इधर शराब छोड़ने के कारण कम संख्या में लोगों के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ा. पहली अप्रैल 2016 के बाद से गुरुवार तक राज्यभर में कुल 7432 लोग ही ओपीडी में इलाज कराने आये.
पांच अप्रैल से राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी गयी है. पूर्ण शराबबंदी लागू होने के पहले स्वास्थ्य विभाग द्वारा पूरी तैयारी की गयी. डिएडिक्शन सेंटर की स्थापना की गयी और चिकित्सकों और पारा मेडिकल स्टाफ का पटना और बेंगलुरु में प्रशिक्षण कराया गया. हर सेंटर पर काउंसेलिंग और एडमिट कर मरीजों के इलाज की व्यवस्था की गयी. ओपीडी में अब तक 7432 मरीज इलाज के लिए आये जबकि उसमें से महज 1088 लोगों को ही भरती करने की आवश्यकता पड़ी. भरती मरीजों का इलाज एक सप्ताह से 10 दिनों तक करने के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया. अब तक 938 मरीज डिस्चार्ज किये जा चुके हैं. डिएडिक्शन सेंटर में महज 150 लोग ही एडमिट हैं. इन सेंटरों पर अब हर रोज औसतन 20-35 लोग ही इलाज व परामर्श के लिए आ रहे हैं.
ओपीडी में आनेवाले शराब का सेवन करनेवालों में पांच-आठ लोगों को भरती होने की आवश्यकता पड़ रही है. इनकी संख्या कम है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सरकार कोई संस्थान नफा-नुकसान के लिए संचालित नहीं करती है. इनसान के जीवन का अधिक महत्व है. साथ ही डिएडिक्शन सेंटर पर लोगों की काउंसेलिंग भी की जाती है.
सूबे में अब 20-35 मरीज ही आते हैं प्रतिदिन ओपीडी में
स्वास्थ्य विभाग द्वारा शराबबंदी के बाद लोगों पर हुए प्रभाव को लेकर पटना के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान द्वारा अध्ययन कराया जा रहा है. यह रिपोर्ट अभी तक विभाग को सौपी नहीं गयी है.
इस रिपोर्ट के आने के बाद ही शराबबंदी के प्रभावों के बारे में कुछ तस्वीर स्पष्ट हो पायेगी. बताया जा रहा है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा पटना एम्स को पायलट प्रोजेक्ट के तहत लोगों पर अध्ययन करने को कहा गया है. शराबबंदी के कारण एम्स के विशेषज्ञों द्वारा भारत-नेपाल सीमा से सटे पूर्णिया जिला के दो प्रखंड़ों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत अध्ययन किया गया. विशेषज्ञों द्वारा शराबबंदी को लेक प्रश्नों की सूची तैयार की गयी.
इसमें शराब का सेवन करनेवालों से सवाल पूछे गये. विशेषज्ञों को यह आशंका थी कि लोग शराब को लेकर बात नहीं करेंगे. पर लोगों ने शराब को लेकर सभी सवालों का बेवाकी से जवाब दिया. कौन कितना पीता था, शराब कहां से मिलती थी. परिवार के लोगों पर उसका क्या असर होता था. समाज में लोग शराब पीने के बाद किस नजरिये से देखते थे.
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