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पंचम राज्य वित्त आयोग ने नगर निकाय का बांधा हाथ
कटौती. 50% राशि ही वेतन, बकाया, बिजली व कचरे पर होगी खर्च पटना : पंचम राज्य वित्त आयोग ने राज्य के नगर निकायों को वित्तीय मामले में हाथ बांध दिया है. अब नगर निकाय अपने कर्मचारियों के वेतन, बकाया, बिजली बिल और कचरा प्रबंधन के लिए दी गयी राशि के आधे हिस्से में से ही […]
कटौती. 50% राशि ही वेतन, बकाया, बिजली व कचरे पर होगी खर्च
पटना : पंचम राज्य वित्त आयोग ने राज्य के नगर निकायों को वित्तीय मामले में हाथ बांध दिया है. अब नगर निकाय अपने कर्मचारियों के वेतन, बकाया, बिजली बिल और कचरा प्रबंधन के लिए दी गयी राशि के आधे हिस्से में से ही खर्च करना होगा. पहले नगर निकाय अपने अनुसार राज्य वित्त आयोग की अनुशंसा से प्राप्त राशि का खर्च इस मद में करते थे. इसका असर वैसे नगर निकायों पर पड़ रहा है, जिनका स्थापना खर्च आय से अधिक है.
नगर विकास एवं आवास विभाग ने पंचम राज्य वित्त आयोग की अनुशंसा को लेकर नया संकल्प जारी किया है.राज्य के शहरी स्थानीय निकायों को आवंटित राशि के व्यय के संबंध में नया दिशा निर्देश जारी किया गया है. इसमें कहा गया है कि आवंटित राशि का 30 प्रतिशत पैसे मुख्यमंत्री शहरी पेयजल निश्चय योजना पर खर्च किये जायेंगे. इसके अलावा राज्य वित्त आयोग से प्राप्त राशि का 20 फीसदी राशि मुख्यमंत्री शहरी नाली-गली पक्कीकरण निश्चय योजना पर खर्च की जायेगी. राज्य वित्त आयोग की अनुशंसा से प्राप्त शेष 50 फीसदी राशि का खर्च नगर निकायों के कर्मियों के बकाया वेतन के भुगतान पर खर्च किया जायेगा.
डिवोल्यूशन राशि का उपयोग उनके वेतन एवं सेवानिवृत्ति लाभों के बकाये के अलावा स्वच्छता, ठोस कचरा प्रबंधन और बिजली बिलों के भुगतान पर खर्च होगा. राज्य वित्त आयोग द्वारा अनुशंसा की गयी है कि शहरी स्थानीय निकायों के कार्यरत कर्मियों के वेतन व पेंशन का भुगतान नगर निकाय अपने आंतरिक संसाधनों से करेंगे. राज्य सरकार अधिक से अधिक उनके बकाया राशि का भुगतान कर सकती है. ऐसे में वर्तमान में होने वाले भुगतान पर असर पड़ेगा.
राज्य के तमाम नगर निकायों की स्थिति काफी लचर
राज्य वित्त आयोग की अनुशंसा का असर यह है कि पटना नगर निगम, गया नगर निगम व छपरा नगर निगम के कर्मियों का वेतन एवं वेतन मद में काफी बड़ी राशि का बकाया रहने के कारण पटना हाइकोर्ट में वाद लंबित है. पटना नगर निगम के कर्मियों के वेतन एवं पेंशन मद में वार्षिक खर्च करीब 90 करोड़ है.
कार्यालय खर्च, अधिवक्ताओं का मानदेय, विज्ञापन एवं अन्य विविध मदों में करीब 24 करोड़ का वार्षिक खर्च होता है. इस प्रकार पटना नगर निगम का वार्षिक खर्च 114 करोड़ वार्षिक है. पटना नगर निगम का वार्षिक आय मात्र 75 करोड़ रुपये है. इसके अलावा पटना नगर निगम को अपने कर्मियों के बकाये वेतन एवं पेंशन भुगतान के लिए 79 करोड़ की आवश्यकता है. इस बकाये राशि के भुगतान के लिए पटना हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश भी दिया है.
छपरा नगर निगम के कर्मियों का बकाया वेतन व पेंशन का मामला अदालत में विचाराधीन है. राज्य के नगर निकायों की आर्थिक स्थिति अभी उतनी मजबूत नहीं हो सकी है कि वह अपने आंतरिक संसाधन से कार्यरत कर्मियों को मासिक वेतन भी दे पाये. साथ में सेवानिवृत्त कर्मियों का पेंशन भुगतान भी किया जाना है.
चतुर्थ राज्य वित्त आयोग की अनुशंसा से हो रहा था लाभ: चतुर्थ राज्य वित्त आयोग की अनुशंसा से प्राप्त अनुदान की राशि का उपयोग नगर निकाय कर्मियों के वेतन एवं सेवानिवृत्ति लाभों के भुगतान पर करने का प्रावधान था.
इससे सभी नगर निकाय (पटना, गया व छपरा को छोड़कर) में कर्मियों के वेतन एवं सेवानिवृत्ति का लाभ समय पर भुगतान हो रहा था. इससे कार्य संस्कृति में सुधार आया था. पंचम राज्य वित्त आयोग द्वारा कर्मियों के मासिक वेतन भुगतान निकायों को अपने आंतरिक संसाधन से करने की अनुशंसा की है. इसके कारण सभी नगर निकायों को वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.
किया गया है संशोधन : नगर विकास विभाग ने पांचवें राज्य वित्त आयोग की अनुशंसा में आंशिक संशोधन करते हुए राज्य के शहरी नगर निकायों को प्राप्त राशि में 30 प्रतिशत मुख्यमंत्री शहरी पेयजल निश्चय योजना और 20 प्रतिशत राशि मुख्यमंत्री शहरी नाली-गली पक्कीकरण निश्चय योजना पर खर्च करने का निर्णय लिया है.
बताया जाता है कि शेष 50 फीसदी राशि का खर्च नगर निकायों की आवश्यकतानुसार पहले से चले आ रहे प्रावधान के अनुसार उनके कर्मियों के वेतन एवं सेवानिवृत्ति, सेवांत लाभ, ठोस कचरा प्रबंधन, बिजली बिल का भुगतान आदि पर खर्च होगा.
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