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एफएसएल की लापरवाही से छूट रहे अपराधी

पटना : किसी वारदात या घटना में वैज्ञानिक आधारित साक्ष्यों (साइंटिफिक इंवेस्टिगेशन) को जुटाने का मुख्य मकसद अपराधियों को सजा दिलाना होता है. अपराधी किसी हालत में किसी तरह के जुर्म को अंजाम देकर बचे नहीं और किसी बड़ी घटना में अपराधी को उसके जुर्म की कड़ी से कड़ी मिल सके. परंतु बिहार में इस […]

पटना : किसी वारदात या घटना में वैज्ञानिक आधारित साक्ष्यों (साइंटिफिक इंवेस्टिगेशन) को जुटाने का मुख्य मकसद अपराधियों को सजा दिलाना होता है. अपराधी किसी हालत में किसी तरह के जुर्म को अंजाम देकर बचे नहीं और किसी बड़ी घटना में अपराधी को उसके जुर्म की कड़ी से कड़ी मिल सके.
परंतु बिहार में इस तरह की जांच के लिए गठित एफएसएल (फॉरेंसिक साइंस लैब) की रिपोर्ट से अपराधियों को राहत मिल रही है.हाल के दिनों में कई बड़े और चर्चित मामलों में एफएसएल की रिपोर्ट में ही अपराधी को क्लीन चिट दे दी गयी, जिससे उन्हें बेल मिलने में आसानी हुई. हालांकि एफएसएल का इस मामले में कहना है कि उनके पास जो भी साक्ष्य या लाये गये, उसके आधार पर ही रिपोर्ट तैयार की गयी है. अब साक्ष्य में ही अगर किसी तरह की छेड़छाड़ पहले से ही की हुई है, तो जांच रिपोर्ट भी इसी के आधार पर तैयार होगी. एफएसएल की इस बयान के बाद मामला सीधे तौर पर पुलिस महकमा पर जाकर टिकती है. पुलिस वाले साक्ष्य को संभालने या इन्हें बचाने के लिए पूरजोर कोशिश नहीं करते हैं.
इसलिए इनसे काफी हद तक छेड़छाड़ हो जाती है और इसका परिणाम होता कि अपराधी इससे अपनी जरूरत के हिसाब से इसमें फेरबदल करके इसका फायदा उठाने में कामयाब हो जाते हैं.

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