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सेंट्रल पूल से सूबे को कम मिली बिजली, खरीदना पड़ा
पटना. देश के बिजली बाजार में 25 हजार मेगावाट सरप्लस बिजली है लेकिन सेंट्रल पूल से बिहार को आवंटित पूरी बिजली कभी नहीं मिलती है. बिहार को औसतन बाजार से हर रोज सात से अाठ सौ मेगावाट बिजली खरीदनी पड़ती है. पिछले एक सप्ताह बाजार से अधिक बिजली खरीदनी पड़ रही है. राज्य में लगातार […]
पटना. देश के बिजली बाजार में 25 हजार मेगावाट सरप्लस बिजली है लेकिन सेंट्रल पूल से बिहार को आवंटित पूरी बिजली कभी नहीं मिलती है. बिहार को औसतन बाजार से हर रोज सात से अाठ सौ मेगावाट बिजली खरीदनी पड़ती है. पिछले एक सप्ताह बाजार से अधिक बिजली खरीदनी पड़ रही है. राज्य में लगातार बिजली की खपत बढ़ रही है. सेंट्रल पूल से राज्य का कोटा 3092 मेगावाट था लेकिन पिछले सप्ताह बिहार ने डेढ़ सौ मेगावाट बिजली सरेंडर कर दिया. अब सेट्रल पूल में राज्य का कोटा 2942 मेगावाट हो गया है.
पिछले तीन-चार महीने में किसी भी दिन राज्य को सेंट्रल पूल से आवंटित पूरी बिजली नहीं मिली. एेसे में राज्य को बाजार से बिजली खरीदना पड़ता है. विभागीय अधिकारियों के अनुसार एनटीपीसी की फरक्का, कहलगांव और बाढ़ इकाई में जब किसी कारण से उत्पादन कम होता है तो सेंट्रल पूल से आपूर्ति कम हो जाती है. बताया जाता है कि खुले बाजार में बिजली सस्ती है.
सेंट्रल पूल से बिहार को जो बिजली मिलती है वह साढ़े चार से पांच रुपया प्रति यूनिट पड़ता है बाजार में लगभग डेढ़ रुपये सस्ती बिजली उपलब्ध है. बिहार विद्युत विनियामक आयोग के टैरिफ ऑडर्र के अनुसार बिहार को चालू वित्तीय वर्ष 2016-17 में 5916.03 मेगावाट.
वित्तीय वर्ष 2017-18 में 8071.73 और वित्तीय वर्ष 2018-19 में 10225.93 मेगावाट बिजली की जरुरत होगी. इसी आदेश में इस बात की जानकारी दी गयी है कि बिहार को सेंट्रल पूल से कितनी बिजली मिलेगी. अपना उत्पादन कितना होगा. संयुक्त उपक्रम, बाजार और गैर पारंपरिक ऊर्जा से कितनी बिजली मिलेगी. सेंट्रल पूल से किस बिजली घर में बिहार का कितना कोटा होगा इसकी भी जानकारी दी गयी है. राज्य की अपनी दो उत्पादन इकाई कांटी और बरौनी में है.
कांटी से अभी 100 मेगावाट बिजली मिल रही है, जबकि बरौनी में जीर्णोद्धार के बाद व्यावसायिक उत्पादन शुरू नहीं हुआ है. जानकार बताते हैं कि पावर एक्सचेंज में बिजली का रेट उपलब्धता के आधार पर घटता-बढ़ता रहता है. पीक आवर में कीमत अधिक हो जाती है. जानकार बताते है कि आवंटित बिजली राज्य को लेना इसलिए पड़ता है कि अगर पावर एक्सचेंज में बिजली नहीं होगा तो ब्लैक आउट वाली स्थिति हो जायेगा. अभी बाजार की बिजली से ही बिजली कंपनी लोगों को बिजली दे पा रही है.
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