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15 अक्तूबर से दीनदयाल ग्राम ज्योति योजना शुरू

पटना. ग्रामीण विद्युतीकरण की महत्वाकांक्षी व बहुप्रतिक्षित योजना दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना का काम अक्तूबर के मध्य से शुरू हो जाने की संभावना है. 20 सितंबर तक टेंडर फाइनल हो जायेगा. इस योजना में फोकस अलग से कृषि फीडर और सांसद आदर्श ग्राम योजना पर है. इस योजना पर 5850 करोड़ खर्च होगा. काम […]

पटना. ग्रामीण विद्युतीकरण की महत्वाकांक्षी व बहुप्रतिक्षित योजना दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना का काम अक्तूबर के मध्य से शुरू हो जाने की संभावना है. 20 सितंबर तक टेंडर फाइनल हो जायेगा. इस योजना में फोकस अलग से कृषि फीडर और सांसद आदर्श ग्राम योजना पर है. इस योजना पर 5850 करोड़ खर्च होगा. काम शुरू होने के दो साल के भीतर योजना को पूरा हो जाना है. कई कंपनियों ने टेंडर डाला है.
राज्य में सातों दिन 24 घंटे बिजली की योजना पर काम चल रहा है. घरों में 24 घंटे बिजली और कृषि क्षेत्र के लिए लगातार 8 घंटे बिजली मिलना है. इसके लिए अलग से फीडर बिछाया जायेगा. इसके लिये पूरे राज्य को तीन भागों में बांटा जायेगा. दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना पर 5827.33 करोड़ खर्च होगा. इसके लिए तत्परता से काम किया जा रहा है.
ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा आइपीडीएस के तहत 133 शहरों में बिजली व्यवस्था को दुरुस्त किया जा रहा है. इसपर 2100.50 करोड़ खर्च होगा. बिजली कंपनी 10 साल के दौरान होनेवाली बिजली खपत की आधारभूत संरचना तैयार करने पर काम कर रही है. बिजली परियोजनाओं में प्रमुख रूप से पोल, तार कंडक्टर और ट्रांसफॉर्मर पर खर्च होता है.
कृषि पर रहेगा फोकस
दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में मुख्य रूप से कृषि पर फोकस होगा. इस योजना में 294 नये पावर सब स्टेशन का निर्माण होगा. साउथ बिहार बिजली वितरण कंपनी के क्षेत्र में 121 तथा नॉर्थ बिहार बिजली वितरण कंपनी के क्षेत्र में 173 पावर सब स्टेशन का निर्माण होगा. 62000 नये ट्रांसफॉर्मर लगाया जायेगा. इसके अलावा पुराने पावर सब स्टेशनों की क्षमता बढ़ाई जायेगी. कृषि सेक्टर के लिए अलग से फीडर रहेगा और किसानों को लगातार बिजली मिलेगी. इस योजना से सबसे अधिक लाभ किसानों को हां मिलेगा. अभी राज्य में कृषि कार्य के लिए अलग फीडर नहीं है.
बताया जा रहा है कि इस योजना से किसानों के पटवन में काफी सहूलियत होगी. विभागीय अधिकारियों के अनुसार काम में तेजी लाने और समय पर पूरा करने के उद्देश्य से काम को पार्ट वाइज किया गया है. एक कंपनी को अधिकतम तीन जिले में काम ही मिलेगा. दो साल में योजना को पूरा कर देना है.

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