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वर्तमान स्थिति पर आंसू बहा रहा पुस्तकालय
प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार भरतपुरा लाइब्रेरी सह संग्रहालय, 1934 में आये भूकंप से ध्वस्त हो गया था भवन दुल्हिनबाजार : 12 दिसंबर 1912 में स्थापित अनेकों पुरातात्विक व ऐतिहासिक धरोहरों को अपने में समेटे गोपाल नारायण पुस्तकालय सह संग्रहालय भरतपुरा 21वीं सदी में भी विश्व के मानचित्र पर अपनी जगह नहीं बना पाया है. राजनैतिक […]
प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार भरतपुरा लाइब्रेरी सह संग्रहालय, 1934 में आये भूकंप से ध्वस्त हो गया था भवन
दुल्हिनबाजार : 12 दिसंबर 1912 में स्थापित अनेकों पुरातात्विक व ऐतिहासिक धरोहरों को अपने में समेटे गोपाल नारायण पुस्तकालय सह संग्रहालय भरतपुरा 21वीं सदी में भी विश्व के मानचित्र पर अपनी जगह नहीं बना पाया है.
राजनैतिक इच्छाशक्ति व प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार हुआ यह पुस्तकालय सह संग्रहालय अपनी वर्तमान स्थिति पर आंसू बहा रही है. 1934 में आये भयानक भूकंप से इसकी भवन ध्वस्त हो गया था. 1973 में असामाजिक तत्वों द्वारा चार बहुमूल्य पांडुलिपियां चुरा ली गयी थी, जिसमें से तीन को केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा अनुसंधान कर प्राप्त किया गया.आज भी यहां 8426 सचित्र पांडुलिपियां, एक हजार दुर्लभ मुगलकालीन चित्रक, दो सौ प्राचीन मूर्तियां सहित एक हजार प्राचीन पंचमार्क सिक्के व दस हजार मुद्रित पुस्तकें है. पुस्तकालय सह संग्रहालय में 780 अ.ऊ.में ताड़ के पत्ते पर लिखी गयी महाभारत ब्रह्मालिपि का उदाहरण है. जो विश्व के धरोहरों में स्थान रखता है. वहीं 1001 वर्ष पूर्व अरबी भाषा में लिखी गयी स्वर्ण अक्षरों शाहनामा का मूलप्रति जो शेर की भावनाओं को चित्रित करता है मौजूद है.
इसके अलावे स्वर्ण चित्रित सिंकदरनामा में सोने व नीलम का समायोजन दिखाई पड़ता है. वहीं अकबर के समकालीन नवरत्नों में से एक बसावन के द्वारा चित्रित साधु का पेंटिंग के अलावे 1200 अ.ऊ. में कौवे के पंख पर निर्मित मानव युगल का चित्र व 800अ.ऊ.का पीपल के पत्ते पर आलिंगन के स्थिति में स्त्री- पुरुष का चित्र है. स्वर्ण चित्रित, गीतगोविंद, गुलचिराग,त्रिपुटसुंदरी पट्टलम् के साथ प्राचीन मुगलकालीन शाहजहां से लेकर फारूखशाह तक का दस्तावेज यहां सुरक्षित है.गांधीजी के द्वारा स्वस्तलिखित पत्रक भी है, जो स्वतंत्रता संग्राम की याद दिलाती है.अभिलेखागार बिहार सरकार के सर्वे के अनुसार राज्य के ग्रामीण क्षेत्र में ही नहीं बल्कि पूरे देश में इस पुस्तकालय सह संग्रहालय का स्थान सातवां है.
इतना कुछ होने के बावजूद भी इसे पालीगंज अनुमंडल व दुल्हिनबाजार प्रखंड से जोड़नेवाली सड़क की स्थिति जर्जर है.
भव्यता व कला संस्कृति की ओर अग्रसर
लाइब्रेरी सह संग्रहालय के सचिव ध्रुपद नारायण ने बताया कि शताब्दी वर्ष के मौके पर आये 19 दिसंबर 2012 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा पुस्तकालय के ऊपरी तल्ला का शिलान्यास किया गया था, जिसका निर्माण कार्य चल रही है. यह भवन भव्यता व कला सांस्कृति की ओर अग्रसर है, लेकिन अभियंताओं की उदासीनता के कारण निर्माण कार्य धीमी गति से चल रही है.
वहीं 12 फरवरी 2016 को यहां पहुंचे केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव ने भरतपुरा संग्रहालय को बौद्धष्टि सर्किट से जोड़ने व इसके विकास के लिए हर संभव प्रयास करने का आश्वासन दिया था जो प्रक्रिया में है.कैप्सन.भरतपुरा लाइब्रेरी सह संग्रहालय की नर्मिाणाधीन भवन।व कौए के पंख पर बनी 12वी सदी की मानव युगल का चत्रि।
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