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अफसरों ने लूटा जनता का पैसा

पटना: राज्य के शहरी निकायों में विकास राशि की काफी गड़बड़ी हो रही है. महालेखाकार द्वारा हाल ही में सरकार को सौंपी गयी रिपोर्ट में लूट के मामलों को परत-दर परत खोल दिया गया है. रिपोर्ट विधानमंडल के बजट सत्र में पेश होनी है. इसमें कहा गया है कि नियमों की परवाह न कर राजधानी […]

पटना: राज्य के शहरी निकायों में विकास राशि की काफी गड़बड़ी हो रही है. महालेखाकार द्वारा हाल ही में सरकार को सौंपी गयी रिपोर्ट में लूट के मामलों को परत-दर परत खोल दिया गया है. रिपोर्ट विधानमंडल के बजट सत्र में पेश होनी है. इसमें कहा गया है कि नियमों की परवाह न कर राजधानी में मल्टी स्टोरी बिल्डिंग के नक्शे पास किये गये. नक्शे में अग्निशमन विभाग से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट तक नहीं लिये गये, जबकि यह अनिवार्य है. इ-गवर्नेस के नाम पर भी गड़बड़ी हुई.

चोरी पकड़ायी, तो जमा करायी राशि
हद तो तब हो गयी, जब राजधानी के न्यू कैपिटल डिवीजन के रोकड़पाल ने फर्जी चालान पर टैक्स की वसूली की, जब एजी ने मामले को पकड़ा, तो उस राशि को सरकारी खजाने में जमा कराया गया. मुजफ्फरपुर नगर निगम क्षेत्र की सफाई व्यवस्था को लेकर जनता परेशान है. लेकिन, नगर निगम के पास भी मजबूरी है कि उसके पास न तो संसाधन है और न ही पर्याप्त संख्या में सफाई कर्मी. मजबूरी में दैनिक मजदूर को सफाई में लगाया गया, लेकिन उसमें भी गड़बड़झाला हो गया. एजी की आपत्ति है कि जब सरकार ने दैनिक मजदूर रखने पर रोक लगा रखी है, तब फिर कैसे रखे गये और 1.80 करोड़ रुपये का भुगतान कैसे हो गया, वह भी अनियमित तरीके से.

कहां गये वॉकी-टॉकी व टावर
पटना नगर निगम क्षेत्र में निगम प्रशासन ने द्विमार्गी संचार प्रणाली के लिए चेन्नई की मेसर्स आइकोटेक कंपनी से 328 वॉकी-टॉकी की खरीदारी की, लेकिन ये गोदाम में आये ही नहीं. भंडारपाल ने जांच टीम को बताया कि ऐसा कोई वॉकी-टॉकी उनके गोदाम में आया ही नहीं है. यह भी कोई नहीं बता पाया कि संचार प्रणाली के लिए टावर व बेस स्टेशन स्थापित हुए या नहीं, जबकि छह स्थानों पर टावर लगाया जाना था तथा 38 बेस स्टेशन का निर्माण होना था. हद तो यह है कि आपूर्तिकर्ता कंपनी को 18 लाख रुपये से अधिक राशि के भुगतान का जिक्र निगम के खाते में दर्ज है. पटना नगर निगम में कंप्यूटरीकरण व इ-गवर्नेस का ठेका इंडियन टेलीफोन इकाई बेंगलुरु को दिया गया था. वर्क ऑर्डर सितंबर 2007 में जारी किया गया. इसके लिए 80 लाख रुपये कंपनी को दिये गये, लेकिन अब तक कार्य पूरा नहीं हुआ. पटना नगर निगम क्षेत्र में विज्ञापन कंपनियों से गलत तरीके से एकरारनामा होने के कारण 37.36 लाख रुपये के सरकारी राजस्व में हानि हुई.

नक्शा पास हुए बिना बने मकान
एजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि राजेंद्रनगर ब्लॉक 105 बी, 142 ए ब्लॉक बी, एम 218 सेक्टर एम 2 श्री कृष्णापुरी, ब्लॉक नंबर 142 ए राजेंद्र नगर रोड नंबर 10, 51 इ ब्लॉक सी राजेंद्र नगर, ब्लॉक 3 टाइप एक राजेंद्र नगर, ब्लॉक सी राजेंद्रनगर, 108 व 228 सी ब्लॉक बी राजेंद्रनगर में बिना नक्शा पास के ही मकान बन गये. शिव राधिका कॉम्प्लेक्स, आशा अपार्टमेंट, बोरिंग रोड, अनिल कुमार सिन्हा पुनाईचक, हेमेंद्र कुमार सिंह, नवनीत झुनझुनवाला के दो भूखंड, डीएस 2 लोहिया नगर में उपेंद्र प्रसाद सिंह के भूखंड से कंपाउंडिंग फीस की वसूली नहीं की गयी. परिणाम यह हुआ कि 49.29 लाख रुपये के सरकारी राजस्व की क्षति हुई.

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