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दो बेटियां हुईं, तो ससुराल वालों ने किया प्रताड़ित
पीड़ित महिला पहुंची हेल्पलाइन तो ससुराल वालों को बुला कर की गयी काउंसेलिंग पटना : बेटी है, तो क्या करूं. इसे फेंक तो नहीं सकती न. कलेजे से चिपकाये रखती हूं. पर मेरे ससुराल वालों को यह पसंद नहीं. इससे वह मुझे ससुराल में रहने तक नहीं दे रहे, मुझे और मेरी बेटी के साथ […]
पीड़ित महिला पहुंची हेल्पलाइन तो ससुराल वालों को बुला कर की गयी काउंसेलिंग
पटना : बेटी है, तो क्या करूं. इसे फेंक तो नहीं सकती न. कलेजे से चिपकाये रखती हूं. पर मेरे ससुराल वालों को यह पसंद नहीं. इससे वह मुझे ससुराल में रहने तक नहीं दे रहे, मुझे और मेरी बेटी के साथ मारपीट करते हैं. यहां तक की बेटी को दूध पिलाने तक के पैसे भी नहीं देते हैं.
कुछ इसी तरह की शिकायत फुलवारीशरीफ निवासी नजमा ने महिला हेल्पलाइन में दर्ज करायी. उसने बताया कि चार वर्ष पहले उसकी शादी हुई थी. शादी के कुछ दिन बाद बेटी हुई. बेटी होने के बाद ससुराल वालों ने नाराजगी भी जतायी. पति भी बेटी के जन्म से नाखुश थे. कुछ दिनों के बाद सब कुछ ठीक चल रहा था. लेकिन छह महीने पहले मेरी दूसरी बेटी हो गयी. इसके बाद से ससुराल वाले अब मुझे अपने साथ रखना नहीं चाहते हैं. बेटी को दूध पिला सकूं. इसके लिए पैसे तक नहीं दे रहे. इससे अब मैं मायके में रहने को मजबूर हूं.
दी कन्याओं से संबंधित योजनाओं की जानकारी : नजमा की बात सुन महिला हेल्पलाइन की परियोजना प्रबंधक प्रमीला कुमारी ने उसके पति और ससुराल वालों का कार्यालय बुलाया. जहां नजमा और उसके ससुराल वालों के बीच बातचीत की गयी. इसके बाद हेल्पलाइन की ओर से बेटियों से संबंधित योजनाओं की जानकारी दी. कहा कि इनके जन्म को लेकर दुखी होने के बजाय खुशी मनाने की जरूरत है. साथ ही परिवारवालों से नजमा और उसकी बेटियों की सुरक्षा देने की लिखित रूप में कार्रवाई की.
एक महीने का दिया गया था समय
साथ ही नजमा और उसके पति को एक महीने का समय दिया गया है. जिसमें दोनों बेटियों के लालन-पालन संबंधी निर्देशों को पूरा करने की बात कहीं गयी. एक महीने के अंदर दोनों माता-पिता काे हेल्पलाइन बुलाया गया है.
जिसमें बेटियों के लालन-पालन के लिए किये गये कार्यों की जानकारी मांगी गयी है. हेल्पलाइन की परियोजना प्रबंधक प्रमिला कुमारी ने बताया कि अब भी पढ़े-लिखे तबके में बेटियों के प्रति दुर्व्यवहार किया जाता है. ऐसे में जब भी इस तरह के मामले में आते हैं उन्हें योजनाओं की जानकारी दी जाती है, ताकि वे बेटियों के प्रति अपनी सोच बदल सकें.
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