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गैंगवार के 11 दिन बाद भी खुलेआम हो रही बालू की खुदाई
बिना कागज करोड़ों की खुदाई बिहटा : एनजीटी की रोक के बाद नये सिरे से बालू निकलने की अनुमति मिली, लेकिन थोड़ी छूट की आड़ में फिर बड़ा खेल शुरू हो गया है. अनुमति मात्र तीन घाटों की है और बालू निकासी दर्जनों घाटों पर होने लगी है. खोदना है अधिकतम साढ़े चार फुट, खोद […]
बिना कागज करोड़ों की खुदाई
बिहटा : एनजीटी की रोक के बाद नये सिरे से बालू निकलने की अनुमति मिली, लेकिन थोड़ी छूट की आड़ में फिर बड़ा खेल शुरू हो गया है. अनुमति मात्र तीन घाटों की है और बालू निकासी दर्जनों घाटों पर होने लगी है. खोदना है अधिकतम साढ़े चार फुट, खोद रहे हैं 20 फुट से ऊपर, जिसमें ट्रक जाने के बाद दूर से भी नहीं दिखता.
मालूम हो कि सोन नदी में बालू निकालने को लेकर अभी तीन घाटों को अनुमति प्राप्त है, जिनमें महुआर, पांडेयचक एवं तीसरा आनंदपुर है, लेकिन इन तीन घाटों पर अनुमति के बदले एक दर्जन से अधिक घाटों पर बालू निकासी जारी है. नियम को ठेंगा दिखाते हुए ये तो वैसे घाटों की कहानी है जहां से सरकार को राजस्व की प्राप्ति नहीं होती है. बात तो यह है कि सरकार को यहां से एक रुपये भी राजस्व नहीं मिलता है.
यहां जिसकी लाठी उसकी भैंस के तर्ज पर पिछले कई वर्षों से उत्खनन होता आ रहा है, लेकिन सब कुछ जानने के बावजूद प्रशासन एवं उत्खनन विभाग अनजान बना बैठा है. बालू घाटों पर खून खराबे के बाद एसएसपी की मॉनीटरिंग में 28 लोग अवैध खनन करते पकड़े गये और जेल भेजे गये. इसके बावजूद बालू माफियाओं में तनिक भी भय नहीं है. कोइलवर पुल से दक्षिणी एरिया में अभी भी दर्जनों अवैध घाटों से बालू की अवैध निकासी धड़ल्ले से हो रही है.
जिन घाटों की अनुमति है उन घाटों से अधिकतम साढ़े चार फुट खोद कर बालू की निकासी करनी है, लेकिन नियम की धज्जियां उड़ाते हुए बालू माफिया पोकलेन मशीन से 20 फुट, तो कहीं उससे भी ज्यादा खोद कर बालू निकाल रहे हैं.
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