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दो बार नहीं मिला बेल, तो तीसरी बार फर्जी एफआइआर पर ले लिया बेल
धनरूआ थाने के जवाहर हत्याकांड के मुख्य आरोपित का कारनामा हाइकोर्ट ने बेल बांड खारिज कर एसएसपी को तत्काल गिरफ्तार करने का दिया आदेश पटना : पटना उच्च न्यायालय ने एक और फर्जी कागजात पर जमानत लेने वाले अपराधी रोहन यादव की जमानत रद्द करते हुए पटना पुलिस को उसे तत्काल गिरफ्तार करने का आदेश […]
धनरूआ थाने के जवाहर हत्याकांड के मुख्य आरोपित का कारनामा
हाइकोर्ट ने बेल बांड खारिज कर एसएसपी को तत्काल गिरफ्तार करने का दिया आदेश
पटना : पटना उच्च न्यायालय ने एक और फर्जी कागजात पर जमानत लेने वाले अपराधी रोहन यादव की जमानत रद्द करते हुए पटना पुलिस को उसे तत्काल गिरफ्तार करने का आदेश दिया है.
जस्टिस बीपी वर्मा की कोर्ट ने बुधवार को यह आदेश दिया है. कोर्ट ने उसके बेल बांड को भी रद्द किया है और सीबीआइ के अधिवक्ता को अगली सुनवाई के दिन मौजूद रहने को कहा है. इसके पहले फर्जी जमानत के कई मामले सामने आये हैं, जिनकी जांच के लिए सीबीआइ को आदेश दिया गया है.
रोहन यादव धनरूआ थाना क्षेत्र के निजामत गांव का निवासी है. उस पर गांव के ही जवाहर यादव की 2012 में हत्या करने का आरोप है. मृतक के पुत्र श्रवण कुमार की ओर से दर्ज करायी गयी प्राथमिकी में रोहन यादव पर गोली मारने का सीधा आराेप लगाया गया है.
रोहन यादव ने पहली बार पटना उच्च न्यायालय में तीन मार्च, 2015 को जमानत याचिका दायर की. कोर्ट ने उसे जमानत नहीं दी. उसने दाेबारा 28 मई, 2015 को अपील याचिका दायर किया. मुख्य न्यायाधीश की कोर्ट में आयी इस याचिका पर रोहन यादव की ओर से कोई बहस करने नहीं आया. अंतत: जमानत याचिका खारिज हो गयी.
तीसरी बार रोहन यादव ने जमानत याचिका दायर किया. इस बार उसने प्राथमिकी के तथ्यों की हेराफेरी कर याचिका में कहा कि बालेश्वर यादव के कहने पर उपेंद्र यादव ने जवाहर यादव को गोली मारी थी. वह सिर्फ घटनास्थल पर मौजूद था. खास यह कि उसने अपनी याचिका में कहीं इस बात का जिक्र नहीं किया कि इसके पहले दो बार उसकी जमानत याचिका खारिज हो चुकी है. यहीं नहीं इस बार कांड संख्या को भी बदल कर 216-2012 कर दिया. जबकि, पहली बार की याचिका में कांड संख्या 226-2012 अंकित किया.
दूसरी बार की याचिका में कांड संख्या 66-2012 अंकित किया था. मजेदार बात यह कि तीनों कांड संख्या धनरूआ पुलिस थाना के ही दिखाये गये थे. तीसरी बार आरोप हलका होने से 15 मई, 2015 को हाइकोर्ट से जमानत मंजूर हो गयी. जब सूचक के परिवार को इस बात की जानकारी मिली तो उसने पटना उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया.
कोर्ट ने पूरी तहकीकात की तो रोहन यादव द्वारा कोर्ट को बरगलाने और फर्जी कागजात के आधार पर जमानत लेने के आरोप सही पाये गये. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान इस मामले की भी पूर्व की तरह सीबीआइ को सौंपने के संकेत दिये. इसके लिए अगली सुनवाई को सीबीआइ के वकील विपिन कुमार सिन्हा को कोर्ट में उपस्थित रहने को कहा है.
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