Advertisement
अब पंचायतों के केंद्रीय ग्रांट पर मंडरा रहा खतरा
समस्या. पंचायतों से सात वर्षों से नहीं मिला उपयोगिता प्रमाणपत्र पंचायती राज विभाग व राजीव गांधी पंचायत सशक्तीकरण अभियान के तहत दी गयी राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र अभी तक विभाग को नहीं मिला है. पिछले सात सालों का अब विभाग हिसाब तलाश रहा है. पटना : आर्थिक रूप से सशक्त हो चुकी पंचायतों को […]
समस्या. पंचायतों से सात वर्षों से नहीं मिला उपयोगिता प्रमाणपत्र
पंचायती राज विभाग व राजीव गांधी पंचायत सशक्तीकरण अभियान के तहत दी गयी राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र अभी तक विभाग को नहीं मिला है. पिछले सात सालों का अब विभाग हिसाब तलाश रहा है.
पटना : आर्थिक रूप से सशक्त हो चुकी पंचायतों को केंद्रीय ग्रांट मिलने पर खतरा मंडरा रहा है. पंचायतों का पिछला ट्रैक रिकॉर्ड सही नहीं होने के कारण यह परेशानी पैदा हो सकती है. पंचायती राज विभाग व राजीव गांधी पंचायत सशक्तीकरण अभियान के तहत दी गयी राशि की उपयोगिता प्रमाण पत्र अभी तक विभाग को नहीं मिला है. पिछले सात सालों का अब विभाग हिसाब तलाश रहा है.
गुजरे इन वर्षों में पदाधिकारी हाथ पर हाथ धर कर बैठे रहे और उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं भेजा. आश्चर्य तो यह है कि ऐसे किसी दोषी पदाधिकारी को चिह्वित कर उसके खिलाफ कार्रवाई भी नहीं की गयी. पंचायती राज विभाग की स्थिति यह है कि जिलों द्वारा समय पर उपयोगिता प्रमाण पत्र विभाग को मिलता ही नहीं. केंद्र सरकार द्वारा 14 वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर पंचायतों को राशि का अावंटन शुरू हो गया है.
इधर, जिलों को 13 वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर वर्ष 2010-11 से 2014-15 तक स्वीकृत व उपलब्ध करायी गयी राशि की शत प्रतिशत उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं मिला है. 14 वें वित्त आयोग ने अब पंचायतों के विकास से लिए राशि सीधे पंचायतों के खाते में भेजने की अनुशंसा की है. इसमें 90 फीसदी राशि मूल अनुदान व 10 फीसदी राशि कार्य निष्पादन अनुदान के रूप में आवंटित की गयी है. मूल अनुदान के रूप में जो राशि दी जाती है उसका खर्च विकास कार्यों पर की जायेगी जबकि कार्य निष्पादन अनुदान ऑडिट और कार्यालय व्यय पर खर्च होना है. आयोग ने अनुशंसा की है कि बिना उपयोगिता प्रमाण पत्र के दूसरे किस्त की राशि नहीं मिलेगी. पंचायतों को हर वित्तीय वर्ष में दो बार अनुदान मिलेगा.
वित्तीय वर्ष 2013-14 के लिए राजीव गांधी पंचायत सशक्तीकरण अभियान के तहत पुरस्कृत सर्वश्रेष्ठ पंचायती राज संस्थाओं को दी गयी प्रोत्साहन राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र विभाग को अप्राप्त हैं. जिन जिलों को यह राशि भेजी गयी थी उसमें बांका जिला में जिला परिषद बांका, बाहाहाट पंचायत समिति, पटना जिला में अथमलगोला पंचायत समिति, पंडारकर प्रखंड का बिहारी बिगहा पंचायत, औरंगाबाद जिला में बारुण पंचायत समिति, ग्राम पंचायत दुधार, रोहतास जिला में कोचस पंचायत समिति व ग्राम पंचायत खुसियाखुर्द, नालंदा जिला में नीरपुर ग्राम पंचायत, किशनगंज जिला में कोचाधामन प्रखंड का विशनपुर ग्राम पंचायत और खगड़िया जिला में भदास दक्षिण ग्राम पंचायत की राशि शामिल हैं.
इसी तरह से पंचायती राज द्वारा पंचायतों के लिए चलाये जा रहे रेडियो मिर्ची के कार्यक्रम के प्रसारित व अच्छादित क्षेत्र के बारे में प्रतिवेदन की मांग की गयी है जो अभी तक पटना जिला, सारण जिला, भोजपुर जिला, मुजफ्फरपुर जिला व गया जिला द्वारा नहीं भेजा गया हैं.
इसी तरह से पिछड़ा क्षेत्र अनुदान के तहत दी गयी राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र का भी पूर्ण रूप से प्रतिवेदन विभाग को नहीं सौपा गया है. इसी तरह जिलों द्वारा अब तक प्रशिक्षण मद की दी गयी राशि का शत प्रतिशत उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिया गया है. जिलों द्वारा मुख्यमंत्री ग्रामोदय कार्यक्रम की 224 करोड़ 69 लाख रुपये का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं सौंपा गया है.
विभाग द्वारा राज्य की ग्राम कचहरियों के उपस्कर व प्रशासनिक व्यय के लिए आवंटित की गयी राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र अभी तक विभाग को नहीं मिला है. वित्तीय वर्ष 2008-09 से इन कचहरियों के लिए 13 करोड़ 99 लाख की राशि भेजी गयी था. इसका अभी तक विभाग के पास उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं मिला है. इसी तरह से निर्वाचित पंचायती राज प्रतिनिधियों के लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम से संबंधित जिलेवार प्रतिवेदन सात जिलों से नहीं मिला है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement