पटना: खाद्य सुरक्षा बिल का एनडीए के सांसद विरोध करेंगे. बिल के कई प्रावधान गरीब राज्यों के विरोधी हैं. ये बातें उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहीं. उन्होंने कहा कि यह प्रावधान किया गया है कि ग्रामीण क्षेत्र की 75 प्रतिशत व शहरी क्षेत्र की 50 प्रतिशत आबादी को ही हाउस होल्ड एरिया माना गया है. शेष आबादी को इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा. इससे समाज में असमानता बढ़ेगी. यह अधिकार राज्यों को मिलना चाहिए. सरकार ने केंद्र को सुझाव दिया था कि गरीब लोगों की पहचान राज्य सरकार करेगी, संख्या का निर्धारण केंद्र न करे. लेकिन, इस सुझाव को विधेयक में शामिल नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि कोई भी कानून बनता है तो इसके लागू होने के बाद होनेवाले अतिरिक्त खर्च का जिक्र विधेयक के प्रारूप में रहता है, पर यह पहला बिल है, जिसमें इसका जिक्र नहीं किया गया है.
पूरी राशि खर्च करे केंद्र
श्री मोदी ने कहा, बिल में प्रावधान है कि अगर किसी कारणवश समय पर चिह्न्ति लोगों को खाद्यान्न नहीं मिला, तो उन्हें खाद्य सुरक्षा भत्ता देना होगा. इसी तरह जिलों में पांच सदस्यीय जिला स्तरीय शिकायत निवारण कोषांग बनाने की बात कही गयी है. इसी तरह राज्य में राज्य खाद्य आयोग बनाने का प्रावधान किया गया है, लेकिन इस पर होनेवाले खर्च का भार राज्य सरकार को सौंपा गया है. खाद्यान्न के वैज्ञानिक तरीके से भंडारण करने व जनवितरण प्रणाली की दुकान में खाद्यान्न को पहुंचाने व निगरानी समिति बनाने की बात कही गयी है. इस पर होनेवाले व्यय की जिम्मेवारी राज्य सरकार पर थोप दी गयी है. गरीब राज्य कहां से अतिरिक्त राशि लायेंगे. इसी तरह गर्भवती महिलाओं को गर्भधारण करने से गर्भवती होने तक की अवधि में पूरा भोजन व छह हजार रुपये मातृत्व लाभ देने का जिक्र बिल में है.
संसद की स्थायी समिति ने राज्यों को तीन श्रेणी में बांटने का सुझाव दिया था, परंतु इसे भी विधेयक में शामिल नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि वह भाजपा व जदयू के सांसदों को विधेयक की तकनीकी बारीकियों से अवगत करायेंगे व संसद में बहस के दौरान उठाने को कहेंगे. केंद्र को इस योजना पर होनेवाली अतिरिक्त राशि के व्यय को स्वयं खर्च करना चाहिए.