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पांच प्रश्नों से जांचेंगे आरटीइ की गड़बड़ी
कवायद. 2014-15 सत्र के नामांकन की जांच के लिए बनाया गया पांच प्रश्नों का फाॅर्मेट पटना : बच्चे का नाम क्या है, पिता का नाम बतायें, बच्चे का एड्रेस क्या है, स्कूल से बच्चे के घर की दूरी क्या है, बच्चा किस जाति से आता है… शिक्षा के अधिकार के तहत इन पांच प्रश्नों का […]
कवायद. 2014-15 सत्र के नामांकन की जांच के लिए बनाया गया पांच प्रश्नों का फाॅर्मेट
पटना : बच्चे का नाम क्या है, पिता का नाम बतायें, बच्चे का एड्रेस क्या है, स्कूल से बच्चे के घर की दूरी क्या है, बच्चा किस जाति से आता है… शिक्षा के अधिकार के तहत इन पांच प्रश्नों का जवाब अब निजी विद्यालयों को देना होगा. प्रति बच्चे इन प्रश्नों के जवाब के लिए सूची तैयार की गयी है.
इस सूची को निजी विद्यालयों को भेज दी गयी है. अब तक किस स्कूल ने आरटीइ के तहत कितना नामांकन लिया है, इसकी जांच के लिए पांच प्रश्नों की सूची तैयार की गयी है. इसमें 2014-15 सत्र के स्कूल को फिलहाल शामिल किया गया है.
नामांकन में स्कूल कर रहा धांधली : शिक्षा के अधिकार के तहत नामांकन में धांधली करने वाले निजी विद्यालयों की अब खैर नहीं है. शिक्षा के अधिकार के तहत नामांकन होता है. हर साल नामांकन की संख्या बढ़ रही है. लेकिन, जब किसी स्कूल में नामांकन की स्थिति देखी जाती है तो आरटीइ वाले बच्चे नजर नहीं आते हैं. नामांकन में कहीं धांधली तो नहीं हो रही है, इसको लेकर स्कूलों की जांच की जायेगी. इसके लिए स्कूलों से उनके राज्य सरकार से एनओसी नंबर भी मांगा जा रहा है. 2014-15 सत्र की जांच के बाद 2011 से 2014 तक के नामांकन की भी जांच की जायेगी.
पहले जानकारी, फिर मिलेगी राशि: इसकी शुरुअात 2014-15 सत्र में आरटीइ के तहत लिये गये नामांकन से की जा रही है. जिन निजी विद्यालयों ने 2014-15 में आरटीइ के तहत नामांकन लिया, उन स्कूलों के पास से छात्रों की पूरी जानकारी आने के बाद ही आरटीइ संबंधित राशि दी जायेगी.
ज्ञात हो कि शिक्षा के अधिकार के तहत नामांकन होने के एक साल बाद राशि दी जाती है. जब नामांकन लेने वाले बच्चों की पूरी सूची प्राप्त हो जाती है. सूची में शामिल बच्चों की संख्या के अनुसार राशि का आवंटन होता है. फिर प्रति बच्चे राशि बांटी जाती है. 2014-15 के लिये राशि तो आ गयी है, लेकिन पहले हर स्कूलों को पांच प्रश्नों का जवाब देना होगा, तभी राशि मिलेगी.
करोड़ों रुपये सरकार करती है खर्च : आरटीइ के नाम पर सरकार का करोड़ों रुपये खर्च तो हो रहा है, लेकिन 25 फीसदी नामांकन पूरा नहीं हो रहा है. सरकार की ओर से क्लास वन से लेकर आठवीं तक की पढ़ाई के लिए प्रति बच्चे को साल में एक बार राशि दी जाती है. 4300 रुपये साल में एक बार दिया जाता है.
हो रही है गड़बड़ी
कई स्कूल आरटीइ के नाम पर बस सरकार से पैसे लेते हैं. एक ही बच्चे की नाम की सूची दिखा कर अगले साल भी राशि ली जाती है. बस पिता का नाम इधर से उधर कर देते हैं.
वहीं दूसरी ओर 25 फीसदी नामांकन कितने बच्चों पर है, इसकी कोई जानकारी स्कूल नहीं देता है. सरकार पैसे तो खर्च कर रही है, लेकिन एक ही बच्चे को बार-बार पैसा मिल रहा है.
अजय कुमार, आरटीआइ एक्टिविस्ट
पांच प्रश्नों की सूची आयी है, जिसे निजी विद्यालयों को भेजी है. प्रति बच्चे जानकारी ली जायेगी. इससे सही जानकारी मिल पायेगी कि नामांकन कितना हुआ. इसके बाद आवंटन होगा.
राम सागर सिंह, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, सर्व शिक्षा अभियान
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