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असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति : विज्ञापन होगा रद्द, नये सिरे से निकलेगा
पटना : राज्य की डोमिसाइल नीति को लेकर छिड़ी बहस का असर दिखने लगा है. राज्य सरकार यूजीसी की 2009 की गाइडलाइन से पहले पीएचडी करनेवालों को जल्द ही खुशखबरी देने जा रही है. असिस्टेंट प्रोफेसर के 3364 पदों के लिए चल रही नियुक्ति प्रक्रिया को रोक दिया जायेगा. बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की […]
पटना : राज्य की डोमिसाइल नीति को लेकर छिड़ी बहस का असर दिखने लगा है. राज्य सरकार यूजीसी की 2009 की गाइडलाइन से पहले पीएचडी करनेवालों को जल्द ही खुशखबरी देने जा रही है. असिस्टेंट प्रोफेसर के 3364 पदों के लिए चल रही नियुक्ति प्रक्रिया को रोक दिया जायेगा.
बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की ओर निकाले गये इसके विज्ञापन को रद्द किया जायेगा और नये सिरे से विज्ञापन जारी होगा. इसमें 2009 की गाइडलाइन से पहले पीएचडी करनेवालों को भी अवसर दिया जायेगा. असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए उनकी पीएचडी की डिग्री मान्य होगी. केंद्र सरकार ने इसकी अनुमति पहले दे दी है. अब राज्य सरकार इसके लिए अध्यादेश जारी करेगी. माना जा रहा है कि सप्ताह भर के भीतर इस प्रक्रिया को लेकर आधिकारिक घोषणा कर दी जायेगी. विधानमंडल के माॅनसून सत्र में डोमिसाइल को लेकर उठे सवालों के जवाब में सरकार की ओर से शिक्षा मंत्री डाॅ अशोक चौधरी ने कहा था कि सरकार जल्द ही इस मसले पर विधि विशेषज्ञों से राय लेगी.
उच्चस्थ सूत्रों के मुताबिक विभाग मौजूदा विज्ञापन को रद्द कर नये सिरे से विज्ञापन जारी करने पर सहमत हो गया है. इसके तहत जिन विषयों में साक्षात्कार के परिणाम घोषित नहीं हुए हैं, उनको रद्द करने को लेकर विभाग में संशय की स्थिति थी. हालांकि, अब तक सिर्फ मैथिली विषय के असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी हुई है और इसमें चयनित असिस्टेंट प्रोफेसर विभिन्न कालेजों में योगदान भी कर चुके हैं. जबकि अंगरेजी, अर्थशास्त्र, मनोविज्ञान, दर्शनशास्त्र, गणित, राजनीतिक विज्ञान, भौतिकी विषयों के आवेदकों का साक्षात्कार हो चुका है, पर परिणाम घोषित नहीं हुए हैं.
बीपीएससी ने सितंबर, 2014 में असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था. इसमें शुरुआत में यूजीसी की 2009 की गाइडलाइन के आधार पर पीएचडी करनेवाले या नेट क्वालिफाइ करनेवाले को आवेदन की अनुमति दी थी. लेकिन, 2009 की गाइडलाइन से पहले पीएचडी करनेवालों ने सरकार के इस निर्णय को पटना हाइकोर्ट में चुनौती दी थी. इस पर हाइकोर्ट ने सरकार को यूजीसी की 2009 की गाइडलाइन से पहले पीएचडी करने वाले अभ्यर्थियों के भी आवेदन लेने का आदेश दिया था. इनके आवेदन लिये भी गये. लेकिन, सरकार सुप्रीम कोर्ट गयी और शीर्ष कोर्ट ने 2009 की गाइडलाइन के आधार पर ही असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति करने का निर्देश दिया. इसके बाद 2009 की गाइडलाइन से पहले पीएचडी करनेवालों के आवेदनों को किनारे रख दिया गया और सिर्फ नेट क्वालिफाइ और 2009 की गाइडलाइन के आधार पर पीएचडी करनेवाले आवेदकों के साक्षात्कार शुरू हुए.
लालू ने उठाया डोमिसाइल का मुद्दा
इस आधार पर 2009 की गाइडलाइन से पहले पीएचडी करनेवाले बिहार के करीब 35 हजार आवेदकों को साक्षात्कार में शामिल होने का मौका नहीं मिल पाया. दूसरी ओर बाहरी राज्यों के आवेदकों को बड़ी संख्या में साक्षात्कार का अवसर मिला है. राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने इस मामले को सार्वजनिक तौर पर उठाते हुए डोमिसाइल नीति बनाने की बात कही थी. इस पर मुख्यमंत्री ने सर्वदलीय बैठक बुलाने की बात कही और प्राय: सभी दलों ने इस पर सहमति के संकेत दिये.
मैथिली के शिक्षकों की बच जायेगी नौकरी
नये सिरे से विज्ञापन जारी होने से मैथिली विषय के असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति पर कोई असर नहीं पड़ेगा. मैथिली विषय में 53 पदों लिए 49 आवेदकों का साक्षात्कार के बाद चयन हुआ. इन सबों को काॅलेज आवंटित कर दिये गये हैं. मौजूदा विज्ञापन वापस लेने और नये विज्ञापन जारी होने से इन नव चयनितों की नौकरी पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
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