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ब्याज न देने वाले बैंकों को अब भरना होगा जुर्माना

बैंकों ने 73 करोड़ में महज 10 लाख दिया ब्याज, एकमात्र पीएनबी बैंक ने ही अपना ब्याज जमा किया है पटना : सरकारी रुपये को अपने खाते में कई महीनों तक गलत तरीके से जमा करके रखने के कारण वित्त विभाग ने राज्य के आठ सरकारी बैंकों को ब्याज के रुपये जमा कराने को कहा […]

बैंकों ने 73 करोड़ में महज 10 लाख दिया ब्याज, एकमात्र पीएनबी बैंक ने ही अपना ब्याज जमा किया है
पटना : सरकारी रुपये को अपने खाते में कई महीनों तक गलत तरीके से जमा करके रखने के कारण वित्त विभाग ने राज्य के आठ सरकारी बैंकों को ब्याज के रुपये जमा कराने को कहा था. विभाग ने मई 2016 में ही सभी संबंधित बैंकों को ब्याज के 73 करोड़ 46 लाख रुपये जमा करने का आदेश दिया था. परंतु अभी तक ब्याज के बकाये में 10 लाख रुपये ही बैंक ने जमा किये हैं. वह भी सिर्फ एकमात्र पीएनबी बैंक ने ही अपना ब्याज जमा किया है.
शेष सात बैंकों ने इस मामले में कोई रुचि ही नहीं दिखायी है. अन्य बैंकों को इस संबंध में अवगत कराये जाने के बावजूद उन्होंने कोई रुचि नहीं दिखायी. इसके मद्देनजर इस बार वित्त विभाग ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए सात बैंकों को ब्याज के रुपये जल्द जमा करने का आदेश दिया है. रुपये जमा नहीं करने की स्थिति में बैंकों से पीनल इंट्रेस्ट (दंडस्वरूप ब्याज) की वसूली की जायेगी. इस संबंध में कोई कोताही नहीं बरती जायेगी.
इस मामले में वित्त विभाग के सचिव (संसाधन) एचआर श्रीनिवास ने सभी संबंधित बैंकों के महाप्रबंधक को पत्र लिखकर कड़ी आपत्ति जतायी है. वित्त विभाग ने कहा है कि निर्देश का पालन करने के बजाय बैंक की शाखाएं निबंधन, उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग की तरफ से गणना की हुई ब्याज की राशि पर ही प्रश्न चिह्न लगाते हुए इस मामले को बेवजह पत्राचार में उलझाया जा रहा है.
इससे समय की भी बर्बादी हो रही है और बेवजह मामले को लंबा खींचा जाता है. इस मामले में कोई लापरवाही नहीं होगी. यदि राज्य सरकार के खाते में ब्याज के रुपये जमा नहीं कराये गये, तो उन बैंकों पर बकाये ब्याज के रुपये को मूलधन मानते हुए उस पर प्रतिदिन विलंब रेट की दर से दंडस्वरूप ब्याज लगाकर अधिक राशि वसूली जायेगी.
यह है पूरा मामला
यह मामला खासतौर से निबंधन, उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग से जुड़ा हुआ है. बैंक वाले चालान के रूप में निबंधन या टैक्स के रुपये अपने यहां आम लोगों से जमा लेते हैं. इस रुपये को वे महीनों तक सरकारी खजाने में जमा नहीं करने के बजाये अपने पास पार्किंग करके रखे रहते हैं.
जबकि नियमानुसार, बैंक में सरकारी रुपये को दो से तीन दिन के अंदर सरकारी खजाने में जमा कराना चाहिए. परंतु इसमें देरी के कारण निबंधन विभाग ने संबंधित बैंकों पर ब्याज के रूप में रुपये वसूलने का दावा किया था. इस मामले को सही पाते हुए वित्त विभाग ने सभी संबंधित बैंकों को उतने समय का ब्याज सरकारी खजाने में जमा कराने का निर्देश दिया, जितने दिनों तक उन्होंने पैसे अपने पास रोके रखा था.
इन 7 बैंकों को दिया आदेश
भारतीय स्टेट बैंक, इलाहाबाद बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, यूको बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया और उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक.

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