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इतिहास बन जायेगा 1870 का ग्राम चौकीदारी अधिनियम
पटना : सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए सरकार द्वारा बिहार राज्य सुरक्षा कार्ययोजना तैयार की चुकी है. इस कार्ययोजना को लागू करने के लिए पैसे की आवश्यकता है. सरकार द्वारा सड़क सुरक्षा निधि की स्थापना की जायेगी. इसको ध्यान में रखते हुए सरकार ने विधानसभा में बिहार मूल्यवर्धित कर (संशोधन) विधेयक 2016 का […]
पटना : सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए सरकार द्वारा बिहार राज्य सुरक्षा कार्ययोजना तैयार की चुकी है. इस कार्ययोजना को लागू करने के लिए पैसे की आवश्यकता है. सरकार द्वारा सड़क सुरक्षा निधि की स्थापना की जायेगी. इसको ध्यान में रखते हुए सरकार ने विधानसभा में बिहार मूल्यवर्धित कर (संशोधन) विधेयक 2016 का प्रस्ताव लाया है.
सरकार द्वारा करारोपण से प्राप्त राशि से सड़क सुरक्षा कार्ययोजना को कार्य रूप दिया जायेगा. इसके साथ ही सरकार द्वारा आठ नये विधेयकों का प्रस्ताव सदन को प्राप्त हुआ है. चलते सत्र में इन विधेयकों को सरकार पारित करायेगी.
बिहार विधानसभा में सोमवार को आठ नये विधेयकों का प्रस्ताव प्राप्त हुआ है. इसी में शामिल है बिहार विधि निरसन (जो आवश्यक अथवा सुसंगत नहीं रह गये हैं) विधेयक 2016. यह विधेयक बंगाल अधिनियम के तहत बने ग्राम चौकीदार अधिनियम 1870 और बंगालग्राम चौकीदारी अधिनियम 1871 में बनाये गये अधिनियमों को समाप्त करने के लिए लाया गया है.
राज्य सरकार का मानना है कि बिहार में पंचायत राज अधिनियम 2006 लागू किया जा चुका है. इसके पहले वर्ष 1990 में राज्य सरकार द्वारा चौकीदारों को सरकारी सेवक का दर्जा देते हुए उनके वेतन का भुगतान राजकीय कोष से किया जाने लगा. राज्य सरकार ने ग्राम चौकीदारी टैक्स व्यवस्था को समाप्त करने का निर्णय लिया है. ऐसे में इस विधेयक के सूचीबद्ध अधिनियमों को समाप्त करना समय के अनुकूल है. सरकार द्वारा अन्य विधेयक लाये गये हैं.
उसमें बिहार राज्य विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक 2016भी शामिल है. इस विधेयक को लाने के पीछे सरकार का उद्देश्य है कि प्रशासनिक दृष्टिकोण तथा छात्रों की शिक्षा के हित में राज्य में पूर्व से संचालित मगध विश्वविद्यालय, बोधगया और भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा को विभाजित कर पटना और पूर्णिया में एक-एक नये विश्वविद्यालय की स्थापना करना आवश्यक है.
साथ ही बिहार राज्य के पुनर्गठन एवं झारखंड राज्य की स्थापना के बाद झारखंड के क्षेत्राधिकार में पड़नेवाले तीन विश्वविद्यालयों का विलोपन भी बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1976 में वर्णित प्रावधानों से किया जाना आवश्यक है. इसको लेकर संशोधन विधेयक लाया गया है.
अपने उत्तराधिकारी के आने तक बने रहेंगे लोकायुक्त के अध्यक्ष व सदस्य
सामान्य प्रशासन द्वारा विधानसभा में नया बिहार लोकायुक्त (संशोधन) विधेयक 2016 लाया गया है.इस विधेयक में लोकायुक्त के अध्यक्ष व सदस्यों को अपने उत्तराधिकारी के पदभार ग्रहण करने तक अपने पद पर बने रहने का अधिकार होगा. लोकायुक्त के अध्यक्ष व सदस्यों के चयन की दुरुह प्रक्रिया को देखते हुए यह संशोधन विधेयक लाया गया है.
लोकायुक्त के अध्यक्ष व सदस्यों के चयन के लिए चयन समिति गठित की गयी है. इसके बाद खोजबीन कमेटी द्वारा अध्यक्ष व सदस्यों का पैनल तैयार किया जाता है. इसमें लंबा समय लगता है.
ऐसे में अध्यक्ष व सदस्यों का पांच साल का कार्यकाल या 70 वर्ष की निर्धारित आयु समाप्त हो जाती है और पद रिक्त हो जाता हैं. अब नये अध्यक्ष व सदस्य के आने तक लोकायुक्त के पदाधिकारी अपने पद पर बने रहेंगे.
इसके अलावा सदन में लाये गये अन्य संशोधन अधिनियमों में बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन विधेयक 2016. यह विधेयक राज्य में निवेश के विकास एवं प्रोत्साहन को सहज बनाने व उससे संबंधित विषयों के लिए उपबंध करने के लिए यह विधेयक मददगार साबित होगा. विधानसभा में पशु मत्स्य संसाधन विभाग द्वारा बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय विधेयक 2016 का प्रस्ताव मिला है. इस विधेयक के पीछ सरकार का उद्देश्य है कि राज्य में पशु विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की जो भी संस्थान है वे कृषि विश्वविद्यालय से जुड़े हुए हैं.
विवि का उद्देश्य कृषि विज्ञान का और उद्यान का विकास करना है. राज्य में पशु एवं मत्स्य संसाधन संबंधित विज्ञान में अंतरराष्ट्रीय स्तर का शोध करने एवं विभिन्न शोधों को धरातल पर उतारने के लिए एक अलग और अत्याधुनिक विश्वविद्यालय की स्थानपना करने के लिए यह विधेयक लाया गया है. इस विव में राज्य में पशु विज्ञान, पशुपालन, पशु चिकित्सा, गव्य तकनीकी, मत्स्य एवं सहबद्ध विज्ञानों के विकास के लिए शिक्षा, अनुसंधान, विस्तार व प्रसार जैसे कार्य करेगा.
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