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राज्य में प्रधानमंत्री फसल बीमा लागू होने पर असमंजस बरकरार
पटना : राज्य में प्रधानमंत्री फसल बीमा लागू होने पर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. बीमा कराने की अंतिम तिथि 15 अगस्त तय है. इसके बावजूद बीमा कंपनी के चयन और कंपनियों को जिले का आवंटन का निर्णय नहीं लिया जा सका है. सहकारिता विभाग से मिली जानकारी के अनुसार फसल बीमा के लिए […]
पटना : राज्य में प्रधानमंत्री फसल बीमा लागू होने पर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. बीमा कराने की अंतिम तिथि 15 अगस्त तय है. इसके बावजूद बीमा कंपनी के चयन और कंपनियों को जिले का आवंटन का निर्णय नहीं लिया जा सका है.
सहकारिता विभाग से मिली जानकारी के अनुसार फसल बीमा के लिए केंद्र सरकार के निर्देश पर लगभग 15 निजी बीमा कंपनियों को राज्य में बीमा कराने की जिम्मेवारी मिलनी थी. इन कंपनियों को बीमा के लिए दर तय करने में शामिल भी किया गया, लेकिन अंत में सिर्फ छह कंपनी टेंडर में शामिल हुए. इसके कारण बिहार में बीमा का दर काफी अधिक हो गया है.
बिहार के अंदर भी एक ही कंपनी की बीमा का दर दूसरे जिला में अधिक हो जाता है. विभागीय अधिकारी ने बताया कि उत्तर प्रदेश की अपेक्षा बिहार में प्रीमियम कई गुणा अधिक लगेगा. एक अनुमान के मुताबिक बिहार को बीमार के लिए उत्तर प्रदेश की अपेक्षा कम से कम तीन गुणा अधिक प्रीमियम देना होगा.
जो राज्य सरकार की बजट को प्रभावित करेगा. वहीं किसानों को भी दो प्रतिशत का प्रिमियम मद में अधिक राशि का भुगतान करना होगा. वहीं केंद्र सरकार के प्रावधान के अनुसार फसल क्षति की जानकारी के लिए पूर्व में प्रखंड स्तर पर कटनी प्रयोग के स्थान पर अब पंचायत स्तर पर कटनी प्रयोग का प्रावधान किया गया है. राज्य सरकार को पंचायत स्तर पर कटनी प्रयोग के लिए बड़ी राशि खर्च करना होगा. राज्य में फल बीमा शुरू करने में हो रही देरी के बारे में सहकारिता मंत्री आलोक मेहता ने कहा है कि वे इसकी समीक्षा कर रहे हें जल्द ही फसल बीमा के लिए निर्णय लिया जायेगा.
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