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कुरसी बदलती रही, पर काम थमा रहा

लापरवाही. साढ़े चार सालों में 10 बार बदले नगर आयुक्त, चलता रहा मेयर-आयुक्त विवाद 500 करोड़ के बजट वाले नगर निगम का बुरा हाल है. साढ़े चार सालों में कई नगर आयुक्त आये और गये पर विकास वहीं ठहरा रहा. पटना : नगर में लोकतंत्र, यानी शहर की सरकार. 72 वार्डाें से चुने गये जन […]

लापरवाही. साढ़े चार सालों में 10 बार बदले नगर आयुक्त, चलता रहा मेयर-आयुक्त विवाद
500 करोड़ के बजट वाले नगर निगम का बुरा हाल है. साढ़े चार सालों में कई नगर आयुक्त आये और गये पर विकास वहीं ठहरा रहा.
पटना : नगर में लोकतंत्र, यानी शहर की सरकार. 72 वार्डाें से चुने गये जन प्रतिनिधि और उनके मुखिया शहर के मेयर. योजनाओं को बनाने और इन पर फैसला लेने के लिए मेयर की कैबिनेट यानी सात सदस्यों वाली सशक्त स्थायी समिति. लगभग 500 करोड़ का बजट. योजनाओं के नाम पर ठोस कचरा प्रबंधन, सड़क गलियों और नाले का निर्माण, शहर की साफ-सफाई, शहर के लोगों को पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराना. विकास के कई और छोटे बड़े काम की जिम्मेवारी. इन्हें पूरा करने की जिम्मेवारी निगम सरकार की थी.
अब तक इस नगर सरकार के साढ़े चार वर्ष पूरे हो चुके हैं. इस दौरान लगभग दस बार नगर आयुक्त का तबादला हो चुका है. और फिर वर्ष 2013 से 2015 की जनवरी तक मेयर-आयुक्त विवाद चलता रहा. लेकिन, काम के नाम पर कुछ भी विशेष नहीं हुआ. प्रभात खबर ने बीते पांच साल के कामों की पड़ताल की, पेश है रिपोर्ट कार्ड.
नगर निगम के साढ़े चार साल का रिपोर्ट कार्ड : दावे तो किये गये बड़े-बड़े, पर उपलब्धियां रहीं शून्य
1 ठोस कचरा प्रबंधन
यह योजना साल 2007 की थी. इसके तहत कचरा उठाव से लेकर उसके निस्तारण तक काम पूरा करना था. इसमें सफाई के लिए उपकरणों की खरीद करनी थी. कचरे से बिजली बनानी थी.
रियलिटी चेक लगभग 16 करोड़ की लागत से सफाई के लिए छोटे-बड़े उपकरणों की खरीद की गयी है, पर रामाचक बैरिया में कचरा निबटान पर अब तक कंपनी ने बकायदा काम शुरू नहीं किया है.
2 डोर टू डोर कचरा उठाव
शहर को साफ करने रखने के लिए सबसे महत्वपूर्ण योजना. 2010 से अब तक इसका प्रयास किया जा रहा है. निगम की खराब छवि के कारण कोई कंपनी निविदा के लिए आगे नहीं आ रही है.
रियलिटी चेक : लगभग चार बाद निविदा फेल होने के बाद इस वर्ष भी निगम ने टेंडर निकाला था. नूतन राजधानी अंचल में टेंडर असफल हो चुका है. कंकड़बाग में निविदा सफल होने की उम्मीद जगी है. चारों अंचलों के चार वार्डों में प्रतीक के रूप के कचरा उठाव चल रहा है.
3 यूरिनल व प्याऊ लगाने की योजना
निगम की सशक्त स्थायी समिति ने बीते पांच वर्षों में इस पर एक दर्जन से अधिक बार चर्चा कर निर्णय लिया है. निगम ने इसकी योजना तैयार की.
रियलिटी चेक : प्याऊ के लिए दो बार डीपीआर तैयार हुआ, लेकिन जमीन पर कुछ नहीं उतरा.
4 अवैध निर्माणों पर कार्रवाई
निगम ने टीम का गठन किया है. 2200 से अधिक मामले चल रहे हैं. बावजूद इसके शहर में अवैध निर्माण पर निगम रोक नहीं लगा पाया है.
रियलिटी चेक : 2014 में सरकार ने नया बिल्डिंग बाइलाज लागू किया, लेकिन इसका पूरी तरह से पालन संभव नहीं हो सका है. अब तक निगम ने मात्र तीन अवैध निर्माणों पर ही हथौड़ा चला सका है.
5 शाॅपिंग माॅल और मार्केट
न्यू मार्केट, मछुआ टोली, बकरी बाजार में शॉपिग माॅल और मार्केट बनाने की योजना कई वर्षों से चल रही है.
रियलिटी चेक : योजना की डीपीआर भी नहीं बनी.
6 पेयजल की सुविधा
बीते 50 वर्षों से अधिक पुरानी है शहर में पाइप लाइन संरचना. आये दिन कहीं न कहीं पानी लीकेज की समस्या रहती है.
रियलिटी चेक : निगम के पास पेयजल सफाई के लिए कोई बड़ी योजना नहीं है. निगम सिर्फ नया कनेक्शन और लीकेज मरम्मत का काम कर रहा है.
7 आवारा पशुओं को पकड़ना
बेऊर में कुत्ता और बोरिंग रोड में काजी हाउस बनाने की योजना.
रियलिटी चेक : योजना पर कुछ भी काम
नहीं हुआ.
(नोट : इसके अलावा निगम का मीटिंग हाॅल, मौर्या लोक में फ्री वाइ-फाइ की सुविधा, मेयर-आयुक्त के निवास निर्माण की योजना को भी इस बार के बजट में लाया गया था. इसी तरह वेंडिंग जोन, शहर के रास्ते को अतिक्रमण फ्री करना जैसे महत्वपूर्ण काम भी नगर निगम के पास हैं.)
निगम ने अपने वेबसाइट को बेहतर किया है और इ-डाक की शुरुआत हुई है. आठ जगहों पर टैक्स जमा करने के लिए नागरिक सुविधा केंद्र खुले हैं. निगम ने चार सुविधा होल्डिंग टैक्स जमा करने के साथ आॅनलाइन नक्शा और जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र और आरटीआइ सुविधा की शुरुआत इ-म्युनिसिपैलिटी से की है.
विकास तो हुआ है : मेयर
मेयर अफजल इमाम निगम में विवाद और कलह की बात को स्वीकारते हैं लेकिन विकास नहीं हुआ, इस पर तल्ख प्रतिक्रिया है. मेयर कहते हैं कि विवाद व कलह के बीच विकास का रास्ता निकाला है, कैसे कहते हैं कि काम नहीं हुआ. बीते कार्यकाल की पांच लाख की योजना इस कार्यकाल में पूरी हुई.
हर वार्ड में दस लाख की योजना का काम पूरा हुआ. प्रत्येक वार्ड में 50 लाख की विकास योजना 70 फीसदी पूरा हो गयी. नगर विकास विभाग से 50 करोड़ की योजना पर काम किया है. 32 जगहों पर बोरिंग और 200 लाइट के साथ हर वार्ड में 10 चापाकल लगे. हालांकि मेयर को मलाल है कि अधिकारियों और कर्मचारियों की भारी कमी से कई काम पूरे नहीं हुए.

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