पटना: अगलगी पर तत्काल नियंत्रण पाने और बीमार लोगों को मेडिकल राहत पहुंचाने के लिए जिस तरह फायर ब्रिगेड और एंबुलेंस चलती हैं, उसी तरह जर्जर और गड्ढेवाले सड़कों को तत्काल रोड-एंबुलेंस दुरुस्त करेगी. सड़कों की बीमारी दूर करने के लिए रोड एंबुलेंस का इस्तेमाल करनेवाला बिहार देश का पहला राज्य बन गया है.
गुरुवार को पथ निर्माण विभाग के सचिव प्रत्यय अमृत ने इससे लोगों को रू-ब-रू कराया. रोड एंबुलेंस की कार्य प्रणाली से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी अवगत हुए. रोड मेंटेंनेंस पॉलिसी के तहत पथ निर्माण विभाग ने संवेदकों के लिए रोड-एंबुलेंस रखना अनिवार्य कर दिया है. रोड एंबुलेंस की खरीद पटना के संवेदक ‘अम्हारा कंस्ट्रकशन’ ने की है. इसका 15 दिनों तक ट्रायल किया जायेगा.
इसको ले कर संवेदकों से राय भी मांगी जायेगी. संवेदकों की राय के बाद इसे फाइनल रूप दिया जायेगा. इस अनोखे रोड-एंबुलेंस का निर्माण अशोका लिलेन ने किया है, जबकि बॉडी बनायी है गाजियाबाद की टीपीएस कंपनी ने. रोड मेंटेनेंस पॉलिसी के तहत सड़कों का निर्माण करनेवाले संवेदकों को पांच वर्षो तक उसकी मरम्मत और रखरखाव भी करना है. इस काम में रोड-एंबुलेंस उनके लिए संजीवनी साबित होगी. सिर्फ सड़क निर्माण और मरम्मत में ही रोड एंबुलेंस का उपयोग नहीं होगा, बल्कि दुर्घटनाग्रस्त लोगों को यह अस्पताल भी पहुंचायेगा. यही नहीं, आंधी-पानी में ध्वस्त हुए वृक्षों के मलबे भी साफ करेगा.रोड-एंबुलेंस यदि सड़कों की तत्काल रिपेयर की समस्या का समाधान करने में सफल हुआ, तो बिहार के कम-से-कम 76 संवेदकों को इसे खरीद करना अनिवार्य हो जायेगा.
रोड-एंबुलेंस की खासियत एग्रीगेट
लिक्विड फार्म में इमांसन होगा
अलकतरा-एग्रीगेट मिलाने के लिए कंप्रेशर मशीनें
रोड-एंबुलेंस में स्प्रे मशीनों से तत्काल भरे जा सकेंगे गड्ढे
सड़क को समतल बनाने के लिए है स्पेशल प्लेट
सड़कों से वृक्ष आदि हटाने के लिए चेन सेल्फ
गड्ढों को रेगुलर सेफ करने के लिए जैक
सड़क दुर्घटना में घायल लोगों को अस्पताल पहुंचाने के लिए स्ट्रेचर
लोगों को संबोधित करने के लिए माइक व लाउड स्पीकर
साइन बोर्ड, ट्रैफिक सिग्नल, सेफ्टी जैकेट, गइता-कुदाल भी होगा
संवेदकों को रखना होगा कम-से-कम पांच कामगारों को
लागत : 25. 90 करोड़