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अब चार माह विश्राम करेंगे भगवान विष्णु

पटना : शुक्रवार को हरिशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा की गयी. श्रीहरि की पूजा के बाद श्रद्धालुओं ने पूरे दिन उपवास रख भगवान की प्रार्थना की. हरिशयनी एकादशी के दिन से भगवान विष्णु का शयनकाल आरंभ हो जाता है. इसके बाद चार माह के बाद भगवान विष्णु देवोत्थान एकादशी के दिन जागते हैं. […]

पटना : शुक्रवार को हरिशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा की गयी. श्रीहरि की पूजा के बाद श्रद्धालुओं ने पूरे दिन उपवास रख भगवान की प्रार्थना की. हरिशयनी एकादशी के दिन से भगवान विष्णु का शयनकाल आरंभ हो जाता है. इसके बाद चार माह के बाद भगवान विष्णु देवोत्थान एकादशी के दिन जागते हैं. धार्मिक मान्यता है कि वे चार महीने क्षीरसागर में विश्राम करते हैं. इन चार महीनों में कोई भी मांगलिक कार्य निषिद्ध माना गया है.
देवशयनी एकादशी को पद्मा एकादशी, आषाढ़ी एकादशी और हरिशयनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है.पूजा और उपवास के बाद शनिवार को श्रद्धालु पारण करेंगे. एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण करने का नियम है. पंडितों के अनुसार एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना अतिआवश्यक है.
यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गयी हो, तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही होता है. व्रत तोड़ने के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रातःकाल है. व्रत करनेवाले श्रद्धालुओं को दोपहर के दौरान व्रत तोड़ने से बचना चाहिए. कुछ कारणों की वजह से अगर कोई प्रातःकाल पारण करने में सक्षम नहीं है, तो दोपहर के बाद पारण करें.

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