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सभी थानों में अनुसंधान व विधि-व्यवस्था अलग

निर्णय. सभी 1064 थानों में अलग-अलग टीमें गठित सभी एसपी ने अपने-अपने जिले में मौजूद थानों में टीमों का गठन कर रिपोर्ट भेजी पुलिस मुख्यालय को. पटना : राज्य में पुलिस की स्थिति में सुधार लाने के लिए सभी 1064 थानों में विधि-व्यवस्था और अनुसंधान की व्यवस्था को अलग-अलग कर दिया गया है. पुलिस मुख्यालय […]

निर्णय. सभी 1064 थानों में अलग-अलग टीमें गठित
सभी एसपी ने अपने-अपने जिले में मौजूद थानों में टीमों का गठन कर रिपोर्ट भेजी पुलिस मुख्यालय को.
पटना : राज्य में पुलिस की स्थिति में सुधार लाने के लिए सभी 1064 थानों में विधि-व्यवस्था और अनुसंधान की व्यवस्था को अलग-अलग कर दिया गया है. पुलिस मुख्यालय की तरफ से जारी निर्देश का पालन करते हुए सभी जिलों के एसपी ने अपने-अपने जिले में मौजूद थानों में दोनों कार्यों के लिए दो अलग टीमों का गठन कर दिया है. साथ ही इसका अनुपालन करने से संबंधित पत्र भी सभी जिलों ने पुलिस मुख्यालय में भेज दिया है.
अब थाना स्तर पर चर्चित और बड़े मामलों का अनुसंधान करने तथा विधि-व्यवस्था के देखभाल करने की जिम्मेवारी अलग-अलग टीमों की होगी. पहले यह व्यवस्था राज्य के 155 थानों में ही थी, लेकिन इस वर्ष फरवरी में मुख्यमंत्री ने विधि-व्यवस्था की समीक्षा के दौरान यह आदेश दिया था कि सभी थानों में दोनों कार्यों के लिए अलग-अलग टीमें गठित कर दी जाये. इसके मद्देनजर सभी जिलों में इस आदेश का पालन कर दिया गया है.
हालांकि इसमें किसी तरह से यह संशय रखने की कहीं से जरूरत नहीं है कि विधि-व्यवस्था और अनुसंधान का काम करने वाली टीमें जरूरत पड़ने पर एक दूसरे की मदद या एक दूसरे का कार्य नहीं करेंगी. अनुसंधान कार्य के लिए गठित टीम जरूरत पड़ने पर विधि-व्यवस्था का कार्य भी देख सकती हैं.
यह विभाजन मुख्य रूप से संवेदनशील या गंभीर प्रवृत्ति के मामलों की देखभाल करने के लिए की गयी हैं. अनुसंधान कार्य में लगी टीम हत्या, डकैती, फिरौती, महिला उत्पीड़न या रेप जैसे जघन्य मामलों की छानबीन प्रमुखता से करेगी. इस तरह के तमाम मामलों के जांच और इनमें दोषी सभी लोगों को सजा दिलानेकी जिम्मेवारी अनुसंधान टीम की होगी. इसमें अनुभवी और अनुसंधान कार्य में माहिर पुलिस पदाधिकारियों को रखा गया है.
जहां जितनी जरूरत, वहां उतनी टीमें
जिस थाने में जितने मामले हैं, उसके हिसाब से टीमों का गठन किया गया है. बड़े थानों में जहां अनुसंधान के मामले जहां हैं, वहां अनुसंधान के लिए दो या तीन टीमों का भी गठन किया गया है. परंतु जहां अनुसंधान के मामले कम है, वहां एक टीम तक का भी गठन किया गया है. थानों में इनकी संख्या निर्धारित नहीं है. जहां जैसी जरूरत, वहां उतनी संख्या में टीमें बनायी गयी हैं. इस कार्य को सभी एसपी ने अपनी देखरेख में किया है.
महिला अपराध से जुड़े थानों की पहचान जारी
मुख्यमंत्री ने अपने निर्देश में कहा था कि राज्य में उन थानों की पहचान की जाये, जहां महिलाओं से जुड़े अपराध ज्यादा होते हैं. ऐसे थानों की पहचान कराने का काम फिलहाल चल रहा है.
फिलहाल ऐसे करीब 30-40 थानों की ही पहचान की गयी है. हालांकि इसका काम अभी जारी है. जिन थानों में पिछले दो-तीन सालों में महिलाओं के खिलाफ सभी तरह के अपराध खासकर रेप और उत्पीड़न के मामले ज्यादा दर्ज हुए हैं. उन्हें इस सूची में शामिल किया जा रहा है. इसके लिए थानों का क्राइम रेकॉर्ड खंगाला जा रहा है.
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राज्य में डीजीपी के स्तर पर काम करने वाली पुलिस हेल्पलाइन का अगले महीने से काम शुरू करने की संभावना है. यह संभावना जतायी जा रही है कि 15 अगस्त से शुरू हो सकता है.
हालांकि पुलिस मुख्यालय ने अभी तक इसकी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है. परंतु इससे जुड़ी तैयारियों को देखते हुए मुख्यालय के अधिकारियों का कहना है कि अगले महीने से यह निश्चित तौर पर काम करने लगेगा. इससे राज्य में कहीं से भी किसी तरह की शिकायत की जा सकती है.
इसके लिए मोबाइल, लैंडलाइन नंबर जारी होगा. व्हाट्स एप नंबर पर भी शिकायत करने की सुविधा होगी. चौबीसों घंटे काम करने वाले इस हेल्प लाइन नंबर में आने वाले समय में ई-मेल से भी शिकायत करने की सुविधा होगी.

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