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यह कैसी पढ़ाई: आठ माह में 100 गज भी नहीं चल सकीं किताबें

पटना : सत्र शुरू होने के तीन महीने बाद भी बिहार टेक्सटबुक काॅरपोरेशन कार्यालय से महज 100 गज की दूरी पर स्थित राजकीय कन्या मध्य विद्यालय में बच्चों की किताब नहीं पहुंच सकी है. यह स्थिति किसी एक स्कूल की नहीं, बल्कि पटना जिला समेत लगभग 20 जिलों की है, जहां पहली, दूसरी व आठवीं, […]

पटना : सत्र शुरू होने के तीन महीने बाद भी बिहार टेक्सटबुक काॅरपोरेशन कार्यालय से महज 100 गज की दूरी पर स्थित राजकीय कन्या मध्य विद्यालय में बच्चों की किताब नहीं पहुंच सकी है. यह स्थिति किसी एक स्कूल की नहीं, बल्कि पटना जिला समेत लगभग 20 जिलों की है, जहां पहली, दूसरी व आठवीं, तो कहीं तीसरी, चौथी व पांचवीं कक्षा की किताबें नहीं पहुंच सकी हैं. इससे बच्चों की पढ़ाई का बोझ कम होने के बजाय बढ़ गया है. क्योंकि, सितंबर माह में बच्चों की हाफइयरली परीक्षा होनी है. खास बात यह है कि शिक्षा मंत्री के निर्देश पर नवंबर, 2015 में ही बिहार टेक्सटबुक काॅरपोरेशन की ओर से किताबों को जिलों में भेजने की शुरुआत कर दी गयी थी.

पहल के बावजूद होती है लेट-लतीफी
बिहार शिक्षा परियोजना परिषद की आेर से प्रतिवर्ष बच्चों को समय पर किताब मिल सके, इसके लिए नौ महीने पहले ही बिहार टेक्सटबुक कॉरपोरेशन को टेंडर दे दिया गया था. बावजूद इसके अप्रैल में दी जानेवाली किताब अक्सर सितंबर में ही पहुंच पाती है. प्रतिवर्ष बिहार टेक्सटबुक कॉरपोरेशन की ओर से किताबें प्रिंट करायी जाती है. सत्र 2015-16 के लिए बिहार में दो करोड़ छह लाख 77 हजार 827 बच्चों के लिए किताबों को प्रिंट किया जाना है. इसके लिए लगभग 356 करोड़ का टेंडर भी किया गया है. बावजूद इसके पिछले कई वर्षों से लगातार सरकारी स्कूलों में समय पर किताबें नहीं पहुंच सकी है.
इन कारणों से होती है देर
पेज व किताबों की प्रिटिंग के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भर होने के कारण प्रतिवर्ष किताबें समय पर नहीं मिल पाती हैं. पश्चिम बंगाल से पेज मंगाये जाते हैं, तो प्रिटिंग का काम उत्तर प्रदेश में कराया जाता हैं. उसमें कॉरपोरेशन की लेट-लतीफी अलग से. इसके बाद किताबों का अलग-अलग सेट तैयार कर उसे स्कूलों में भेजा जाता है. इस वर्ष सेट मेकिंग के लिए पूजा प्रिंटेड, नव बिहार, पटना ऑफसेट तीन कंपनियों को टेंडर दिया गया था. लेकिन, पटना ऑब्सेट एजेंसी को गड़बड़ी के बाद उसे ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया. इससे सेट मेकिंग का काम पूरा नहीं हो पाया.
अलग-अलग तैयार किये जाते हैं सेट
प्रति वर्ष स्कूलों में नामांकित बच्चों की संख्या के अनुसार किताबें छापने की सूची तैयार की जाती है. इसमें हर कक्षा के लिए अलग-अलग किताबों का सेट तैयार किया जाता है. ये किताबें प्रतिवर्ष छपवाये जाते हैं. वर्ग वन व टू के लिए चार किताबों का सेट, तीन से पांच के लिए आठ किताबों व सिक्स टू आठ के लिए कुल नौ किताबों का सेट उपलब्ध कराया जाता है.
31 जुलाई तक किताबें भेजने का दिया निर्देश
बिहार शिक्षा परियोजना परिषद की ओर से सभी 31 जुलाई तक किताब भेजने का निर्देश दिया गया है. 31 जुलाई तक किताब जिलों में नहीं भेजी गयी, तो किताबों को नहीं लिया जायेगा. इस वर्ष पहली, दूसरी व आठवीं वर्ग के बच्चों के लिए किताबें अब तक नहीं आयी है.
डॉ भोला पासवान, राष्ट्रीय सचिव, अखिल भारतीय प्रारंभिक शिक्षक महासंघ
31 जुलाई तक किताबें स्कूलों में भेज दी जायेंगी. इसके लिए विभाग की ओर से निर्देश दिया गया है. 31 के बाद किताबें नहीं ली जायेंगी.
उदय कुमार उज्ज्वल, अपर राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, बिहार शिक्षा परियोजना परिषद
स्कूलों में बच्चों को लिए किताबें नहीं भेजी गयी है. बच्चों को पुरानी किताबों से पढ़ाया जा रहा है. किताब नहीं होने से बच्चे पढ़ाई नहीं कर पाते हैं.
प्रणीत कुमार, शिक्षक, बालक मध्य विद्यालय, गोलघर पार्क

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