पटना : एक बार कोई पावर ग्रिड या फीडर उलझा तो समझिए सारे पावर सब स्टेशन ठप. राजधानी के निर्बाध बिजली देने के दावे की रोज की यही हकीकत है. पेसू में बड़े तामझाम से शुरू की गयी वैकल्पिक बिजली प्रदान करने वाली सेवा फेल हो गयी है और अभी हाल यह है कि किसी […]
पटना : एक बार कोई पावर ग्रिड या फीडर उलझा तो समझिए सारे पावर सब स्टेशन ठप. राजधानी के निर्बाध बिजली देने के दावे की रोज की यही हकीकत है. पेसू में बड़े तामझाम से शुरू की गयी वैकल्पिक बिजली प्रदान करने वाली सेवा फेल हो गयी है और अभी हाल यह है कि किसी भी पावर ग्रिड में यदि मेंटेनेंस के कारण काम होता है या फिर तकनीकी परेशानियों के कारण ठप होता है तो उससे जुड़े सारे पावर स्टेशन से संबंधित मुहल्ले में अंधेरा पसर जाता है.
बुधवार को भी यही कहानी दुहरायी गयी. खगौल का पावर ग्रिड सुबह 8 से 10 बजे तक मेंटेनेंस के कारण दो घंटे तक बंद किया गया था. इससे खगौल, फुलवारी, वाल्मी, दानापुर, गाड़ी खाना, आनंद बाजार, सगुना मोड़ इलाके में इस दौरान बिजली काटे जाने की सूचना जारी की गयी थी. पेसू ने यह दावा किया था कि इससे एएन कॉलेज पीएसएस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. वहां पाटलिपुत्र पीएसएस से बिजली आपूर्ति की जायेगी लेकिन यह व्यवस्था फेल हो गयी और एक बड़ी आबादी दानापुर से लेकर राजीव नगर तक बिजली कटौती से जूझता रहा. यह रोज की कहानी है.
राजधानी में बिजली व्यवस्था बेहतर बनाने के लिए थ्री-वे लाइन बनाने की योजना एक साल पहले शुरू हुई थी. इससे संकट वाले क्षेत्रों में वैकल्पिक फीडर से बिजली की आपूर्ति करने का प्लान बनाया गया था. ऊर्जा विभाग और पावर होल्डिंग कंपनी ने इसकी शुरूआत करते हुए कहा था कि इससे पटना की तमाम गड़बडिय़ां दूर होंगी. यह भी कहा गया था कि बिजली की कमी नहीं है, लेकिन तकनीकी गड़बड़ियों से लोगों तक बिजली पहुंचाने में परेशानी हो रही है.
लोड नहीं ले रहे पावर सब स्टेशन
पेसू के इंजीनियरों ने बताया कि पावर सब स्टेशन ऑलरेडी ओवरलोड हैं. इसके कारण यदि किसी भी सब स्टेशन को बिजली देने की आवश्यकता होती है तो वे लोड नहीं ले पार रहे हैं और बिजली की कटौती करनी मजबूरी हो जाती है. सबसे बड़ी जरूरत तकनीकी गड़बड़ियों को दूर करने की है और लोड को कम करने के लिए दीर्घकालीन योजनाएं बनाने की है, जो अभी तक नहीं शुरू हो पाया है.