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सब्सिडी में लीकेज से गरीबों को नहीं मिल रहा फायदा

मुख्य आिर्थक सलाहकार अरविंद बोले पटना : भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ अरविंद सुब्रमण्यम ने कहा कि सब्सिडी में लीकेज से उनलोगों को इसका लाभ नहीं मिल पाता, जिन्हें इसकी जरूरत है. सब्सिडी का पैसा पूरी तरह सही हाथों में जाये, यह सबसे ज्यादा जरूरी है. इसके लिए व्यापक स्तर पर तकनीक आधारित […]

मुख्य आिर्थक सलाहकार अरविंद बोले
पटना : भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ अरविंद सुब्रमण्यम ने कहा कि सब्सिडी में लीकेज से उनलोगों को इसका लाभ नहीं मिल पाता, जिन्हें इसकी जरूरत है. सब्सिडी का पैसा पूरी तरह सही हाथों में जाये, यह सबसे ज्यादा जरूरी है. इसके लिए व्यापक स्तर पर तकनीक आधारित पहल करनी होगी. केरोसिन, रेलवे, खाद्यान्न, एलपीजी, यूरिया समेत सात मुख्य क्षेत्रों में सरकार 76 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी देती है.
लेकिन, इसका बड़ा लाभ संपन्न वर्ग के लोग भी उठा लेते हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि देश में कई गैर जरूरी प्रोजेक्ट हैं, जिनमें निवेश कर पैसों की बरबादी होती है. कई योजनाएं तो 96 वर्ष पुरानी हैं, जिन्हें बदलना बेहद मुश्किल है. वह रविवार को होटल माैर्या में आद्री के रजत जयंती समारोह में ‘भारतीय अर्थव्यवस्था का परिदृश्य’ विषय पर बोल रहे थे.
50 हजार करोड़ यूरिया सब्सिडी, 35% को ही फायदा
डॉ अरविंद सुब्रमण्यम ने कहा कि देश में सिर्फ यूरिया के क्षेत्र में हर साल 50 हजार करोड़ सब्सिडी दी जाती है. इसमें 24% रुपये गैर जरूरी यूनिटों या गलत तरीके से खर्च हो जाते हैं. 41% उद्योगों के पास या सीमा पार खाद की तस्करी में चले जाते हैं. सिर्फ 35% यूरिया सब्सिडी छोटे किसानों तक पहुंच पाती है, जो बेहद चिंता की बात है.
इस तरह की लीकेज को बंद किये बिना देश के किसानों की स्थिति नहीं सुधारी जा सकती है. कृषि की हालत बेहतर होने से देश की अर्थव्यवस्था भी सुधरेगी. उन्होंने कहा कि गरीबों को मिलनेवाली आर्थिक मदद को सब्सिडी, जबकि अमीर को देनेवाली इसी मदद को इंसेंटिव कहा जाता है. इस तरह की विषमता को दूर करने की जरूरत है. सब्सिडी की व्यवस्था को रेशनलाइजेशन करने की जरूरत है.
जेएएम या जाम उन्होंने कहा कि सब्सिडी में लीकेज को दूर करने के लिए ‘जेएएम या जाम (जन-धन योजना, आधार कार्ड, मोबाइल)’ कारगर उपाये हैं. लेकिन, कई राज्यों की सरकारें इसे लागू नहीं करना चाहती हैं. इसे लागू करने से मिडिल मैन की भूमिका काफी हद तक खत्म हो जायेगी, जिससे राजनीतिक संकट पैदा हो सकता है. इसके लिए जरूरी है कि मिडिलमैन को पूरे सिस्टम का हिस्सा बनाते हुए उन्हें भी अच्छा ‘इंसेंटिव’ दिया जाये. यह एक अच्छा राजनीतिक कदम साबित हो सकता है. उन्होंने पीडीएस सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए ‘बीएपीयू या बापू (बॉयोमीटरिक ऑथेंटिकेटेड फिजिकली अपलिफ्टमेंट)’ सिस्टम को लागू करने की जरूरत है. वर्तमान में इसका सफल प्रयोग कर्नाटक के गोदावरी जिले में किया जा रहा है. इसमें जनवितरण की दुकानों पर बॉयोमीटरिक हाजिरी के जरिये लाभुकों को राशन दिया जाता है. ऐसी व्यवस्था पूरे देश में लागू होनी चाहिए.
दाल का उत्पाद बढ़ाया जाये
उन्होंने कहा कि देश में दाल की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी की मुख्य वजह जरूरत के अनुसार इसका उत्पादन नहीं होना है. पिछले कुछ सालों में लोगों के ‘डायट पैटर्न’ में बदलाव आने से दाल की खपत बढ़ी है. दाल की पैदावार को बढ़ाने के लिए सरकार को बड़े स्तर पर प्रोत्साहन देने की जरूरत है. जहां तक सब्जी और फल के उत्पादन की बात है, तो इसका उत्पादन कम नहीं है. बस इसके लिए समुचित बाजार उपलब्ध कराने की जरूरत है. सब्जी और फल की व्यापक मार्केटिंग की व्यवस्था होनी चाहिए.
महिला सशक्तिकरण के लिए लघु उद्योग
उन्होंने कहा कि महिलाओं को सशक्त करने के लिए देश में खासकर बिहार जैसे राज्यों में लघु उद्योगों को बढ़ावा देने की जरूरत है. कपड़ा उद्योगों को बढ़ावा देकर इस क्षेत्र में व्यापक क्रांति लाई जा सकती है और महिलाओं को भी सशक्त किया जा सकता है.
चीन की मंदी का उठा सकते फायदा
डॉ सुब्रमण्यम ने कहा, चीन की मंदी का भारत फायदा उठा सकता है. आनेवाले 20-30 वर्ष में भारत के चीन से ज्यादा समृद्ध होने का अनुमान है. भारत की विकास दर आठ से 10% के बीच रहेगी, जबकि चीन की विकास दर 5-8% के बीच रहेगी. इस अंतर की तैयारी भारत को अभी से करनी चाहिए. अर्थव्यवस्था में ‘एक्जिट’ के चक्रव्यूह को तोड़ने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र में सुधार की पहल शुरू की गयी है. एफडीआइ को खोलने के अलावा लाइसेंस देने में उदारता बरती जा रही है.
कुल वोटरों के चार फीसदी ही देते हैं टैक्स
देश में जितने वोटर हैं, उनमें महज 4% टैक्स देते हैं, जबकि इनका अनुपात 23% होना चाहिए. टैक्स देनेवालों की संख्या कम होने से जीडीपी पर इसका प्रभाव पड़ता है. देश की कुल जीडीपी का 13% टैक्स से होनेवाली आय का हिस्सा है.

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